गडकरी क्या अनजाने में लेते हैं नरेंद्र मोदी से पंगा !
लोकतंत्र की खुबसूरती यही होती है कि जब विपक्ष कमज़ोर होने लगता है तो अपनों में से ही विपक्ष पैदा हो जाता है। जो बात विरोधी नहीं बोल पाते, वो अपने ही बोलने लगते हैं। केन्द्र में बेहद मजबूत नरेंद्र मोदी की सरकार को अपने ही कैबिनेट मंत्री और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से लगातार हमले झेलने पड़े हैं। हमले का स्वरूप भी ऐसा है कि गडकरी बोल भी देते हैं और फिर कहा जाता है कि ऐसा उन्होंने बोला ही नहीं। या फिर, उनके कहने का मतलब ही कुछ और था। ये तो मीडिया ने ऐसा कह दिया, वैसा कह दिया।
नेहरू की तारीफ कर बैठे गडकरी
बात ताज़ातरीन गडकरी के बयान से करें। इसमें यू टर्न वाली बात भी नहीं है। गडकरी ने सिर्फ पंडित जवाहरलाल नेहरू की तारीफ की है।
एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है, ”सिस्टम को सुधारने को दूसरे की तरफ उंगली क्यों करते हो, अपनी तरफ क्यों नहीं करते हो? जवाहर लाल नेहरू कहते थे कि इंडिया इज़ नॉट ए नेशन, इट इज़ ए पॉपुलेशन। इस देश का हर व्यक्ति देश के लिए प्रश्न है, समस्या है। उनके भाषण मुझे बहुत पसंद हैं। तो मैं इतना तो कर सकता हूं कि मैं देश के सामने समस्या नहीं बनूंगा।”
गडकरी चाहते तो अपनी बात कहने के लिए किसी और का उदाहरण रख सकते थे। मगर, उन्होंने पंडित नेहरू का उदाहरण रखा, जिनके नाम पर आए दिन नरेंद्र मोदी कुछ न कुछ बुरा बोलते रहते हैं। नरेंद्र मोदी गाहे-बगाहे पंडित नेहरू और गांधी परिवार को देश की समस्या की जड़ बताते रहे हैं।
नेतृत्व के बहाने मोदी-शाह की जोड़ी पर निशाना
नितिन गडकरी ने हाल ही में तीन राज्यों में बीजेपी की करारी हार के बाद भी अपने बयान से बीजेपी के भीतर खलबली मचा दी। गडकरी ने कहा था,
“नेतृत्व को अपनी हार और असफलताओं को स्वीकार करने की वृत्ति (स्वभाव) होनी चाहिए।“
गडकरी ने दूसरे शब्दों में भी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे, उन्होंने कहा,
“अगर मैं पार्टी अध्यक्ष हूं। और मेरे सांसद और विधायक अच्छा नहीं कर रहे हैं तो जिम्मेदार कौन है? मैं हूं।”
नितिन गडकरी के बयान पर हंगामा बरपा, तो उन्होंने विरोधी दलों और मीडिया के एक सेक्शन पर नेतृत्व के साथ उनकी गलतफहमी बढ़ाने की साजिश करार दिया।
बड़े-बड़े वादे करने का राज खोला
इससे पहले नितिन गडकरी का नाना पाटेकर के साथ बातचीत करते एक वीडियो वायरल हुआ था जो एक मराठी टीवी चैनल से जुड़ा था। उस वीडियो को राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया था। तब नितिन गडकरी ने चुटकी ली थी कि राहुल गांधी को मराठी समझ में नहीं आती। पहले उन्हें मराठी समझ लेनी चाहिए थी। हम आपको बताते हैं कि नितिन गडकरी ने क्या कहा था। उन्होंने कहा-
”हमें उम्मीद नहीं थी कि हम सत्ता में आएंगे। इसलिए हमें सलाह दी गई कि जनता से बड़े-बड़े वादे करो…अब हम सत्ता में आ गए हैं, तो लोग हमें हमारे वादे याद दिलाते हैं। लेकिन अब हम मुस्कुराते हुए आगे बढ़ जाते हैं।“
दरअसल नितिन गडकरी ने जो बात कही थी, उसे 15 लाख के जुमले से जोड़ा गया। हालांकि नितिन गडकरी ने बाद में अपनी सफाई में ये बात साफ किया कि उन्होंने अपने शब्दों में 15 लाख या नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया था।
अब कहने की जरूरत नहीं कि राजनीति में बयानों के अर्थ संदर्भ से समझे जाते हैं। हर बार नाम लेने की आवश्यकता नहीं होती।