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स्वामी से नाराज़ हैं NaMo?

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सुब्रह्मण्यम स्वामी नमो यानी नरेंद्र मोदी से नाराज़ है। स्वामी की मानें तो नमो उनकी नहीं सुन रहे हैं। इसलिए वे चीन जाने का मन बना रहे हैं। चीन में उन्हें शिंघुआ यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच बीते 70 साल में चीन के विकास पर लेक्चर देना है।
स्वामी का ट्वीट पढ़कर आश्चर्य भी होता है। स्वामी को लेक्चर देने चीन जाना हो या अमेरिका, यह फैसला उनका है। इसमें नरेंद्र मोदी क्या कर सकते हैं। मगर, उन्होंने लेक्चर के लिए अपनी विदेश यात्रा को इस बात से जोड़ा है कि नमो उनकी बात नहीं सुन रहे।

राम मंदिर पर सुब्रहमण्यम स्वामी

  • पीएम मोदी को स्वामी ने लिखा था खत
  • मंदिर के लिए जमीन आवंटित करे केंद्र
  • केंद्र के लिए किसी इजाजत जरूरी नहीं
  • नमो सरकार ने पत्र का जवाब नहीं दिया

31 मई को सुब्रह्णम्यम स्वामी ने नरेंद्र मोदी को खत लिखा था। वे चाहते थे कि राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार जमीन आवंटित करे। इसके लिए केंद्र को किसी से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं थी, सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं। मगर, नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार ने स्वामी के पत्र का कोई जवाब नहीं दिया है।

सुब्रहमण्यम स्वामी ईवीएम से चुनाव कराने में धांधली की सम्भावना के बारे में भी सरकार और देश को बता चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में वीवीपैट को सुनिश्चित कराने के लिए भी सुब्रहमण्यम स्वामी ने लड़ाई लड़ी। विपक्ष ईवीएम से चुनाव कराने के खिलाफ है और स्वामी की आवाज़ बुलन्द हो रही है। इससे भी नमो की नाराज़गी सम्भव है।

नरेंद्र मोदी ने रघुराम राजन की क्षमता पर उंगली उठाने के बाद भी सुब्रह्मण्यम स्वामी की बात नहीं सुने। जब रघुराम राजन आरबीआई के गवर्नर थे तो सुब्रहमण्यम स्वामी लगातार उन पर हमला बोल रहे थे। मगर, नरेंद्र मोदी स्वामी की बात सुनने को तैयार नहीं थे। उल्टे उन्होंने टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में कह डाला कि राजन भी देशभक्त हैं और वे अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।

GST के खिलाफ रहे स्वामी

  • विपक्ष से पहले बोले सुब्रहमण्यम
  • GST को देश के खिलाफ बताया
  • तुरंत वापस लेने की मांग उठायी
  • अपनी बात दोहराते रहे स्वामी
  • नमो GST को दूसरी आज़ादी बताते रहे

जीएसटी के ख़िलाफ़ भी सुब्रहमण्यम स्वामी ने आवाज़ बुलन्द की थी। विपक्ष ने बाद में बोलना शुरू किया, स्वामी पहले बोले। सुब्रहमण्यम स्वामी ने जीएसटी को देश के खिलाफ बताया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। यह बात उन्होंने समय-समय पर दोहराई, मगर नरेंद्र मोदी जीएसटी लागू होने को दूसरी आज़ादी का अवसर बताते रहे।

सुब्रहमण्यम स्वामी ने ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि 5 साल में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने क्या किया। जो कुछ भी किया निजी तौर पर खुद उन्होंने किया। स्वामी का इशारा नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार को अदालत तक घसीटने की ओर था।
सुब्रहमण्यम स्वामी समय-समय पर अरुण जेटली पर भी बरसते रहे। जेटली नरेंद्र मोदी की पसंद रहे हैं। मगर, स्वामी ने साफ तौर पर कहा कि जेटली अगर पीठ पीछे उनकी आलोचना छोड़ देंगे, तो वे भी उन्हें बख्श देंगे। स्वामी के इस रुख से भी नमो का नाराज़ होना स्वाभाविक था।

  • BJP की हार निश्चित मानते थे स्वामी
  • नमो पार्ट टू सरकार आ गयी
  • जेटली की जगह निर्मला हो गईं वित्तमंत्री
  • स्वामी को नहीं मिल रहा है भाव
  • स्वामी को नागवार गुजर रही है यह बात

चुनाव से पहले बीजेपी की हार और अपने बूते बहुमत नहीं मिलने की सम्भावना भी जता चुके थे सुब्रहमण्यम स्वामी। अब नमो सरकार पार्ट टू आ चुकी है। अरुण जेटली की जगह निर्मला सीतारमण वित्तमंत्री बन गयी हैं। मोदी सरकार सुब्रहमण्यम स्वामी को भाव नहीं दे रही है। उन्हें पूछ नहीं रही है। यह बात स्वामी को नागवार गुजर रही है।

स्वामी का दावा है कि उन्होंने बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ एक से बढ़कर एक मुद्दे दिए। बीजेपी ने चुनाव में उसका इस्तेमाल भी किया, मगर कभी उसका श्रेय उन्हें नहीं दिया। राहुल की डिग्री का सवाल हो या फिर नेशनल हेराल्ड मुद्दा या फिर रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ी जानकारियां- सबके पीछे थे सुब्रहमण्यम स्वामी। अब यही बात स्वामी को साल रही है। वे जता रहे हैं कि अगर मोदी सरकार ने उन्हें भाव नहीं दिया तो वे पठन-पाठन की ओर लौट चलेंगे। चल पड़ेंगे चीन।

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