महाराष्ट्र में असमंजस जारी
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए चार हफ्ते बीत चुके हैं मगर असली नतीजा यानी सरकार का इंतज़ार है। चुनाव से पहले जो सवाल था, वही सवाल बरकरार है। किसकी बनेगी सरकार? कौन होगा मुख्यमंत्री?
महाराष्ट्र की जनता ने बीजेपी को भी कम सीटें दी, शिवसेना को भी। फिर भी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत दिया। सरकार बनाने का जनादेश दिया। मगर, जनादेश सर आंखों पर बिठा नहीं पाया एनडीए।
शिवसेना 56 सीट लेकर 105 सीटें पाने वाली बीजेपी से सत्ता में हिस्सेदारी मांगने लगी। यह बात बीजेपी को नागवार गुजरी। शिवसेना ने मातोश्री में हुई बातचीत याद दिलायी। देवेन्द्र फडणनवीस को गवाह बताया। अमित शाह का वादा याद दिलाया। मगर, लाख कोशिश करने के बावजूद बीजेपी को वह वादा याद नहीं आया।
उद्धव ठाकरे को महसूस हुआ मानो उनके सहयोगी उन्हें झूठा कह रहे हों। उद्धव आगबबूला हो गए। बातचीत बंद कर दी। बीजेपी को भरोसा था कि सरकार बनाते वक्त आखिरकार शिवसेना मान जाएगी। 9 दिसम्बर को महाराष्ट्र विधानसभा की मियाद पूरी हो रही थी। आनन-फानन में राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए देवेंद्र को न्योता दिया। मगर, न्योता बेकार। शिवसेना का फैसला अटल रहा।
दूसरा मौका खुद शिवसेना को मिला। मगर, 24 घंटे के भीतर बहुमत का समर्थन जुटाना मुश्किल हो गया। राज्यपाल ने और समय देने से इनकार कर दिया। अगली बारी एनसीपी की थी। मगर, एनसीपी ने 24 घंटे पूरे होने का इंतज़ार किए बगैर और वक्त मांग लिया। नतीजा हुआ राष्ट्रपति शासन।
अब महाराष्ट्र में नयी सरकार के लिए पूरे 6 महीने का समय है। यह समय बीजेपी के लिए भी है जो सरकार बनाने में असमर्थता जता चुकी थी। बाकी दलों के लिए भी है यह समय जिनमें शिवसेना और एनसीपी ने और वक्त मांगा था। अब तक जो कोशिश चली है उसके मुताबिक शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनने के आसार हैं। मगर, यह अब तक सम्भव नहीं हो पा रहा है क्योंकि कांग्रेस पसोपेश में है।
पसोपेश में कांग्रेस
सामने है झारखण्ड में विधानसभा चुनाव
आगे है दिल्ली में विधानसभा चुनाव
आहत हो सकते हैं मुसलमान
केरल कांग्रेस भी जता रही है आपत्ति
शरद पवार और सोनिया गांधी तीन-तीन बार मिल चुके हैं लेकिन सरकार बनाने पर सहमति नहीं बन पायी है। वहीं, कांग्रेस में ऐसे लोग भी हैं जो महाराष्ट्र में सरकार बनाने के पक्ष में राय रखते हैं। इनमें महाराष्ट्र कांग्रेस सबसे आगे है। ये चाहते हैं-
महाराष्ट्र में सरकार बनाए कांग्रेस
हिन्दुत्ववादी ताकतें कमज़ोर होंगी
एनडीए तोड़ने का है मौका
महाराष्ट्र में मजबूत होगा यूपीए
विचारों के दो पाटों में पिस रही कांग्रेस अनिर्णय की स्थिति में है। इसी मौके पर संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियासत के मैदान में चौका जड़ दिया। एनसीपी की शान में कसीदे गढ़ दिए। कहा- एनसीपी और बीजेडी से सीखने की जरूरत है जो कभी संसद के भीतर हंगामा करते वेल तक नहीं पहुंचे।
अब कयास एक बार फिर तेज है। कहीं बीजेपी-एनसीपी एक तो नहीं हो जाएंगे सरकार बनाने के लिए? दो दिन पहले ही शरद पवार ने ऐसी सम्भावना से इनकार किया था। मगर, इस मौसम में इनकार या इकरार के तब तक कोई मायने नहीं हैं जब तक कि सम्भावनाएं बाकी होती हैं।
कांग्रेस को डर है कि सरकार बनाने की कोशिश न दिखलाए तो पार्टी के विधायक टूट सकते हैं। यही डर एनसीपी को भी है। शिवसेना भी इसी वजह से सत्ता के लिए आक्रामक दिख रही है। ऐसे में बीजेपी के पास भी विरोधियों को तोड़ने और सरकार बनाने के अवसर हैं। यही कारण है महाराष्ट्र में सरकार बनाने के विकल्प खुले हुए हैं। अगर शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार बनाने में देरी करती हैं तो कहीं ऐसा न हो कि बीजेपी यह मौका उनके हाथ से ले उड़े। विधायक तो टूटकर भागेंगे ही, बनती हुई सरकार भी हाथ से फिसल जाएगी। तब कांग्रेस के मुंह से निकलेगा- चिड़िया चुग गयी खेत।