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कपिल, गावस्कर, सिद्धू, आमिर क्या देशद्रोही?

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Are Kapil, Gavaskar, Siddhu, Aamir Anti National?

(Update: 18 अगस्त को शपथ-ग्रहण इन चार में से केवल सिद्धू पहुँचे) क्रिकेटर इमरान ख़ान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। क्रिकेट के लिए यह बड़ा अवसर है। उन क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए भी, जिन्होंने इमरान ख़ान के साथ क्रिकेट खेला। मगर, सुनील गावस्कर, कपिलदेव और नवजोत सिंह सिद्धू के लिए यह बहुत ही बड़ा अवसर है क्योंकि इमरान ख़ान ने अपने शपथग्रहण समारोह में इन्हें न्योता दिया है।

न्योता आमिर ख़ान को भी है जिन्होंने लगान फ़िल्म बनाकर गुलामी के दिनों में हिन्दुस्तानी क्रिकेट को एक अलग रूप में रूपहले पर्दे पर ज़िन्दा किया था। आगे ख़बर नहीं सवाल है क्या इमरान ख़ान के न्योते को भारतीय खिलाड़ी स्वीकार करेंगे? ये सवाल इसलिए है क्योंकि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट बंद है, दोनों देशों के बीच बातचीत बंद है। ये सवाल इसलिए भी है क्योंकि यह मौका इस डेडलॉक को तोड़ सकता है, दोनों देशों को जोड़ सकता है।

क्रिकेट और राजनीति के बीच पुराना संबंध रहा है। जनरल जिया-उल-हक, बेनज़ीर भुट्टो, परवेज़ मुशर्रफ़, राजीव गांधी जैसे नेता भी क्रिकेट डिप्लोमैसी का इस्तेमाल करते रहे हैं। एक क्रिकेटर बेहतरीन राजनीतिज्ञ हो सकता है इसके बड़े उदाहरण हैं इमरान ख़ान और नवजोत सिंह सिद्धू। इसी तरह एक क्रिकेटर राजनीतिक रूप से बुद्धिमान भी होता है इसके उदाहरण हैं सुनील गावस्कर, जिन्होंने बहुत पहले ही कह दिया था कि इमरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हो सकते हैं।

अब तक नवजोत सिंह सिद्धू और कपिल देव की खुलकर प्रतिक्रिया आयी है। सिद्धू ने कहा है कि करोड़ों लोगों में इमरान ने उन्हें न्योता दिया है जो दोनों खिलाड़ियों के बीच रिश्ते का सम्मान है। वहीं कपिलदेव कह रहे हैं कि उनके साथ खेल चुका क्रिकेटर इतने बड़े पद पर जा रहा है, उस पल का गवाह बनना बहुत खुशी की बात है। ये दोनों खिलाड़ी यह भी कह रहे हैं कि अगर उनकी सरकार परमिशन दे, तो वे वहां जाना जरूर चाहेंगे।

सिद्धू, कपिल, गावस्कर और आमिर जानते हैं कि इमरान ख़ान के समारोह में जाना अगर एक ऐतिहासिक पल होगा, तो वहीं यह अवसर राजनीतिक रूप से संवेदनशील भी होने वाला है। लिहाजा इन्होंने फैसला सरकार पर छोड़ा है। दुनिया की नज़र भारत सरकार पर है। क्या इमरान के साथी खिलाड़ियों को उनके शपथग्रहण समारोह में जाने के लिए सरकार हामी भरेगी या इससे इनकार कर एक खुशनुमा माहौल और सौहार्दपूर्ण संबंध की एक सम्भावना का मार्ग रोक दिया जाएगा?

खुद नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तो पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज़ शरीफ़ शपथग्रहण में शरीक हुए थे। खुद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नवाज़ के घर दावत खाने पहुंचे थे। मगर, क्या इमरान ख़ान ने अपने शपथग्रहण समारोह में पड़ोसी देशों को बुलाना उचित नहीं समझा है? इसका उत्तर पाने के लिए अभी वक्त का इंतज़ार है क्योंकि कूटनीतिक निमंत्रण कूटनीतिक स्तर पर जारी होते हैं।

ये तय है कि भारत सरकार ने अगर परमिशन नहीं दी, तो चाहे कपिल हो या सिद्धू-गावस्कर या फिर आमिर ख़ान- ये लोग पाकिस्तान नहीं जाएंगे। मगर, तब सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नेताओं की बातें इन्हें हमेशा सालती रहेगी जिन्होंने न्योते को स्वीकार करने पर इनके साथ आतंकी जैसा सलूक करने की बात कही है।

स्वामी के विचार को वजन मिलने का अर्थ है कि देश के लिए वर्ल्ड कप जीतना, क्रिकेट खेलना इन सबका कोई मतलब नहीं, देशभक्ति का सबूत तो सिर्फ पाकिस्तान नहीं जाने से मिलता है। अगर ऐसा है तो पीएम मोदी दावत खाने पाकिस्तान क्यों गये थे? और, तब कपिल, सिद्धू, गावस्कर या आमिर जैसे क्रिकेटर या फ़िल्मकार इमरान के प्रधानमंत्री बनने के मौके के गवाह क्यों नहीं बन सकते? ऐसा करने पर उन्हें आतंकी कहा जाए, ये कैसी सोच है?

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