शिवसेना में जाएंगी पंकजा मुंडे?
पंकजा मुंडे बीजेपी छोड़ने वाली हैं? फेसबुक पर क्यों जताया गुस्सा? ट्विटर प्रोफाइल से क्यों हटाया BJP? महाराष्ट्र ही नहीं राष्ट्र भर में ये सवाल पूछे जा रहे हैं। स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे की बेटी, कभी मुख्यमंत्री पद की दावेदार मानी जाने वाली पंकजा के तेवर बागी होते दिख रहे हैं।
देवेंद्र फडणवीस से पंकजा की लड़ाई खुले तौर पर रही है। अब जबकि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री नहीं रहे, तो पंकजा का तेवर दिखाना कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक नहीं है। फडणवीस के दोबारा शपथग्रहण के बाद पंकजा ने बीजेपी नेताओँ के सामने खूब आंसू गिराए। इस दौरान देवेंद्र फडणवीस को पानी पी-पीकर कोसा है।
पंकजा के ये तेवर तब हैं जब वह अपने गढ़ परली से चुनाव हार गयीं। उनके चचेरे भाई धनन्जय मुंडे ने उन्हें 30 हज़ार से अधिक मतों से हरा दिया। इस हार के बावजूद पंकजा अगर बोल पा रही हैं तो सिर्फ इसलिए कि बीजेपी की सरकार देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में नहीं बन सकी। पंकजा ने फेसबुक पर अपनी नाराज़गी दिखलायी। फिर अपने ट्विटर अकाउन्ट से बीजेपी शब्द हटा लिया। जाहिर है पंकजा के तेवर को बगावत के तौर पर देखा जा रहा है।
मीडिया में पंकजा की चर्चा हो रही है। बीजेपी छोड़ने की ख़बरें उठ रही हैं। मगर, पंकजा को इस बात की फिक्र नहीं है। वह इन ख़बरों को शांत करने की कोशिश करती नहीं दिख रहीं। उल्टे अब पंकजा मीडिया में आकर कह रही हैं कि वह 12 दिसम्बर को बड़ा फैसला सुनाने वाली हैं। अपने पिता के जन्म दिन पर क्या बड़ा फैसला कर सकती हैं पंकजा? क्या बीजेपी छोड़ सकती हैं पंकजा मुंडे? शिवसेना नेता अब्दुल सत्तार ने पंकजा को अपनी पार्टी में आने का खुला ऑफर दे दिया है। पंकजा के पिता गोपीनाथ मुंडे और बाला साहब ठाकरे के बीच अच्छे संबंध की दुहाई देते हुए यह ऑफर दिया गया है। इससे पंकजा के सुर और तल्ख हो गये हैं।
पंकजा मुंडे कह रही हैं कि ट्विटर प्रकरण को उनके विरुद्ध हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। उनसे उनका पद छीनने की कोशिश की जा रही है। पंकजा को ऐसा क्यों लगता है, यह तो वही जानें। मगर, इशारा देवेंद्र फडणवीस की तरफ है। देखना ये है कि बीजेपी आलाकमान अपनी इस युवा नेता को समझाने की कोशिश करता है या फिर उन्हें राजनीति में अगला कदम उठाने को छोड़ देता है।