सब पर भारी अटल बिहारी : पहली जयंती
अटल बिहारी वाजपेयी…आज उनका है पहला जन्मदिन…चौंकिए नहीं, भौतिक संसार से उनकी गैरमौजूदगी में यह पहला जन्मदिन है। आज ‘हैप्पी बर्थ डे’ नहीं कह सकते हम उनको। हम नहीं गा सकते ‘तुम जियो हजारों साल’…मगर, वाजपेयीजी ऐसी अनंत शुभकामनाओं से जीते-जी अमर हो चुके हैं। अब उनका सम्पूर्ण जीवन, उनसे जुड़ी स्मृतियां, उनके किए कार्य, उनके दिए संदेश अजर अमर हैं।
ग्वालियर में स्कूल, कानपुर में वकालत, छात्र जीवन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और राजनीतिक जीवन में जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक नेता।
पांञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन में पत्रकारिता व लेखन। कविताओं के बीच चलती रही राजनीति समस्त जीवन।
लोकसभा में चुने गये 10 बार, तो राज्य सभा में 2 बार। पहली बार मंत्री बने, जब बनी थी पहली गैर कांग्रेसी सरकार। फिर प्रधानमंत्री भी बने 13 दिन के लिए, 13 माह के लिए और 5 साल के लिए आखिरकार। पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री और पहली ऐसी सरकार के अगुआ, जिन्होंने गैर कांग्रेसी होकर भी कार्यकाल पूरा किया।
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन में पोखरण हैं अहम क्षण, करगिल में भी पताका फहराया, कावेरी विवाद भी उन्होंने सुलझाया, स्वर्णिम चतुर्भुज से लेकर निर्मल गंगा की सोच रहेगी हमेशा अजर-अमर।
बाबरी विध्वंस को काला दिन बताया, तो अयोध्या विवाद को सुलझाने की भी की कोशिश, लाहौर बस को दिखलायी हरी झंडी, तो कश्मीर में भी की शांति की पहल।
नहीं किया कभी अपना-पराया, गोधरा पर भी गुस्सा आया, गोधरा बाद दंगों को भी शर्मनाक बताया, तब के मुख्यमत्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पाठ पढ़ाया।
अटल ने गठबंधन की सियासत को प्रतिष्ठा की ऊंचाई पर अटल बनाया। 24 दलों की सरकार चलायी। फिर ऐसा वक्त भी आया, जब जनता उनकी ‘इंडिया शाइनिंग’ समझ न पायी। अटल को समझते देर न लगी। कहा यह गुजरात दंगे पर हमारी चुप्पी पर जनता का जवाब है। आरएसएस से लेकर बीजेपी तक को यह बात हजम नहीं हुई। अटल तभी से सक्रिय राजनीति से दूर होते चले गये। वह बीमार हुए। बीमारी लम्बी खिंची।
इस बीच केंद्र में दस साल यूपीए की सरकार रही। 2014 में फिर सत्ता में आयी बीजेपी। 2015 में अटल बिहारी वाजपेयी को ‘भारत रत्न’ मिला। 16 अगस्त 2018 को दुनिया को अलविदा कह गये अटल।
आज समूचा देश उनके सम्मान में है नतमस्तक। विरोधी कांग्रेस पार्टी की मध्यप्रदेश की सरकार भी आज मना रही है सुशासन दिवस। जीवन के हर क्षेत्र में अच्छाई और अच्छाई के लिए संघर्ष का प्रतीक बन चुके हैं अटल बिहारी वाजपेयी। एक नारा उनके जीते जी लगा था, वह नारा हमेशा मौजूं रहेगा। जी हां, सब पर भारी अटल बिहारी।