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राम के नाम पर Mob Lynching!

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अब जमशेदपुर में मॉब लिंचिंग…चोर बताकर युवक की पिटाई…खम्भे से बांधकर पिटाई…धर्म जान लेने के बाद उससे जय श्री राम और जय हनुमान के नारे लगवाना…और फिर अधमरा कर पुलिस को सौंप देना। मॉब लिंचिंग की इस घटना ने देश को हैरान कर दिया है।

पुलिस की भूमिका भी समझने की जरूरत है। मॉब लिंचिंग करने वाले लोग घायल तबरेज को पुलिस के हवाले करते हैं, मगर पुलिस वैसे लोगों पर कोई एक्शन नहीं लेती। उल्टे घायल 22 वर्षीय तबरेज को जेल भेज देती है। 17 जून की रात की घटना है, 18 जून को तबरेज जेल पहुंच जाता है। 22 जून को जेल में ही उसकी हालत बिगड़ जाती है। उसे अस्पताल ले जाया जाता है जहां उसकी मौत हो जाती है।

झारखण्ड में बढ़ी मॉब लिंचिंग

झारखण्ड जनाधिकार मोर्चा का दावा
रघुवर सरकार में 12 की मौत
शिकार लोगों में 10 मुसलमान
2 आदिवासी भी लिंचिंग के शिकार

झारखण्ड में मॉब लिंचिंग की घटनाएं लगातार बढ़ी है। झारखण्ड जनाधिकार मोर्चा का दावा है कि रघुवर दास सरकार में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं में 12 लोग मारे जा चुके हैं। शिकार हुए लोगों में 10 मुसलमान और 2 आदिवासी हैं।

झारखण्ड ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों में भी मॉब लिंचिंग की घटनाओं में तेजी आयी है। इंडियास्पेंड और फैक्टचेकर के हवाले से आजतक में छपी रिपोर्ट के अनुसार 2014 के बाद से देश में मॉब लिंचिंग की 125 घटनाएं सामने आयी हैं और उनमें 48 लोगों की मौत हुई है। कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में घटी घटनाओं पर एक नज़र –

देश में बढ़ रही है मॉब लिंचिंग की घटनाएं

राज्य                    घटनाएं          मौत            घायल
उत्तर प्रदेश            19                11               39
हरियाणा                15               06              36
झारखण्ड              12               07               17
कर्नाटक               12                02              21
गुजरात                  11               01              28

उत्तर प्रदेश में 19 घटनाएं घटी हैं जिनमें 11 की मौत हुई और 39 लोग घायल हुए। हरियाणा में 15 ऐसी घटनाओं में 6 लोगों की जानें गयीं और 36 लोग घायल हुए। झारखण्ड में 12 घटनाएं, 7 मौत और 17 घायल के आंकड़े हैं तो कर्नाटक में 12 घटनाएं, 2 मौत और 21 लोगों के घायल होने की घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं। वहीं गुजरात में 11 ऐसी घटनाओं में 1 की मौत 28 लोगों के घायल होने की बात सामने आयी है।

खास बात ये है कि मॉब लिंचिंग की घटना में मौत का ताजा मामला उसी दिन का है जब भारत सरकार ने उस अमेरिकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें भारत में अल्पसंख्यकों को असुरक्षित बताया गया है। अमेरिकी रिपोर्ट ऑन इंटरनेशनल फ्रीडम में कहा गया है कि भारत में भीड़ की हिंसा, धर्मांतरण, अल्पसंख्यकों को लेकर कानूनी स्थिति और सरकार की नीतियां दयनीय हैं। अमेरिकी रिपोर्ट में जो खास बातें कही गयी हैं उनमें शामिल हैं-
भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर अमेरिकी रिपोर्ट

मुसलमानों के अल्पसंख्यक दर्जे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना
मुगलकालीन शहरों का नाम बदला जाना
भारतीय इतिहास में मुसलमानों के योगदान का अतीत मिटाना
धर्म प्रेरित हत्याएं, दंगे, भेदभाव, बर्बरता और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमलों का बढ़ना
हमलावर गो रक्षकों को सज़ा दिला पाने में सरकार की विफलता
सत्ताधारी दल के वरिष्ठ नेताओं की ओर से अल्पसंख्यकों के लिए उत्तेजक भाषण

भारत सरकार ने इस अमेरिकी रिपोर्ट को मनमाना करार दिया है। इसके बावजूद जो तथ्य रिपोर्ट में दिए गये हैं उन्हें खारिज करना मुश्किल है। हालांकि अमेरिकी पक्षपात इस बात में नज़र आता है जब वे पाकिस्तान को भारत से बेहतर कैटेगरी देते हैं। रिपोर्ट में पाकिस्तान को भी विशेष निगरानी सूची में रखा गया है। मॉब लिंचिंग निश्चित रूप से मानवता के लिए दाग है और इस दाग को धोने के लिए जज्बा भी भारतीयों को ही दिखाना होगा।

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