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कोरोना लॉकडाउन के बाद कश्मीर में फंसे प्रवासी : अवाम से जुड़े जवान

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लॉकडाउन पूरे देश में है। कोरोना मतलब कोई रोड पर ना होना। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यही मतलब समझाया है। लिहाजा दुकानें बंद हैं, सड़कों पर सन्नाटा है। न सड़क पर बसें, कारें, मेट्रो, ट्रेनें हैं न ही हवा में कोई उड़ता यात्री विमान। मगर, सड़क पर हलचल खत्म नहीं हुई है।

कश्मीर के कुपवाड़ा में हंदवारा तहसील है। यहां फंसे हैं रोजी-रोटी कमाने के लिए आए मजदूर। अब जाएं तो कहां जाएं। कैसे जाएं। रोजी छिन चुकी है, पेट खाली हैं। इन्हें तलाश है किसी फरिश्ते की, जो इनके दुखों को हर ले। सेना की वर्दी में इन्हें वो फरिश्ता मिल गया।

ना के जवान सड़क पर मदद भी कर रहे हैं और कोरोना से बचने का उपाय भी बता रहे हैं। कोरोना एक ऐसी बीमारी जो एक को होती है तो सैकड़ों को होने का डर पैदा हो जाता है।

कोरोना से डर सबको है। मगर, भूख का डर किसी और डर से बड़ा होता है। भूखे पेट कोरोना से लड़ा नहीं जा सकता। इसी सच्चाई को सेना के जवान समझ रहे हैं। अपने कर्त्तव्य से मानवता को सींच रहे हैं। तभी तो हंदवारा में फंसे मजदूर भी सेना का आभार जता रहे हैं।

कश्मीर में संकट की घड़ी में सेना जनता के साथ खड़ी है। प्रवासी मजदूर हो या स्थानीय लोग सबकी हिफाजत में सेना के जवान लगे हैं। संकट अगर इंसान को तोड़ता है, तो उन्हें आपस में जोड़ता भी है। कोरोना भी  कश्मीर के अवाम को जवान से जोड़ रहा है।

कुपवारा से ख़ान अयूब की रिपोर्ट

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