मिशन 2019 : बिहार में बलि क्यों चढ़ रहे हैं बाहुबली!
दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी….आधे से ज्यादा हिन्दुस्तान पर जिसका फहरा रहा है पताका…वो बीजेपी क्यों हो गयी है इतनी मजबूर…कि बिहार में हैं इसके 22 सांसद…मगर चुनाव लड़ेगी महज 17 सीटों पर!
चुनावी राजनीति की ये मजबूरी…बिहार में गठबंधन की सियासत के लिए है जरूरी। मगर, राजनीति में कोई जीती हुई सीटें भी छोड़ता है क्या?
ये न्यू इंडिया की न्यू पॉलिटिक्स है। सरकार बननी चाहिए। भले ही सांसद या विधायक कम हों। भूल गये क्या मणिपुर और मेघालय? बीजेपी के पास हैं महज 2 सीटें। मगर, उसके पास है सरकार।
अनोखा उदाहरण है बिहार। रातों रात परायी सरकार को बीजेपी ने अपना बना लिया था। हकीकत के महागठबंधन को सपना बना दिया था। नीतीश कुमार के डीएनए को कोसते-कोसते एनडीए में बदल दिया था।
बिहार में NDA का फॉर्मूला
अब मौका है 2019 का। बिहार में हैं 40 लोकसभा की सीटें। बीजेपी-जेडीयू खेल सकते थे 20-20, उपेन्द्र कुशवाहा जा चुके थे एनडीए छोड़कर, पासवान भी कर रहे थे टेढ़ी नज़र। कहीं बिगड़ न जाए चुनावी खेल, यही था बीजेपी के सामने डर। फॉर्मूला निकल आया 17-17. एलजेपी 6 सीटे पाकर कर रही है तक धिनाधिन तक धिनाधिन।
चुनाव से पहले ही बीजेपी दे रही है कुर्बानी। 5 सीटों का बलिदान। जेडीयू ले रहा है बीजेपी की बलि। कुशवाहा बलि सुनकर ही भागे थे, पासवान भी बलि चढ़ना नहीं, बलि लेने को थे उतावले। यूपी में एक सीट और राज्यसभा में भी एक का मिला जब चढ़ावा, तब कहीं पड़े नरम उनके तेवर। यहां भी बीजेपी, देती दिखी बलि। मोदी-शाह की जोड़ी इतनी लाचार हो गयी कि ये दोनों बाहुबलि अब दे रहे हैं बीजेपी के हितों की बलि।