तीसरा चरण UP : 10 में सिर्फ 2 सीट जीतेगी BJP
उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण में क्या होने वाला है? क्या बीजेपी 10 में से अपनी 7 सीटें बचा पाएगी? अगर नहीं, तो कितनी सीटें मिल रही हैं BJP को? विरोधी दल दे रहे हैं कितना बड़ा झटका? इन सवालों के जवाब लेकर हाज़िर है बस सच। मगर, सबसे पहले आपको समझना होगा डबल इंजन का मतलब।
क्या है ‘डबल इंजन वाली सरकार’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने की स्थिति को डबल इंजन वाली सरकार बताया था। आप पूछेंगे चुनाव परिणाम से इसका क्या है संबंध? आपका सवाल जायज है। वास्तव में वोटरों का एक ट्रेंड उभरकर आया है और इसका सीधा संबंध डबल इंजन वाली सरकार से है। आपको याद होगा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का विधानसभा चुनाव। वहां भी डबल इंजन वाली सरकारें थीं।
डबल इंजन वाली सरकार में वोटिंग पैटर्न
मतदान के प्रतिशत में गिरावट का मतलब है डबल इंजन वाली व्यवस्था में सत्ताधारी दल की हार। अगर मतदान प्रतिशत बढ़ता है तो यह उनकी सम्भावित जीत का आभास कराती है। और भी हैं मायने जो हम आपको आज उत्तर प्रदेश के संदर्भ में बताने जा रहे हैं जहां बीजेपी की डबल इंजन वाली सरकार है।
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण में 10 सीटों पर वोटिंग हुई। इनमें से 5 सीटों पर 2014 के मुकाबले अधिक मतदान हुए। ये सीटें हैं- पीलीभीत, एटा, रामपुर, मुरादाबाद और बरेली।
इसी तरह 5 सीटें ऐसी रहीं जहां 2014 के मुकाबले मतदान कम हुए। ये सीटें हैं- फिरोजाबाद, मैनपुरी, आंवला, सम्भल, बदायूं
सबसे पहले तीसरे चरण की उन सीटों पर नज़र डालते हैं जहां वोट प्रतिशत बढ़े हैं। सबसे ज्यादा पीलीभीत में 1.72 फीसदी मतदान बढ़ा है। फिर नम्बर आता है एटा का, जहां 1.11 फीसदी मतदान में बढ़ोतरी हुई है।
डबल इंजन वाली सरकार में वोटिंग पैटर्न
पीलीभीत-एटा में BJP की जीत पक्की
फीसदी से ज्यादा मतदान दर्ज होने को साफ तौर पर डबल इंजन वाली सरकार में सत्ताधारी दल की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। इसका मतलब ये है कि पीलीभीत और एटा की सीट बीजेपी निश्चित रूप से जीत रही है।
डबल इंजन वाली सरकार में वोटिंग पैटर्न
जिन सीटों पर मतदान में 1 फीसदी से कम बढ़ोतरी हुई है और वह डबल इंजन वाली सरकार में सत्ताधारी दल की सीटिंग सीट है तो उसके बाद जीत की सम्भावना उसी हिसाब से कम होती चली जाती है। लिहाजा रामपुर जहां मतदान में 0.68 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है या फिर मुरादाबाद जहां 0.43 फीसदी और बरेली जहां 0.27 फीसदी वोट बढ़े हैं वहां कांटे की टक्कर में बीजेपी के लिए सम्भावनाएं कम होती चली जाने वाली हैं।
तीसरे चरण में 10 में से बाकी बची 5 सीटों की बात करें तो सबसे ज्यादा मतदान में गिरावट आयी है फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर। यहां 2014 में 67.61 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2019 में महज 58.80 फीसदी मतदान हुआ है। मतलब ये कि 8.81 फीसदी मतदान में गिरावट है। मतलब साफ है कि बीजेपी की नहीं होने जा रही है जीत।
इस सीट पर चाचा शिवपाल और भतीजा अक्षय यादव के बीच की लड़ाई को चाहे जितना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया हो, लेकिन सच ये है कि इनमें से ही एक जीतने जा रहा है, बीजेपी उम्मीदवार की जीत नहीं होने जा रही है।
मैनपुरी में वोट प्रतिशत में कमी आयी है जहां मुलायम सिंह यादव चुनाव मैदान में खड़े हैं। 2014 में यहां 60.65 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2019 में 57.80 फीसदी मतदान हुआ है। मतदान का यह अंतर 2.85 फीसदी है। डबल इंजन वोटिंग थ्योरी पैटर्न निश्चित रूप से इस सीट पर भी बीजेपी की हार बता रही है। यानी मुलायम सिंह यादव एक बार फिर जीत रहे हैं।
यही थ्योरी आंवला में भी लागू होती है जहां 2014 के मुकाबले 2019 में 1 फीसदी से थोड़ा ज्यादा मतदान में कमी आयी है। इस सीट को भी बीजेपी हारने जा रही है। निवर्तमान सांसद धर्मेंद्र कश्यप अपनी सीट नहीं बचा पाएंगे। जिन सीटों पर 1 फीसदी से कम मतदान में गिरावट आयी है उस पर डबल इंजन वाली सरकार में सत्ताधारी दल के लिए हार का अंतर कम होता है। मतदान में कमी 1 प्रतिशत से जितना कम होगा, उसी हिसाब से हार का अंतर भी कम होता चला जाएगा। सम्भल में 0.60 फीसदी और बOEयूं में 0.55 फीसदी मतदान घटा है।
अगर मतदान प्रतिशत पर गौर करते हुए डबल इंजन वोटिंग थ्योरी के नजरिए से देखें तो बीजेपी उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण में 10 में से 2 सीट पर दावे से अपनी जीत मान सकती है, तीन पर संशय बरकरार है मगर हारने की आशंका ज्यादा है जबकि बाकी बची 5 सीटें निश्चित रूप से बीजेपी हार रही हैं।
Very nice analysis