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क्या है ‘शाहीन बाग’ के मायने?

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शाहीन बाग

एक आंदोलन

महिलाओं के नेतृत्व वाला आंदोलन

CAA के विरोध में आंदोलन

NRC और NPR का भी विरोध

कड़कड़ाती ठंड में भी

डेढ़ महीने से जारी है आंदोलन…

 

शाहीन बाग आंदोलन

क्या यह राष्ट्रविरोधी है?

क्या पाकिस्तान की शह पर है आंदोलन?

क्या PFI जैसे संगठन हैं आंदोलन के पीछे?

क्या 500 रुपये लेकर धरने पर बैठ रही हैं महिलाएं?

क्या कांग्रेस है आंदोलन के पीछे?

क्या ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ हैं आंदोलन के पीछे?

 

शाहीन बाग आंदोलन को लेकर ये प्रश्न भी पूछे जा रहे हैं…लगातार… न सिर्फ बीजेपी पूछ रही है, बल्कि मीडिया का एक धड़ा भी आंदोलनकारियों से सवाल पूछ रहा है….

प्रश्न नहीं पूछे जा रहे हैं तो सरकार से, जिनके खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं…अब तक केंद्र सरकार ने आंदोलनकारियों से बात करने की पहल नहीं की है…इसके बजाए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एलान किया है कि चाहे जो हो जाए सीएए से पीछे नहीं हटेगी सरकार….

 

शाहीन बाग का दिल्ली चुनाव कनेक्शन

अमानतुल्लाह ख़ान पर आरोप लगे

छात्रों को भड़काने के आरोप

अब खामोश हैं अमानतुल्लाह

चुप है आम आदमी पार्टी

नज़र मुस्लिम नहीं, हिन्दू वोटों पर

शाहीन बाग आंदोलन के रास्ते में आ गया है दिल्ली चुनाव…यह दिल्ली चुनाव ही है कि जिस आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान पर छात्रों को भड़काने के आरोप लगे, वो आगे चलकर खामोश हो गये। आम आदमी पार्टी चुप हो गयी क्योंकि दिल्ली चुनाव में पार्टी की नज़र मुस्लिम वोट से ज्यादा हिन्दू वोटों पर रही है। वह इस वोट बैंक को अपने से दूर करना नहीं चाहती है। {GFX 3 OUT}

चुनाव पूर्व तमाम सर्वे बता रहे हैं कि आम आदमी पार्टी बड़ा बहुमत लेकर एक बार फिर आने वाली है…ऐसे में बीजेपी की रणनीति है कि किसी तरह शाहीन बाग आंदोलन का इस्तेमाल किया जाए…

 

शाहीन बाग का दिल्ली चुनाव कनेक्शन

अमित शाह ने शाहीन बाग का मसला उठाया

एक इंच पीछे नहीं हटने की बात कही,

प्रवेश वर्मा ने नफ़रत भरे भाषण दिए

अनुराग ठाकुर ने बुलन्द किया नारा- गद्दारों को गोली मारो

 

इतना ही नहीं हर वह कट्टरपंथी भाषा जो मुसलमानों की ओर से वायरल हुए हैं उन्हें भी बीजेपी ने शाहीन बाग आंदोलन से जोड़कर दिल्ली चुनाव में बढ़त लेने की कोशिश दिखलायी है…चाहे वह शर्जिल का  वीडियो हो या फिर आफ्रीन का…

बीजेपी की कोशिश शाहीन बाग आंदोलन को कांग्रेस से जोड़ने की भी है…बीजेपी जानती है कि मुकाबले में वह आम आदमी पार्टी से टक्कर नहीं ले पा रही है…अगर कांग्रेस थोड़ी भी मजबूत होती है तो वह आम आदमी पार्टी को ही कमजोर करेगी और अगर मुकाबला त्रिकोणीय बना तो इसका फायदा बीजेपी को सबसे ज्यादा होगा…

कांग्रेस शायद मुकाबले में आ भी नहीं पाती अगर बीजेपी ने लगातार उस पर हमले बोलकर और शाहीन बाग आंदोलन से जोड़कर ताकतवर नहीं बनाया होता…

दिल्ली चुनाव के मद्देनजर शाहीन बाग का मतलब अब आपको साफ-साफ नज़र आ रहा होगा…शाहीन बाग आंदोलन अभी जारी रहेगा…दिल्ली चुनाव तक इसके खत्म होने के आसार नहीं हैं…बीजेपी को भी यह आंदोलन सूट कर रहा है…और विरोधी दल तो इस आंदोलन के साथ खड़े हैं ही…मगर, सबसे बड़ी चिन्ता यही है कि शाहीन बाग के शांतिपूर्ण आंदोलन का कहीं कोई अपहरण ना कर ले….

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