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कुमारस्वामी की सरकार ख़तरे में : कर’नाटक’ के पीछे कौन?

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कर’नाटक’ के पीछे कौन?

कर्नाटक सरकार पर संकट बरकरार

जेडीएस-कांग्रेस सरकार संकट में

ख़तरे में है कुमारस्वामी की कुर्सी

दो निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस लेने की चिट्ठी क्या डाली, कुमारस्वामी सरकार संकट में आ गयी। क्या संकट महज दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन और विरोध की वजह से हुआ है? नहीं, संकट के लक्षण और भी हैं।

कर्नाटक विधानसभा : संकट के और भी हैं लक्षण

कांग्रेस के 4-5 विधायक लापता  हैं। बीजेपी भी अपने 104 विधायकों में से 99 विधायकों को गुरुग्राम में सुरक्षित रखी हुई है। उसे आशंका है कि उसके विधायकों की खरीद-फरोख्त होगी। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी का दावा है कि कांग्रेस के 5 विधायकों को मुम्बई में एक होटल में रखा गया है और इसके पीछे बीजेपी है।

यह साफ है कि कर्नाटक के सत्ता और विपक्ष दोनों को अपने-अपने विधायकों के ‘चुरा’ लिए जाने की आशंका है। राजनीति में ‘जनप्रतिनिधियों की चोरी’ का यह नया खेल है। यह अनोखी चोरी है। इसमें धन लुटाए जाते हैं। अगर बीजेपी के 99 विधायक गुरुग्राम के फाइव स्टार होटल में दो दिन भी ठहरते हैं तो उनके आने-जाने और ठहरने का खर्च एक विधायक पर 3 से 4 लाख रुपये पड़ता है। यानी दो दिन में 3 से 4 करोड़ रुपये बीजेपी ने कर दिए स्वाहा।

इसी तरह अगर कांग्रेस के 5 विधायक मुंबई के किसी होटल में हैं और कर्नाटक से लापता हैं, तो उन पर हर दिन लाख रुपये से ज्यादा उन होटलों में खर्च निश्चित रूप से हो रहे होंगे। आने-जाने, छिपने, रहने का खर्च अलग।

अजी ये रकम तो बहुत मामूली है। विधायकों की निष्ठा खरीदने के लिए तो पार्टियां पानी की तरह पैसा बहा सकती हैं। लेकिन, क्यों? इससे पहले कि इस पहेली को समझें आइए नज़र डालते हैं कर्नाटक विधानसभा के गणित पर।

कर्नाटक विधानसभा में दलगत स्थिति

कुल सदस्य                              224

मैजिक फिगर                           113

कांग्रेस                                       80

जेडीएस                                     37

बीएसपी                                     01

बीजेपी                                      104

अन्य                                           02

कुमारस्वामी की सरकार को कांग्रेस और बीएसपी के समर्थन के बाद कुल 117 विधायकों का ठोस समर्थन है। यह स्थिति तब है जब दो निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है। अगर लापता 5 विधायक भी बागी हो जाते हैं तब भी कुमारस्वामी की सरकार पर कोई ख़तरा नहीं होता, क्योंकि तब संख्या रह जाएगी 112. मगर, विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वे कांग्रेस के सदस्य असंबद्ध हो जाएंगे।

कर्नाटक में BJP के लिए है ‘रास्ता’

कुमारस्वामी सरकार को गिराने के लिए बीजेपी के पास रास्ता ये है कि {gfx in } वह निर्दलीय विधायकों को अपने साथ जोड़कर अपनी संख्या 104 से बढ़ाकर 106 या 107 कर ले। इस मकसद में वह कामयाब हो चुकी है। इससे आगे उसकी कोशिश है कि कर्नाटक विधानसभा में सदस्यों की संख्या को 224 के बजाए 212 हो जाए। यानी 12 विधायकों से सदन की सदस्यता से इस्तीफा दिलाया जाए। {gfx out} उस स्थिति में किसी पर दल बदल विधेयक भी लागू नहीं होगा और बीजेपी अपने 106 या 107 विधायकों के साथ ही बहुमत में भी आ जाएगी।

दरअसल कर्नाटक में बीजेपी फूंक-फूंक कर चाल चल रही है। एक बार सदन में बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने की वजह से बीजेपी की किरकिरी हो चुकी है। बीजेपी की कोशिश राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देने की है कि गठबंधन की सरकार प्रदेश या देश के हित में नहीं होती। कर्नाटक को उदाहरण के तौर पर पेश करना चाहती है बीजेपी।

कर्नाटक में माहौल ऐसा है कि दोनों पक्ष खुलकर एक-दूसरे को तोड़ने की बात कर रहे हैं। येदियुरप्पा के नजदीकी दावा कर रहे हैं कि बीजेपी के पास 12 कांग्रेस विधायकों का समर्थन पहले से है और 5 अन्य विधायकों के समर्थन का इंतज़ार है। वहीं मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है और कहा है कि वह ऑपरेशन लोटस 3 चला रही है।

कर्नाटक में खरीद-फरोख्त का यह खेल राष्ट्रीय नेतृत्व की मर्जी के बगैर नहीं चल सकता। अगर राजनीतिक दल के शीर्ष नेतृत्व चाहें तो अपने-अपने नेताओं को फटकार लगाकर इसे तुरंत बंद करा दे। वह चाहें तो यह घोषणा कर दे कि बहुमत नहीं है इसलिए हम सरकार बनाने के बारे में नहीं सोचते। मगर, क्या ऐसा हो पाएगा? क्या लोकतंत्र को दागदार होने से बचाया जा सकता है?

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