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रक्षक बने जिस्मफरोश : मुजफ्फरपुर, देवरिया…

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Savior becomes Jismfarosh : Muzaffarpur, Devaria

वीमेन शेल्टर होम का जो घिनौना चेहरा सामने आया है वह शर्मसार करने वाला है। वीमेन शेल्टर होम यानी लड़कियों को आश्रय देने वाला घर। मगर, बेसहारा और लाचार लड़कियों के लिए जो वीमेन शेल्टर होम था, वही जबरन देह व्यापार और ज़ुल्मो-सितम का सेंटर बन गया। बेबस लड़कियां इस सेंटर के लिए दुधारू गाय बन गयीं, जबकि सेंटर के संचालक ने इन्हीं लाचार और बेबस लड़कियों के बल पर ऐसा कारोबार खड़ा कर लिया जिसकी पहुंच सफेदपोश से लेकर खाकीवर्दी तक थी।

बात आप मुजफ्फरपुर की कर लें या देवरिया में मां विन्ध्यवासिनी शेल्टर होम की, बेटियां लाचार, मजबूर और बेबस नज़र आएंगी। सेंटर का नाम हो मां विन्ध्यवासिनी, पुलिस के संरक्षण में मजबूर व लाचार लड़कियां लायी जाएं और एनजीओ के नाम पर इस सेंटर को चलाने का विधिवत अधिकार हो, तो पड़ोसी भी कैसे शक करते।

मगर, पाप का घड़ा कभी न कभी जरूर भरता और फूटता है। एक बच्ची के इस कथित शेल्टर होम से भागकर पुलिस के पास पहुंचने के बाद मानो ये घड़ा फूट गया और एक के बाद एक सच सामने आने लगे। यह सच झकझोरने वाला था। 24 लड़कियां छुड़ायी गयी हैं। 18 लापता हैं। तीन को विदेशियों के पास बेच देने की खबर है जबकि एक की मौत हो गयी है, ऐसा बताया जा रहा है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने डीएम समेत कई अधिकारियों पर कार्रवाई की है और कई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है। योगी सरकार ने प्रदेश के सभी शेल्टर होम की रिपोर्ट तलब की है। सवाल ये है कि बिहार के मुजफ्फरपुर की घटना उजागर होने के बाद ही क्यों नहीं योगी सरकार ने ये रिपोर्ट तलब की? क्यों एक और घटना के प्रकाश में आने का इंतज़ार किया गया?

सवाल ये भी है कि देश में बाकी राज्यों में भी क्यों नहीं यही रिपोर्ट अब तलब की जा रही है? क्या बाकी राज्य भी तभी जागेंगे जब वहां शेल्टर होम कांड का सच कोई पीड़िता सामने लेकर आएगी? देवरिया और गोरखपुर में ज्यादा दूरी नहीं है। गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि है।

कहा ये भी जा रहा है कि बच्चियों को गोरखपुर ले जाया जाता था। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपेक्षा और भी बढ़ जाती है कि वे इस मामले में सभी दोषी पक्ष को सामने लाने की पहल करें। वे कौन लोग थे जो देश की इन लाचार बेटियों का चीर हरण कर रहे थे? शेल्टर होम के संचालक किनके पास इन बेटियों का सौदा किया करते थे? क्या वे वर्दीधारी थे, व्यापारी थे या कि खद्दरधारी थे- इसका खुलासा करने का वक्त आ गया है।

डीएम और कतिपय अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई बेमानी है। दोषी लोगों की गिरेबां पकड़ने की ज़रूरत है। ऐसे लोगों पर क्रिमिनल एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अगर अधिकारी दोषी हैं तो उन्हें भी विभागीय कार्रवाई कर बख्शा नहीं जा सकता। जिस देश में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान बन चुका है, वहां बेटियों का सौदा हो रहा हो, तो बात और गम्भीर हो जाती है।

शेल्टर होम में बेटियां अधिक लाचार हैं। हमने सुरक्षित मानकर उन्हें ख़तरे में डाल रखा है। जिन्हें रक्षा करनी थी, वही जिस्मफरोशी का कारोबार करने लगे। ऐसे लोग किसी बलात्कारी से बड़े गुनहगार हैं। इनकी सज़ा किसी बलात्कारी को मिलने वाली सज़ा से भी खौफ़नाक होनी चाहिए।

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