सुषमा स्वराज : कभी विदा नहीं होंगी
लोग कह रहे हैं कि सुषमा स्वराज चली गयीं…बता रहे हैं कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उन्होंने मंगलवार की रात 10 बजकर 15 मिनट पर अंतिम सांसें लीं…मगर, हममें से हर कोई जानता है कि सार्वजनिक राजनीतिक जीवन में रहते हुए सुषमा स्वराज हिन्दुस्तान की फ़िजां में इस तरह से घुल मिल चुकी हैं कि वे जा नहीं सकतीं, उनकी सांसें हमेशा महसूस की जाती रहेंगी. ये उनकी सांसें ही थीं जो ट्विटर पर आखिरी दिखकर भी अमिट रहने वाली हैं,
सुषमा का आखिरी ट्वीट
प्रधानमंत्रीजी- आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी.
अपनी आंखें मूंद लेने से 2 घंटा 38 मिनट पहले यानी शाम 7 बजकर 23 मिनट पर सुषमाजी ने जो भावनाओं का समुंदर शब्दों में व्यक्त किया है उसमें समूचा देश सराबोर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए व्यक्तिगत रूप से यह एक ऐसा सम्मान है जिसकी बराबरी कोई अवार्ड नहीं कर सकता. पीएम मोदी ने इस भावना को अपने आंसुओं में व्यक्त भी किया है जब वे सुषमा के पार्थिव शरीर के सम्मुख खड़े दिख रहे थे.
हरीश साल्वे संभवत: आखिरी हस्ती हैं जिनसे सुषमा ने फ़ोन पर बात की और उन्हें कहा कि वे दिल्ली आकर अपनी एक रुपये की फीस जरूर ले लें. यह फीस कुलभूषण जाधव की अंतरराष्ट्रीय अदालत में पैरवी के लिए बकाया थी. मंगलवार रात 8.45 बजे उनकी सुषमा स्वराज से फ़ोन पर बात हुई थी.
हरीश साल्वे से सुषमा की आखिरी बात
“मेरी सुषमाजी से 8.50 के करीब जब बात हुई तो ये बेहद इमोशनल बातचीत थी. उन्होंने मुझसे कहा कि तुम आओ और मुझसे मिलो. मैं तुम्हें कुलभूषण जाधव केस की फीस के एक रुपये दूंगी. उन्होंने कहा कि कल छह बजे आओ.”– हरीश साल्वे
मतलब ये कि मौत से करीब डेढ़ घंटे पहले सुषमा यह सुनिश्चित कर रही थीं कि उनके विदेशमंत्री रहते हुए किन्हीं का कोई उधार बाकी न रह जाए. अफसोस कि अगले दिन शाम 6 बजे तक सुषमा ज़िन्दा नहीं रह सकीं.
सुषमा का जन्म वेलेन्टाइन डे के दिन हुआ था 1952 में. जगह थी हरियाणा का अम्बाला. मोहब्बत के फूल खिलाने वाले वेलेन्टाइन डे पर जन्मीं सुषमा ने हमेशा दूसरों के जीवन में खुशियों के फूल खिलाए.
सुषमा ने दूसरों के जीवन में फूल बिखेरे
- पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय हामिद अंसारी आज सकुशल देश में हैं तो सुषमा की ही बदौलत हैं
- सऊदी अरब में फंसी जैनब बी की आखें नम इसलिए हैं क्योंकि वह उन लोगों में एक हैं जिन्हें सुषमा ने सुरक्षित वतन वापस पहुंचाया,
- मूक-बधिर गीता को कौन भूल सकता है जिसे पाकिस्तान से सुषमा स्वराज ने भारत बुलाया, उसके परवरिश से लेकर शादी-ब्याह तक की व्यवस्था की.
- वाराणसी की कंचन के पति संतोष भारद्वाज का समुद्री डाकुओं ने अपहरण कर लिया था. कंचन का सुहाग सलामत रखने का श्रेय भी सुषमा को है.
- दिल्ली से अपहृत सोनू की पुकार सुनकर बांग्लादेश से उसे भारत लाने वाली सुषमा स्वराज ही थीं.
विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज का दिल मुसीबत में फंसे हर भारतीय के लिए धड़कता था. उनके जज्बे को उनकी भाषा में महसूस किया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि अगर आप मंगल ग्रह पर भी फंस गये हैं तो वहां भारतीय दूतावास आपकी मदद करेगा.
सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
25 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री
अटल-मोदी सरकार में मंत्री रहीं
बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं
पार्टी की महासचिव भी रहीं सुषमा
हरियाणा प्रदेश बीजेपी की अध्यक्ष रहीं
हरियाणा सरकार में भी मंत्री रहीं सुषमा
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं सुषमा स्वराज जनता सरकार में भी महज 25 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री रहीं, फिर अटल और मोदी सरकार में भी वह बतौर मंत्री शामिल रहीं. विपक्ष की नेता के तौर पर भी उन्होंने बीजेपी का सम्मान बढ़ाया. बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर वह पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने किसी भी राष्ट्रीय पार्टी की ओर से यह भूमिका निभाई. वह बीजेपी की महासचिव भी रहीं. हरियाणा की सियासत में विधायक रहने से लेकर वह पार्टी की प्रदेश प्रमुख भी रहीं. हरियाणा में बीजेपी-लोकदल सरकार में वह भी मंत्री रहीं.
सर्वश्रेष्ठ सांसद रहीं सुषमा स्वराज ने 9 बार लोकसभा का चुनाव जीता. 3 बार राज्यसभा के लिए चुनी गयीं. 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी लोकसभा सीट पर सोनिया गांधी के खिलाफ उनका चुनाव लड़ना चर्चित घटना रही. हार के बावजूद सुषमा ने ऐसी टक्कर दी कि सोनिया गांधी के बाद से कोई कांग्रेसी अब तक बेल्लारी सीट को जीत नहीं सका है.
सुषमा स्वराज प्रखर वक्ता रहीं. इस रूप में वह बीजेपी के साथ-साथ देश के लिए भी यूएन से लेकर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंच पर तलवार और ढाल बनकर प्रस्तुत हुईं.
13 दिन में वाजपेयी सरकार के गिर जाने के बाद सुषमा स्वराज ने 1996 में संसद में जो कुछ कहा था, वह चिरस्मरणीय रहेगा.
1996 में सुषमा का यादगार भाषण
”त्रेतायुग में राम के साथ यही घटना घटी…द्वापर में यही घटना युधिष्ठिर के साथ भी घटी. सिर्फ एक मंथरा और एक शकुनी की वजह से ऐसा हुआ तो आज तो हमारे सामने कितनी मंथराएं और कितने शकुनी हैं. हम सरकार में बने कैसे रह सकते हैं.”
1997 मे इंद्र कुमार गुजराल सरकार के विश्वास मत के दौरान भी सुषमा का दमदार भाषण देश ने देखा था. सुषमा ने कहा था,
जब सुषमा ने कहा- नाक भी जाएगी, जान भी
“एक पत्रकार ने पूछा था- सुषमाजी आज क्या होगा? मैंने उससे कहा या तो इस सरकार की नाक जाएगी या जान जाएगी. लेकिन उस दिन मैंने ये कल्पना नहीं की थी कि इस सरकार की एक दिन नाक जाएगी और एक दिन जान भी जाएगी.”
संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज का पाकिस्तान को आतंक की फैक्ट्री बताने वाला भाषण कौन भूल सकता है,
UN में सुषमा की पाक को दो टूक
“जब तक सीमापार से आतंक की खेती बंद नहीं होगी भारत पाकिस्तान के बीच बातचीत नहीं हो सकती. भारत हर विवाद का हल वार्ता के जरिए चाहता है किंतु वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते…..हमें चार सूत्रों की जरूरत नहीं है केवल एक सूत्र काफी है, आतंकवाद को छोड़िए और बैठकर बात कीजिए.”
सुषमा के अनगिनत भाषण हैं जो देश के प्रति उनकी मजबूत भावना को प्रकट करते हैं. देश उनके योगदान का हमेशा ऋणी रहेगा.
सुषमा स्वराज के दो आदरणीय गुरुओं में एक अटल बिहारी वाजपेयी दिवंगत हो चुके हैं, मगर दूसरे लालकृष्ण आडवाणी मौजूद हैं. उन्होंने सुषमा स्वराज के लिए शब्दों में अपनी भावनाएं समेटने की कोशिश की. ऐसी ही भावनाओं में एक है जो सुषमा स्वराज के अनोखे व्यक्तित्व को बयां करता है. आडवाणी ने कहा,
आडवाणी को याद आएंगी सुषमा
“मेरे जन्मदिन पर किसी भी साल मेरा पसंदीदा चॉकलेट केक लाना नहीं भूलती थीं सुषमा.”
श्रद्धांजलि
सुषमा स्वराज
(14 फरवरी 1952- 6 अगस्त 2019)