नफ़रत की राह पर ट्रंप का राष्ट्रवाद
डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट पर बरपा है हंगामा। 4 विपक्षी नेताओं पर अपमानजनक टिप्पणी। महिला नेताओं के ‘प्रगतिशील’ होने पर उठाए सवाल। जिस देश के हैं वहां लौट जाने की दी सलाह
अपने-अपने देश को सुधारने की दी नसीहत। अश्वेत महिला नेताओं पर ट्रंप की है ये टिप्पणी।
अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं। माहौल अभी से गरम होने लगा है। राष्ट्रवाद का नारा ज़ोर पकड़ने लगा है। तभी तो अमेरिका को धरती पर सबसे महान और ताकतवर देश बताते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने विरोधी उन महिला नेताओं पर हमला बोला है जो मूल रूप से अमेरिकी नहीं हैं। ट्रंप ने ट्वीट में कहा है,
“जिन देशों से ये महिला सांसद ताल्लुक रखती हैं, वहां की सरकारों पर संकट है। उन पर (सरकारों पर) भ्रष्टाचार के आरोप हैं। उन्हें (सरकारों को) दुनिया में हर जगह अयोग्य करार दे दिया गया है। महिला सांसद अमेरिकी लोगों को भड़का रही हैं। जबकि हमारा देश धरती पर सबसे महान और ताकतवर है।”
टंप का राष्ट्रवाद इतना आक्रामक है कि वे ऐसे नेताओं को देश छोड़ देने की भी सलाह देते हैं। उनका कहना है,
HEADER ट्रंप का आक्रामक राष्ट्रवाद
‘‘वे (सांसद) अपने देश ही क्यों नहीं लौट जातीं। उन्हें अपनी सरकार को पूरी तरह खत्म करने में मदद करना चाहिए। उन्हें वहां दंगाग्रस्त इलाकों में जाकर हकीकत देखना चाहिए। इसके बाद वे अमेरिका आएं और बताएं कि उन्होंने ये सब कैसे किया।’’
ट्रंप के ट्वीट में जिन महिला सांसदों को निशाना बनाया गया है उनमें शामिल हैं न्यूयॉर्क की अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कार्तेज, मिनेसोटा की इल्हान उमर, मिशिगन की रशीदा तलैब और मैसाच्युसेट्स की अयाना प्रेसले।
ट्रंप ने इन महिला सांसदों को ‘प्रोग्रेसिव’ बताने के लिए इनवर्टेड कॉमा का सहारा लिया है। मतलब ये कि पहली बार संसद में चुनकर आईं ये महिला सांसद कथित रूप से प्रगतिशील हैं। ट्रंप ने इन महिलाओँ को कथित तौर पर प्रोग्रेसिव डेमोक्रेट कांग्रेस वुमन्स करार दिया है।
ट्रम्प ने बिना नाम लिए इन महिलाओँ पर इज़राइल के साथ बेलगाम जुनून के साथ इज़राइल से नफ़रत का आरोप भी लगाया है। माना जा रहा है कि उनका इशारा इल्हान उमर और रशीदा तलैब की ओर है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से न सिर्फ दूसरे देश में पैदा हुए अमेरिकी नागरिकों की चिन्ता बढ़ गयी है बल्कि नस्लीय आधार पर नफ़रत बढ़ने का ख़तरा भी पैदा हो गया है। ट्रंप एक ऐसे राष्ट्रवाद की वकालत करते हुए दिख रहे हैं जो 48 फीसदी श्वेत लोगों के वोटों को आकर्षित करता है। वहीं, अपने राष्ट्रवाद में धार्मिक पुट देकर और इज़राइल के विरोध से इस्लाम को जोड़कर भी ट्रंप बाकी आबादी को भी सहलाने की कवायद में जुटे हैं। ट्रंप के बयानों ने अमेरिका ही नहीं दुनिया भर के नस्लवाद विरोधी लोगों की चिन्ता बढ़ा दी है।