Mon. Dec 23rd, 2024

किस करवट बैठने वाले हैं नीतीश!

Featured Video Play Icon

बिहार की सियासत में हंगामा बरपा हुआ है। वजह हैं नीतीश कुमार। उनके तेवर। वो तेवर जो कभी आरजेडी से गलबहियां करने वाले दिखते हैं, तो कभी बीजेपी सो दो-दो हाथ करते दिखाई पड़ रहे हैं। क्या बीजेपी के साथ सरकार चलाते हुए दबाव में हैं नीतीश? क्या नीतीश को एनडीए में मन नहीं लग रहा है?

3 कारणों से चर्चा में नीतीश कुमार

तीन तलाक

सिद्दीकी से मुलाकात

संघ नेताओं की मुखबिरी

ये तीनों घटनाएं इसी महीने की हैं। ताज़ा मामला तीन तलाक पर सदन में वोटिंग है। एनडीए में रहकर भी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने सरकार का विरोध किया और विरोध में वोट डाले। वहीं अब्दुल बारी सिद्दीकी से नीतीश की मुलाकात भी चर्चा में है। इसी महीने यह बात भी पुलिस विभाग से उड़ी थी कि नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने से दो दिन पहले बिहार में संघ नेताओं की मुखबिरी करायी गयी थी।

प्याले में तूफ़ान

बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया

21 जुलाई को दरभंगा पहुंचे नीतीश

अलीनगर जाकर की सिद्दीकी से भेंट

सिद्दीकी के घर रहे 10 मिनट तक

मगर, इससे ठीक पहले रविवार 21 जुलाई को चाय के प्याले में सियासत का तूफ़ान उठ खड़ा हुआ। बिहार में इन दिनों बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं मुख्यमंत्री नीतीश। वे जा पहुंचे दरभंगा। दरभंगा के अलीनगर में रहते हैं आरजेडी के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी। उनके घर भी पहुंच गये मुख्यमंत्री। 10 मिनट रुके। चाय पी। बस, सियासत की दुनिया में तूफान के लिए यह बवंडर काफी था।

राबड़ी देवी को कहना पड़ा- कोई घर आएगा तो चाय-पानी तो पिलाना ही पड़ेगा। राबड़ी देवी की प्रतिक्रिया से ऐसा लगा मानो जबरदस्ती नीतीश कुमार सिद्दीकी के गले पड़े हों। मगर, अब्दुल बारी सिद्दीकी ने जब इसी मसले पर अपनी ज़ुबान खोली तो मुलाकात के निहितार्थ कुछ और निकलते नज़र आए। सिद्दीकी ने कहा कि वे लोग तो नीतीश को कंधे पर बिठाकर मुख्यमंत्री बनाने वालों में हैं। अगर किसी को कहीं घुटन महसूस होती हो तो पद छोड़ देना चाहिए। सिद्दीकी ने कहा-

नीतीश से मुलाकात पर बोले सिद्दीकी

अगर कोई राजनीति में हाथ बढ़ाएगा तो वे हाथ पीछे नहीं खींचेंगे।“

सिद्दीकी के बयान में साफ संदेश है कि आरजेडी और जेडीयू दोबारा साथ आ सकते हैं। हां, ये हो सकता है कि दोबारा इसी विधानसभा में दोनों दल साथ न आएं। अगर जेडीयू ने एनडीए छोड़ दिया तो अगला विधानसभा चुनाव जरूर एक बार फिर दोनों पार्टियां मिलकर लड़ सकती हैं।

मगर, सवाल ये है कि इतना बड़ा राजनीतिक फैसला अब्दुल बारी सिद्दीकी कैसे ले सकते हैं? कहीं यह नीतीश कुमार की ओर से सिद्दीकी पर डोरे डालने की कवायद नहीं है? मधुबनी में मोहम्मद अली अशरफ फातमी के जेडीयू में जाने के संकेत के बीच कहीं आरजेडी के कद्दावर मुसलमान नेताओं को अपने साथ जोड़ने की नीति पर तो नहीं चल रहे हैं नीतीश कुमार? ऐसे दबावों के बीच ही आरजेडी का रुख मुलायम हो सकता है जो जेडीयू की ओर भौहें चढ़ाकर देख रहा है।

अब्दुल बारी सिद्दीकी हों या राबड़ी देवी दोनों की प्रतिक्रियाओं से नीतीश की सियासत की राह में कोई रोड़ा नहीं दिख रहा। नीतीश के लिए एक और विकल्प एक बार फिर से खुलता दिख रहा है।

यह भी संयोग नहीं है कि आरएसएस के लोगों की निगरानी कराने की बात पुलिस से लीक हुई है। टाइमिंग बताती है कि लीक करने के पीछे भी सियासत है। नीतीश कुमार साफ संदेश देना चाहते हैं कि उन्हें बीजेपी और संघ के कुनबे में अच्छा महसूस नहीं हो रहा है।

तीन तलाक,  सिद्दीकी से मुलाकात और संघ नेताओँ की निगरानी की घटनाओं के आलोक में अगर नीतीश की सियासत को देखें तो यह साफ हो गया लगता है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं को दबाव में रखने का मन बना लिया है। यही वजह है कि डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी को तुरंत यह घोषणा करनी पड़ गयी कि अगला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बीजेपी लड़ेगी। अब देखना है कि ऊंट क्षमा करें, नीतीश किस करवट बैठते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *