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दिल्ली हो या बिहार, शरद पवार ने जोड़े तार

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शरद पवार ने बनायी बात। दिल्ली से लेकर बिहार तक सहयोगी जुटे कांग्रेस के साथ। अब और रोचक हुआ 2019 का संग्राम। नतीजों का इंतज़ार रहेगा अपनी-अपनी सांसें थाम।

बिहार में कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, तो आरजेडी 20 सीटों पर। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को मिली हैं 4 सीटें तो हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा लड़ेगा 3 सीटों पर। मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी और शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल को दो-दो सीटें मिली हैं।

दिल्ली में सीटें तय नहीं हुई हैं मगर मिलकर लड़ना तय हो चुका है। तय तो उसी दिन हो चुका था जब कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओँ से राय मांगी थी कि उसे आम आदमी पार्टी के साथ चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं। फिर भी, सीटों के बंटवारे से लेकर दूसरे कारणों से इसे सम्भावनाओं को खुला रखने से ज्यादा नहीं कहा जा सकता था। खुद कांग्रेस में शीला दीक्षित ने इस सर्वेक्षण पर आपत्ति जताकर गठबंधन की सम्भावना पर पानी फेर दिया था। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता लगभग गिड़गिड़ाने जैसी हालत में प्रतिक्रिया दे रहे थे। वे कभी कांग्रेस को कोसते, कभी कांग्रेस को अहंकारी बताते कि वह गठबंधन करना नहीं चाहती।

दिल्ली हो या बिहार, शरद पवार ने जोड़े तार

ऐसे में शरद पवार की दिल्ली में एन्ट्री ने कांग्रेस के तेवर को भी टोन डाउन किया और गठबंधन की अहमियत और जरूरत की ओर बीजेपी विरोधी दलों का ध्यान भी दिलाया। मंगलवार की देर रात तक माथापच्ची का नतीजा यही हुआ है कि शरद पवार सबको जोड़ने में कामयाब रहे हैं।(GFX 2 OUT)

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इस बात को समझा है कि विगत चुनाव में अगर दोनों दलों के वोटों को जोड़कर देखा जाए तो दिल्ली की सभी 7 सीटें बीजेपी से छीनी जा सकती हैं। शरद पवार ने यह बात भी सबको समझायी कि चुनाव के बाद एक-एक सीट की अहमियत रहेगी। 7 सीटें सरकार बनाने के ख्याल से बड़ा फर्क पैदा करेगी।

कांग्रेस को समझ शरद ने समझायी बात

शरद पवार ने कांग्रेस को समझाया कि वह बिहार को उत्तर प्रदेश समझने की भूल ना करें। बिहार में दुश्मन सिर्फ बीजेपी नहीं, जेडीयू और एलजेपी भी है। जब बीजेपी 5 सिटिंग सीट छोड़कर जेडीयू से तालमेल कर सकती है तो कांग्रेस को एक या दो सीटों के लिए महागठबंधन की राह में रोड़े नहीं अटकाना चाहिए। कुर्बानी तो आरजेडी भी दे रहा है। सहयोगी दलों को जोड़ना है तो कुर्बानी देनी होगी।

बिहार के लिए लालू प्रसाद का दूत बनकर और दिल्ली में कांग्रेस और आप दोनों का मध्यस्थ बनकर शरद पवार ने यह 2019 के लिए बीजेपी के विरोध में मजबूत खम्भा गाड़ दिया है। अब बिहार और दिल्ली दोनों जगहों पर एनडीए की राह मुश्किल हो गयी है। इसलिए तो शरद पवार माने जाते हैं राजनीति के चाणक्य।

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