क्या राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में नहीं हारी बीजेपी?
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को यही संदेश दिया है। बीजेपी अध्यक्ष का यह बयान चौंकाने वाला है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की सरकारें चली गयीं। फिर भी, बीजेपी को लगता है कि उसकी हार नहीं हुई!
क्या नेतृत्व अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है?
न केन्द्रीय नेतृत्व ने इन तीन राज्यों में हार की जिम्मेदारी ली, न ही प्रदेश के नेतृत्व ने। हार के कारणों की समीक्षा की बात जरूर की गयी। मगर, समीक्षा के सागर मंथन से जो सामने निकल कर आया है वह अमृत जैसा नहीं लगता। आखिर तीन राज्यों में हार को हार नहीं मानकर मिशन 2019 में बीजेपी कैसे कामयाब हो सकती है!
शायद बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी को इस बारे में पहले से आशंका थी कि वर्तमान नेतृत्व केवल सफलता का श्रेय लेने वाला नेतृत्व है, हार की जिम्मेदारी लेने वाला नहीं। यही वजह है कि उन्होंने खुलकर अपनी अपेक्षा सामने रख दी थी।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2019 के पहले इंटरव्यू में तीन राज्यों में हार को लेकर केवल छत्तीसगढ़ में अपनी हार मानी थी। बाकी राज्यों में पराजय को मानने से उन्होंने भी परहेज किया। नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सबकुछ जीत और हार नहीं होती…
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन राज्यों में अपनी हार को मानने में दिक्कत हो रही है। मगर, चुनाव नतीजों से जुड़े जो तथ्य हैं वह बीजेपी की हार का डंका पीट रहे हैं। आइए उस पर गौर करते है-
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के चुनाव नतीजे
तीनों राज्यों में सत्ता से बेदखल हो गयी BJP
मध्यप्रदेश में BJP के वोट 3.8 फीसदी घट गये
छत्तीसगढ़ में 7.29%, राजस्थान में 6.37% वोट घटे
मध्यप्रदेश में BJP 56 सीटें हार गयी
छत्तीसगढ़ में 34 सीटों का नुकसान हुआ
राजस्थान में 90 सीटें खोनी पड़ी
अगर चुनाव नतीजों के ये आंकड़े बीजेपी का नेतृत्व नहीं पढ़ पा रहा है तो यह आश्चर्य का विषय है। अब उस बात की भी चर्चा कर लेते हैं जिसका जिक्र बीजेपी नेतृत्व बार-बार करती है।
BJP इसलिए नहीं मानती हार
मध्यप्रदेश में BJP को कांग्रेस से ज्यादा वोट
कांग्रेस से 0.1 फीसदी वोट अधिक मिले
मध्यप्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले। कांग्रेस से 0.1 फीसदी वोट बीजेपी को ज्यादा मिले हैं। यह बढ़त विगत चुनाव में 8.5 फीसदी की थी। यानी विगत चुनाव के मुकाबले बीजेपी ने 8.4 फीसदी अपनी बढ़त खो दी। कहने की जरूरत नहीं कि फायदा कांग्रेस को हुआ। अगर बीजेपी अब भी 0.1 फीसदी वोट की बढ़त को अपने लिए टॉनिक मान रही है तो विरोधी भी उन्हें बधाई देंगे कि कि ऐसा ही टॉनिक वे 2019 के आम चुनाव के बाद भी हासिल कर लें। ऐसे नतीजे उन्हें तब भी मुबारक हों।