2019 में राहुल का ब्लंडर
राहुल ने कर दी बड़ी गलती। वायनाड ख़ुश, रूठेगी अमेठी! भागे राहुल, बीजेपी बोली। लेफ्ट भी लाल, किए सवाल। बीजेपी दुश्मन है या सीपीआई? क्या राहुल ने बस सीट बचाई?
2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने वाकई गलती बड़ी कर दी है। ऐसी सीट को चुना है जहां बीजेपी नहीं है। क्या बीजेपी से डर गये राहुल? अगर दूसरी सीट ही चुननी थी तो मोदी के घर गुजरात से क्यों नहीं चुनी दूसरी सीट? मध्यप्रदेश भी तो हाथ में! क्या बीजेपी से लड़े बगैर बीजेपी विरोध की राजनीति की अगुआई करेंगे राहुल?
वायनाड लोकसभा सीट पर एक नज़र
कांग्रेस ने 2014 में सीपीआई को हराया था।
अंतर महज 1.81 प्रतिशत वोटों का था।
शानवास को मिले थे 3 लाख 77 हज़ार वोट
CPI उम्मीदवार मोकेरी को 3 लाख 56 हज़ार वोट
BJP को मिले थे करीब 80 हज़ार वोट
कांग्रेस ने 2014 में सीपीआई को हराया था। अंतर महज 1.81 प्रतिशत वोटों का था। अब दिवंगत हो चुके कांग्रेस सांसद शानवास को 3 लाख 77 हज़ार से ज्यादा वोट मिले थे और सीपीआई उम्मीदवार मोकेरी को 3 लाख 56 हज़ार से ज्यादा वोट। बीजेपी को मिले थे 80 हज़ार से ज्यादा वोट।
अगर राहुल जीत भी जाते हैं तो कांग्रेस की एक सीट ही तो बचाते हैं। वास्तव में जब वे अमेठी और वायनाड में एक को चुनेंगे, तो एक सीट का नुकसान ही होगा। सवाल ये है कि एक सीट वाली राष्ट्रीय पार्टी सीपीआई से दो-दो हाथ करना ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने क्यों जरूरी समझा? क्या इसलिए कि बीजेपी इस सीट पर उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगी?
ऐसा लगता है कि कांग्रेस तय ही नहीं कर पायी है कि उसका दुश्मन नम्बर वन कौन है? इन उदाहरणों से भी इस बात की तस्दीक होती है
कांग्रेस को नहीं पता दुश्मन नम्बर वन कौन?
कांग्रेस ने देशव्यापी बीजेपी विरोधी मोर्चे की पहल नहीं की
पश्चिम बंगाल में टीएमसी, दिल्ली में आप को अकेला छोड़ा
यूपी में महागठबंधन से दूर रही कांग्रेस
वाम दलों को तालमेल के लिए पूछा ही नहीं
इसका मतलब ये है कि कांग्रेस बीजेपी विरोधी किसी मोर्चा का नेतृत्व करना ही नहीं चाहती। बीजेपी के विरोध में लड़ना ही नहीं चाहती। या तो कांग्रेस को मिले सत्ता, या फिर कोई भी जीते, हारे उससे कांग्रेस को नहीं है मतलब।
इस रुख से नुकसान कांग्रेस को ही होगा। अगर राहुल गांधी बीजेपी और आम आदमी पार्टी से सीख लेते तो सीख सकते थे कि
विरोधियों से सीख सकते थे राहुल
जीत के लिए बिहार में बीजेपी ने अपनी सीट जेडीयू के हाथों गंवायी
केजरीवाल ने नयी दिल्ली में शीला दीक्षित को चुनौती दी और हराया
केजरीवाल ने मोदी को वाराणसी में, कुमार विश्वास ने राहुल को अमेठी में घेरा
स्मृति ईरानी तो राहुल के पीछे हाथ धोकर ही पड़ गयीं
ऐसा इसलिए कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ने 2014 में कांग्रेस को ही अपना दुश्मन नम्बर वन माना था। मगर, ऐसा कभी लगा ही नहीं कि कांग्रेस कभी बीजेपी को नम्बर वन दुश्मन मान रही है। मगर, बीजेपी को कोई गलतफहमी नहीं है। बीजेपी एक बार फिर तैयार है राहुल पर हमला बोलने के लिए-
राहुल पर हमला ऐसे बोलेगी BJP
राहुल वायनाड भागे क्योंकि वहां हिन्दू आबादी कम है
क्या राहुल को हिन्दुओं से डर लगता है?
सॉफ्ट हिन्दुत्व क्यों भूल गये हैं राहुल गांधी?
वायनाड से चुनाव लड़ने का साफ संकेत यही है कि राहुल गांधी ने बीजेपी विरोध की राजनीति का नेतृत्व करने की क्षमता और विश्वास कोक खो दिया है। यह कांग्रेस के लिए ख़तरनाक स्थिति है।