जलमार्ग क्रांति : व्यापार की गंगा
गंगा नदी जल मार्ग बन गयी। परिवहन का आधार बन गयी। हल्दिया से चला विशाल कंटेनर कार्गो। स्वागत को तैयार पटना। रच गया इतिहास। ज़िन्दा हो गया जल परिवहन। अविश्वसनीय सच्चाई। एक भगीरथ प्रयास।
खाद्य तेल से भरे 52 कंटेनर लेकर एमवी भाव्या कार्गो हल्दिया से पटना के लिए जब रवाना हुआ तो यह जल परिवहन की दुनिया में एक क्रांति का आग़ाज़ था। 922 किलोमीटर का सफर, कई पड़ाव मिले, कोई छोटा कस्बा, कोई बड़ा शहर। दिन में यात्रा, रात में विश्राम। बढ़ते चले कि मिलेगा मुकाम। गंगा नदी पर सबसे विशाल कार्गो कंटेनर की इस उपलब्धि के पीछे है अडानी लॉजिस्टिक। अडानी इनलैंड वाटरवेज़ के सीईओ अनिल किशोर सिंह ने जल परिवहन के क्षेत्र में अपने प्रयासों की अहमियत बताते हुए कहा,
“हमने नदी से परिवहन शुरू करने की कोशिश की है क्योंकि इसमें खर्च कम आता है और इसका फायदा कई उद्योगों को मिलेगा। इसे शुरू करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है। हम अब भी लागत कम करने पर काम कर रहे हैं।”– अनिल किशोर सिंह, CEO, अडानी इनलैंड वाटरवेज़
इनलैंड वाटरवेज ऑफ इंडिया के प्रमुख प्रवीर पाण्डे के नेतृत्व में पुराने प्रतिमान बदले जा रहे हैं। सड़क परिवहन के विकल्प के रूप में उन्होंने जल परिवहन को खड़ा करने की कोशिश की है। हालांकि अभी इस मकसद को पूरा करने में वक्त लगेगा। IWAI का लक्ष्य है कि 2023 तक कार्गो परिवहन को 120 मिलियन टन कर दिया जाए। मालवाहक एमवी भाव्या 2000 मीट्रिक टन का वजन ढो सकता है जो किसी रेलवे रैक की परिवहन क्षमता 3800 मीट्रिक क्षमता से काफी कम है। मगर, इसके फायदे बड़े हैं।
जलमार्ग से होने वाले फायदे
- सड़क मार्ग की तुलना में 70% सस्ता
- ज़मीन अधिग्रहण जैसी कोई समस्या नहीं
- उद्योगों को बड़ी राहत मिलेगी
- सस्ते में कच्चे माल उद्योग तक पहुंचेंगे
- सड़क पर वाहनों का बोझ घटेगा
- पर्यावरण में सुधार होगा
इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी IWAI ने इससे पहले फेयरवे, बर्थिंग, रिवर इन्फॉर्मेशन सिस्टम और नाइट नेविगेशन की सुविधाओं को मजबूत किया। नेविगेशन के लिए नदी में 3 मीटर की गहराई सुनिश्चित की। गंगा नदी पर बड़े कार्गो के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम किया जा रहा है।
जलमार्ग विकास परिवहन के पहले चरण में हल्दिया से वाराणसी के लिए यह सेवा शुरू हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवम्बर 2018 में वाराणसी में गंगा नदी पर भारत के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल का उद्घाटन किया था। तब उन्होंने कोलकाता से अंतरदेशीय जलमार्ग परिवहन के जरिए देश के पहले कार्गो का स्वागत किया था।
राज्यों-शहरों को जोड़ता है NW 1
नेशनल वाटरवेज़ 1 पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रमुख शहरों प्रयागराज, वाराणसी, पटना, हावड़ा, कोलकाता, हल्दिया को जलमार्ग से जोड़ता है। महत्वपूर्ण नोडल प्वाइंट पर लॉजिस्टिक हब्स भी बनाए जा रहे हैं। इसमें डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी DFCCIL भी मदद कर रहा है।
हल्दिया से पटना तक 922 किमी की दूरी को नदी के रास्ते सुगम बनाया गया है। इसी साल दिसम्बर तक यहां नाइट नेविगेशन सिस्टम का काम पूरा हो जाएगा। जनवरी से रात में भी गंगा में मालवाहक जहाज का परिवहन सम्भव हो जाएगा। रात में जल परिवहन के लिए वाराणसी से पटना के बीच 4 बेस स्टेशन और एक कंट्रोल स्टेशन की स्थापना की जाएगी।
मजबूत हो रहा है जलमार्ग
- नदी पर आवागमन व्यवस्था पर ध्यान
- मजबूत की जा रही है सूचना प्रणाली
- डिजिटल पोजिशनिंग सिस्टम से जोड़ने की कोशिश
- फरक्का, साहिबगंज, हल्दिया, वाराणसी में मल्टी मॉडल टर्मिनल
- हल्दिया से फरक्का तक 7 बेस, दो कंट्रोल, 30 वेसल स्टेशन
- फरक्का से पटना तक 6 बेस, एक कंट्रोल स्टेशन
जलमार्ग से जुड़े इस प्रोजेक्ट के जरिए नदी में आवागमन व्यवस्था और नदी से जुड़ी सूचना प्रणाली को मजबूत करने की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा इसे डिजिटल पोजिशनिंग सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। फरक्का, साहिबगंज, हल्दिया और वाराणसी में नेविगेशन से जुड़े महत्वपूर्ण मल्टीमॉडल टर्मिनल बनाए जा रहे हैं। हल्दिया से फरक्का तक 7 बेस, दो कंट्रोल और 30 वेसल स्टेशन हैं। फरक्का से पटना तक 6 बेस और एक कंट्रोल स्टेशन बनाए गये हैं।
इन लैंड वाटरवेज़ अथॉरिटी ऑफ इंडिया की निगरानी में जल मार्ग विकास प्रॉजेक्ट विश्व बैंक की मदद से परवान चढ़ रहा है। अगली कोशिश है कि वाराणसी और हल्दिया के बीच नदी में 2000 टन तक का वजन ले जाने की स्थिति बनायी जाए। आने वाले समय में देशभर में जलमार्ग से औद्योगिक परिवहन मजबूत होगा और गंगा नदी इसका उदाहरण रहेगी।