‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के बाद अब ‘अजेय बीजेपी’!
नयी दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का पार्टी को अजेय बनाने का आह्वान ऐतिहासिक है। यह एक तरह से नरेंद्र मोदी को चक्रवर्ती सम्राट का दर्जा दिलाने की कोशिश के बराबर है।
अगर अतिशयोक्ति दोष ना हो तो अमित शाह भी बीजेपी में अपने लिए यही दर्जा खोजते दिख रहे हैं। मगर, न तो हिन्दुस्तान में राजतंत्र है और न ही लोकतंत्र में किसी पार्टी या सरकार का प्रमुख राजा-महाराजा होता है। गोवा में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जून 2013 को यानी अब से 5 साल पहले नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख बनाए गये थे। उस समय खुद बीजेपी ने अपने महारथी लाल कृष्ण आडवाणी के रथ के पहिए को बांध दिया था। आडवाणी उस बैठक में पहुंचे भी नहीं। उनकी गैर मौजूदगी में ही बीजेपी के रथ का महारथी बदल दिया गया।
चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख होने के तुरंत बाद नरेंद्र मोदी के ट्वीट को याद करना जरूरी लगता है। उन्होंने लिखा था-
“आडवाणी जी से फोन पर बात हुई। अपना आशीर्वाद दिया। उनका आशीर्वाद और सम्मान प्राप्त करने के लिए अत्यंत आभारी। वरिष्ठ नेताओं ने मुझ पर भरोसा जताया है। मैं कांग्रेस मुक्त भारत निर्माण के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं रखूंगा।“
आप गौर करें नरेंद्र मोदी ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा दिया था। न सिर्फ नरेंद्र मोदी 2014 के आम चुनाव में जीतकर आए, बल्कि एक के बाद एक कांग्रेस से उनका राज्य भी छीनते चले गये।
2013 और 2018 की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ये बड़ा फर्क है। तब एनडीए के पास मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के अलावा बताने को कुछ नहीं था। आज एनडीए के पास 19 राज्य हैं। लेकिन क्या भारत कांग्रेस मुक्त हो गयी? क्या यह सम्भव है?
सच ये है कि विपरीत परिस्थितियों में भी कांग्रेस ने एनडीए से पंजाब छीना, जबकि कर्नाटक को बीजेपी के हाथों जाने नहीं दिया। हाल में हुए निकाय चुनाव में भी कांग्रेस ने अपना दबदबा दिखाया है। नरेन्द्र मोदी के गढ़ गुजरात में कांग्रेस और मजबूत होकर सामने आयी। गोवा में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस रही। नुकसान के बावजूद बीजेपी ने वहां एनडीए सरकार बनायी। बिहार में भी कांग्रेस ने महागठबंधन बनाकर एनडीए सरकार को बदलने में कामयाबी हासिल की थी।
हालांकि बीजेपी ने नीतीश कुमार को अपने पाले में कर बाजी पलट दी। अब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। 2019 के आम चुनाव से पहले की इस अहम कार्यकारिणी की बैठक में बीजेपी को अजेय बनाने का मकसद उस बहस को ही खारिज करना है जिसमें बीजेपी की हार की आशंका हो।
अमित शाह ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि बीजेपी हार ही नहीं सकती। आगे भी जीत का सिलसिला कैसे जारी रहे, इसके लिए पार्टी को अजेय बनाने की आवश्यकता है। कभी इन्दिरा इज इंडिया और इंडिया इज इन्दिरा के नारे का विरोध करने वाली पार्टी बीजेपी आज खुद को ही अजेय बनाने का सपना देख रही है, यह ताज्जुब की बात है।
जिस कांग्रेस ने देश में आज़ादी के 71 सालों में से करीब 60 साल शासन किए, उसे खुद सत्ता से बाहर बीजेपी ने किया है। और, अब वह खुद कांग्रेस की तरह खुद को देश और राजनीति का पर्याय समझने और बताने लगी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस मुक्त नारे की विफलता की पर्देदारी के लिए बीजेपी को अजेय बनाने का नया नारा गढ़ा जा रहा है? ताकि विफलताओं पर चर्चा की नौबत ही ना आए।