Rajasthan Election : कांग्रेस का मुख्यमंत्री कौन?
राजस्थान में चुनाव कौन जीत रहा है बड़ा सवाल नहीं है। बड़ा सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन होने वाला है? मतदान होते ही सियासत इसी विषय पर टिकने वाली है। कांग्रेस आलाकमान के लिए भी यह चुनौती ठीक वैसे ही है जैसे बीसीसीआई के सामने वनडे इंटरनेशनल के वर्ल्ड कप के लिए कैप्टन चुनने की चुनौती है- कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी हों या विराट कोहली या फिर कोई और?
सीपी जोशी हैं प्रबल दावेदार
‘कोई और’ से बात शुरू करें तो राजस्थान का जाना-पहचाना चेहरा हैं सीपी जोशी। अगर 10 साल पहले 2008 की बात करें तो कौन नहीं जानता कि कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री जोशी ही होने वाले थे, पर तब वे सिर्फ अपना चुनाव ही नहीं हारे थे, किस्मत भी हार गये थे। अशोक गहलोत को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिल गया।
हाल में ही उनकी ख़ूब चर्चा हुई थी जब उन्होंने ब्राह्म्ण की महिमा का बखान किया था…उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा सरीखे साध्वी की जाति का ज़िक्र करते हुए हिन्दू धर्म पर उनकी टीका-टिप्पणियों को चुनौती दी थी। हालांकि राहुल गांधी की आंखें सख्त होते ही सीपी जोशी ने माफी मांगने में देरी नहीं की थी।
पीसी जोशी को रघु शर्मा से तगड़ी चुनौती
एक और कारण है जिस वजह से सीपी जोशी का दावा कमज़ोर हुआ लगता है। कांग्रेस ने सीपी जोशी के रहते नया ब्राह्मण चेहरा खड़ा किया है रघु शर्मा के रूप में। अजमेर से सांसद चुने गये रघु शर्मा को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाकर एक तरह से सीएम पद के लिए नया दावेदार भी कांग्रेस ने तैयार कर रखा है। अगर ब्राह्मण चेहरा कांग्रेस को पसंद आया तो सीपी जोशी और रघु शर्मा में कोई एक कांग्रेस आलाकमान की पसंद होगा।
अशोक गहलोत में क्या ख़राबी है?
अशोक गहलोत में क्या ख़राबी है? दो-दो बार कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे हैं। पिछड़ी जाति से आते हैं। भले आदमी की छवि है। साथ ही यह भी माना जाता है कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के चहेते भी हैं। और, सबसे बड़ी बात चढ़ती उम्र में भी उन्होंने चुनाव मैदान को मजबूती से पकड़ रखा है। राजस्थान से अलग पंजाब और दूसरे राज्यों का प्रभारी बना दिए जाने के बावजूद गहलोत ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की बात नहीं मानी। ऐसा करके उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपनी मजबूत दावेदारी को बनाए रखा है।
अशोक गहलोत से ‘कौन होगा मुख्यमंत्री’ का सवाल सबसे ज्यादा बार पूछे गये हैं। याद तो होगा ही उनका जवाब, जो उन्होंने कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला की मौजूदगी में दिया था,
“कौन बनेगा करोड़पति के खेल में कोई खेल खेलने जाता है तो उसे कहां पता रहता है कि करोड़पति कौन बनेगा। ये तो आखिरी सवाल में पता चलता है कि करोड़पति कौन बनेगा।”
इसके तुरंत बाद रणदीप सुरजेवाला की प्रतिक्रिया थी
“महेंद्र सिंह धोनी का हेलीकॉप्टर शॉट।”
यानी बॉल कैसी भी हो, यह शॉट उसे हवा में उड़ा ही देता है। वाकई गहलोत के जवाब ने सवाल पूछने वाले को निरुत्तर कर दिया।
राजस्थान चुनावी अखाड़े के ‘सचिन’
अशोक गहलोत के ही जवाब में यह बात छिपी है कि मुख्यमंत्री बनने का वे दावा नहीं करते, लेकिन अंतिम पड़ाव तक खेलेंगे, यह संदेश भी स्पष्ट है। गहलोत के साथ-साथ जो सबसे अहम नाम चर्चा में है और जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के समान ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ के खेल में काफी पायदान ऊपर आ चुके हैं, वो हैं सचिन पायलट। सचिन के लिए यह बात ही अपने आप में महत्वपूर्ण है कि वह पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल गांधी से उनकी ट्यूनिंग किसी से छिपी नहीं है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष वे पहले ही बनाए जा चुके हैं। और, अगर राजस्थान विधानसभा चुनाव पर नज़र डालें तो रैलियों का शतक बनाकर वास्तव में उन्होंने चुनाव को लीड किया है, यह बात साबित कर दी है।
वसुंधरा राजे की किस्मत की तरह ही सचिन पायलट की किस्मत भी चमक सकती है। वसुंधरा राजे को मौका तब मिला था जब बीजेपी के कद्दावर नेता भैरों सिंह शेखावत उपराष्ट्रपति बनकर राजस्थान में सीएम के दावेदार का पद खाली छोड़ गये थे। उस वक्त अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे। मगर, जैसे ही 2003 के विधानसभा चुनाव में गहलोत सरकार की पराजय हुई, वसुंधरा राजे को थाली में फूलों से सजा ताज मिल गया।
सवाल ये है कि अशोक गहलोत के रहते क्या सचिन पायलट के लिए ऐसा हो पाएगा? ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ के लिए ये सवाल अशोक गहलोत से पूछा जा सकता है और इसके जवाब पर ही ये तय होगा कि राजस्थान में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का असली विजेता कौन होने वाला है?