Mon. Dec 23rd, 2024

Loksabha Elections 2019 : मझधार में कांग्रेस या होगा चमत्कार?

Featured Video Play Icon

यूपी में कांग्रेस सभी 80 सीटों पर ताल ठोंकने का जज्बा दिखा रही है। लोग मुस्कुरा रहे हैं। कांग्रेस का दावा है कि वह 42 सीटें जीत रही हैं। आप पूछेंगे 42 क्यों, 45 क्यों नहीं या फिर 40 क्यों नहीं? 42 इसलिए कि यह 2009 में कांग्रेस के प्रदर्शन का दुगुना है। तब कांग्रेस ने 21 लोकसभा की सीटें जीती थीं और उसका सारा श्रेय राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश में मेहनत को मिला था। तब राहुल की वह आरम्भिक राजनीतिक सफलता थी, अब तो राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में 14 साल बाद कांग्रेस का पताका लहराया है। राजस्थान में भी कांग्रेस ने वापसी की है। मगर, क्या यूपी में ऐसा हो सकता है?

क्या यूपी में कांग्रेस ज़िन्दा हो सकती है?

यूपी में एसपी और बीएसपी ने मजबूत ओबीसी-एससी समीकरण खड़ा कर लिया है। कांग्रेस को साथ लेने का ‘जोखिम’ इस गठबंधन ने नहीं उठाया है। मगर, कांग्रेस की अपनी सोच है। एमपी-छत्तीसगढ़ में भी तो दोनों दलों ने कांग्रेस के साथ ऐसा ही किया था। वहां तो हम सरकार बना बैठे। मगर, क्या इस बात को भुला दिया जाए कि छत्तीसगढ़ में जो बीएसपी की हैसियत थी, वही हैसियत कांग्रेस की यूपी में है?

कभी यूपी की 85 में 83 सीटें थीं कांग्रेस के पास!

जी हां। ये सच है। अखण्ड उत्तर प्रदेश की 85 में से 83 सीटें कभी कांग्रेस के पास हुआ करती थी। वह वक्त 1984 का था। ऐसे में वर्तमान उत्तर प्रदेश की 80 में से 71 सीटें जीतने वाली बीजेपी को डबल फिगर में नहीं पहुंचने देने का दावा जब एसपी-बीएसपी कर सकती है, तो कांग्रेस क्यों नहीं? तब कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश में 51 फीसदी से ज्यादा वोट थे जो आज भी बीजेपी के पास नहीं है। फिर भी, अब कांग्रेस के सपने का आधार बस जज्बा है!

1989 से शुरू हुआ कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में पतन

1989 के आम चुनाव में पिछले आम चुनाव के 83 सीटों के मुकाबले कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 15 सीटों पर आ गयी थी। वोट प्रतिशत भी 51 प्रतिशत से गिरकर 31.77 फीसदी हो गया था। तब मंडल-कमंडल की राजनीति शबाब पर थी। 1991 में कांग्रेस के वोट और भी कम हो गये। महज 18.02 फीसदी। सीटें तो एक तिहाई हो गयीं। मात्र 5. इस बीच उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठजोड़ हुआ। प्रदेश में बीजेपी की सरकार आयी और गयी। मगर, जब 1996 आया तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार घटकर 8.14 फीसदी हो चुका था। हालांकि सीटें नहीं घटीं, 5 सांसद चुन कर जरूर लोकसभा पहुंचे।

यूपी में कांग्रेस के लिए सबसे बुरा रहा 1998

1998 कांग्रेस के लिए सबसे बुरा रहा। महज 6.02 फीसदी वोट मिले थे तब। कांग्रेस एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई थी। रायबरेली और अमेठी सीटें भी BJP की झोली में गयीं। हालांकि 1998 तक सोनिया और राहुल की राजनीतिक पारी का आग़ाज़ नहीं हुआ था।

कांग्रेस ने 1999 के आम चुनाव में वापसी की। न सिर्फ 10 लोकसभा सीटें जीतीं, बल्कि 14.72 फीसदी वोट भी हासिल किए। 2004 में वोट थोड़ा कम हुआ और सीटें भी एक घटकर 9 रह गयीं। मगर, 2009 में कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की। कांग्रेस ने 21 लोकसभा की सीटें जीतकर करिश्मा कर दिखलाया। वोट प्रतिशत भी एक अर्से के बाद 18.25 हो गया। यह वह दौर था जब राहुल गांधी ने यूपी में घूम-घूम कर कांग्रेस के लिए मेहनत की थी। विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए अच्छे आंकड़े जुटाए थे।

2014 में मोदी लहर फिर बह गयी कांग्रेस

2014 में बीजेपी की लहर चली। मोदी लहर इसे बताया गया। कांग्रेस बस अमेठी और रायबरेली ही बचा पायी। मुलायम परिवार भी 5 सीटें जीतने में कामयाब रहा। बीएसपी का तो बिल्कुल सफाया हो गया। इस बार काग्रेस को 7.53 प्रतिशत वोट मिले।

कांग्रेस को विश्वास है कि 1999 के बाद से पार्टी ने यूपी में खुद को दोबारा खड़ा किया है। उसके पास वोट भी 18 फीसदी तक पहुंच गये थे। ऐसे में 2014 के आंकड़े को अंतिम नहीं माना जा सकता। पार्टी मजबूत ताकत बनकर यूपी में चुनाव लड़ सकती है।

कांग्रेस ने बीजेपी को हराने वाली हर ताकत से तालमेल की बात कही है। शिवपाल यादव ने जवाब में सुगबुगाहट भी दिखलायी है। राष्ट्रीय लोकदल भी कांग्रेस के साथ हो सकता है। दूसरी छोटी पार्टियों पर भी कांग्रेस की नज़र है मगर वे पार्टियां कांग्रेस को कितना भाव दे रही हैं उस पर भी कांग्रेस के दावे निर्भर करने वाले हैं।

कांग्रेस को अपने उबरने का है भरोसा

कांग्रेस का जनाधार मोदी विरोध का जनाधार है। वह मुस्लिम वोटों से भी उम्मीद लगाए बैठी है। मगर, एसपी-बीएसपी गठबंधन के सामने मुस्लिम वोट कांग्रेस की ओर सरकेंगे, इसकी गुंजाइश भी देखनी होगी। मगर, कांग्रेस के लिए यूपी में करो या मरो की स्थिति है। अगर अपने दम पर कांग्रेस ने इस बार खुद को ज़िन्दा कर नहीं दिखलाया, तो आने वाले समय में उसकी यूपी में उपस्थिति बमुश्किल रह जाएगी। कभी अखण्ड यूपी में कांग्रेस के पास 85 में से 83 सीटें थीं, वर्तमान यूपी में बीजेपी के पास 80 में से 71 सीटें हैं। आखिर कांग्रेस खुद को यूपी में रिवाइव करेगी तो कैसे? चमत्कार ही कांग्रेस को यूपी में दोबारा खड़ा कर सकता है। मतदाता चमत्कार करते हैं और राहुल के नेतृत्व वाली कांग्रेस को उनसे यही उम्मीद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *