‘महागठबंधन’ बदल देगा बिहार
बिहार में महागठबंधन
20 सीटों पर लड़ेगी आरजेडी
बाकी 20 पर लड़ेंगे सहयोगी दल
कांग्रेस 9 सीटों पर होगी चुनाव मैदान में
RLSP-5, HAM-3, VIP-3 सीटों पर लड़ेंगी चुनाव
बिहार में महागठबंधन हो गया। आरजेडी ने 20 सीटों पर लड़ने की घोषणा की है। इतनी कम सीटों पर पहली बार आरजेडी चुनाव लड़ेगी। 20 भी नहीं, वास्तव में आरजेडी 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ने जा रही है। इसका एक और मतलब ये हुआ कि बिहार में आरजेडी, बीजेपी और जेडीयू तीनों 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
बीजेपी और जेडीयू के बीच चुनावी तालमेल ने महागठबंधन के घटकदलों को एकजुट होने के लिए मजबूर कर दिया। कांग्रेस 11 सीटों की मांग छोड़ते हुए 9 सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी हो गयी। शर्त ये रही कि राज्यसभा की पहली सीट कांग्रेस को मिलेगी। उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी 5 सीटों पर और वीआईपी एवं हम 3-3 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
वास्तव में आरजेडी अपनी 20 सीटों से भी तीन सीटों की कुर्बानी देने जा रही है। शरद यादव की पार्टी के लिए दो सीट और सीपीआई एमएल को भी आरजेडी अपने पास की 20 सीटों से ही टिकट देगी। ये तीनों उम्मीदवार आरजेडी के चुनाव चिन्ह लालटेन पर चुनाव लड़ेंगे।
महागठबंधन के इस सपने को साकार करने के लिए लालू प्रसाद ने जेल के भीतर से ही पूरी मेहनत की। तेजस्वी उनके कहने पर रणनीति पर अमल करते रहे। कांग्रेस को भी ‘सीधा’ करने का काम लालू प्रसाद की ओर से तेजस्वी यादव ने ही किया।
अब महागठबंधन को उम्मीद है कि-
एनडीए विरोधी वोट नहीं बंटेंगे।
मुसलमान-यादव वोट (30%) भी एकजुट रहेंगे
मल्लाहों के 14 फीसदी वोट पर है नज़र
6.4 फीसदी कोयरी वोट भी मिलने की उम्मीद
साफ है कि ये वोट मिलकर 50 फीसदी हो जाते हैं। इसी जगह पर महागठबंधन को पहुंचाने के बाद आरजेडी सर्वाधिक फायदे की स्थिति में पहुंचती दिखती है। और, यहीं से एनडीए की भी चिन्ता बढ़ने लगती है। महागठबंधन में कांग्रेस के आ जाने के बाद इन वोटों के बंटनी की आशंका ख़त्म हो गयी है। और, इसलिए बिहार का राजनीतिक समीकरण भी पूरी तरह से बदलता दिख रहा है।
Very informative