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आ रही हैं प्रियंका !

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राहुल गांधी ने कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ दिया। कांग्रेसजनों को प्रियंका का नाम सुझाने से भी मना कर दिया। दिन, सप्ताह बीतते हुए अब दो महीने से ज्यादा हो गये, लेकिन कोई नाम सामने नहीं आ सका है। जो विकल्प हैं या हो सकते हैं उनमें हिम्मत नहीं कि आगे आएं। वहीं कांग्रेस में ऐसे नेता नहीं रह गये हैं जो अपने नाम के अलावा किसी दूसरे का नाम आगे बढ़ाएं। इन परिस्थितियों में कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार भी खो दी। अगला नम्बर मध्यप्रदेश का है।

कांग्रेस में बगावत!

अब कांग्रेस में बगावत उठने लगी है। यह बगावत प्रियंका गांधी के लिए है। वरिष्ठ नेता खुलकर प्रियंका गांधी में नेतृत्व के गुण देखने लगे हैं। खुलकर बोलने को मशहूर शशि थरूर ने प्रियंका को जल्द से जल्द कांग्रेस की कमान सम्भालने की जरूरत बता डाली है।

प्रियंका ही कांग्रेस को जोड़े रख सकती हैं!

गांधी परिवार के करीबी रहे नटवर सिंह अब कांग्रेस से दूर हैं मगर उन्होंने भी प्रियंका बिटिया के लिए बैटिंग की है। नटवर सिंह ने साफ-साफ चेताया है कि अगर कांग्रेस ने गांधी परिवार से बाहर किसी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया तो पार्टी टूट जाएगी।

प्रियंका ने नहीं छोड़ा है मैदान

लोकसभा चुनाव में हार के बाद प्रियंका गांधी ने मैदान नहीं छोड़ा है। सोनभद्र गोलीकांड में जिस तरीके से प्रियंका गांधी ने तेवर दिखलाए, उसने न सिर्फ प्रियंका की संघर्ष क्षमता को साबित किया बल्कि इन्दिरा गांधी की भी याद ताजा कर दी जब बिहार के बेलछी में हुए नरसंहार के बाद वह हाथी पर सवार होकर नदी पार करते हुए पीड़ितों से मिलने जा पहुंची थीं।

प्रियंका ने संघर्ष क्षमता दिखलाई

प्रियंका ने मिर्जापुर में रोके जाने पर सड़क पर ही विरोध शुरू कर दिया। गेस्टहाऊस ले जाए जाने पर वहीं पर वह धरने पर बैठ गयीं। बगैर बिजली के 22 घंटे तक धरने पर बैठी रहीं। सबसे खास बात यह थी कि बगैर कार्यकर्ताओं के ही चुनिन्दा लोगों के साथ ही प्रियंका गांधी ने सोनभद्र गोलीकांड के मुद्दे को देशव्यापी बना दिया। खुद पीड़ित परिवार चलकर प्रियंका से मिलने पहुंच गये। यह प्रियंका के व्यक्तित्व और नेतृत्व का आकर्षण सिद्ध करता है।

सबने पद छोड़े, प्रियंका ने नहीं

राहुल के इस्तीफे के बाद प्रियंका गांधी ने महासचिव पद से इस्तीफा नहीं दिया है। यह बात भी प्रियंका की राजनीतिक बुद्धिमत्ता बताती है। प्रियंका ने अपने राजनीति में होने की जरूरत के लिए नेल्सन मंडेला के साथ अपनी तस्वीर ट्विटर पर जारी किया था और कहा था कि मंडेला चाहते थे कि प्रियंका राजनीति में आए। प्रियंका की यह शैली भी बहुत कुछ बयां करती है।

राहुल ने रोड़ा डाला, सोनिया हटाएंगी!

प्रियंका के लिए जो रुकावट राहुल ने पैदा की है उसे सोनिया गांधी ही तोड़ सकती हैं। यह काम जल्द हो जाएगा क्योंकि प्रियंका के लिए पार्टी के भीतर से मांग उठने लगी है। इस मांग को अब टाला नहीं जा सकता। उत्तर प्रदेश में उपचुनाव आने वाले हैं। कर्नाटक में भी उपचुनाव होंगे। बगैर अध्यक्ष के कांग्रेस को कहीं और किसी प्रदेश का नुकसान न हो जाए, यह बात प्रियंका गांधी को जल्द से जल्द समझनी होगी।

इंतज़ार के लिए कहां है वक्त?

ये वक्त प्रियंका के लिए इंतज़ार का नहीं है। मौके को आगे बढ़कर पकड़ने का है। अगर उन्होंने कांग्रेस की ज़रूरत को नज़रअंदाज किया, तो वक्त बीत जान के बाद प्रियंका के पार्टी में अध्यक्ष बनने का मतलब भी बेमानी हो जाएगा। इसलिए यह जरूरी है कि परिवार के भीतर मतभेद भी हो, तो उससे बेपरवाह रहते हुए प्रियंका गांधी अपनी ज़िम्मेदारी को आगे बढ़कर स्वीकर करें। राहुल गांधी हों या कोई और वह प्रियंका गांधी को नहीं रोक पाएंगे। सच ये है कि पूरी कांग्रेस उनका इस्तकबाल करने को तैयार बैठी हैं। तो क्या

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