टाइगर जिन्दा है
दुनिया में सबसे ज्यादा बाघ कहां हैं?
– भारत
कितने बाघ हैं भारत में?
– 2967
यह संख्या दुनिया में बाघों की मौजूदगी की आधी है। हम कह सकते हैं कि बाघों का देश है भारत। अगर भारत के भीतर बाघों के प्रदेश की बात करें तो
बाघों का प्रदेश है मध्यप्रदेश
बाघों की संख्या है 526
बाघों की मौजूदगी की बात इसलिए हो रही है क्योंकि 29 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों का सर्वे जारी किया है। इसके मुताबिक भारत ने अपने लक्ष्य को 2022 के बजाए 2018 में यानी चार साल पहले पा लिया है। 2008 में सेंट पीटसवर्ग बाघों की प्रजाति और संख्या बचाने पर चर्चा हुई थी और वहां हर देश को बाघों की जनसंख्या बढ़ाने और एक निश्चित अवधि के लिए लक्ष्य दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्व के साथ इस लक्ष्य को चार साल पहले हासिल कर लेने की घोषणा की।
भारत में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी पर गौर करें तो पिछले 12 साल में यह आंकड़े कुछ इस प्रकार होते हैं-
टाइगर ज़िन्दा है
साल बाघों की संख्या बढ़ोतरी वृद्धि
2006 1411 — —–
2010 1706 295 20.9 %
2014 2226 520 30.48%
2018 2967 741 33.28%
यूपीए की सरकार में 2010 में 20.9 फीसदी बाघ बढ़े थे। फिर 2014 में इसकी वृद्धि दर 30.48 फीसदी रही। अब 2018 में 33.28 फीसदी हो गयी है।
बाघों की संख्या में हो रही यह बढ़ोतरी देश के लिए गर्व की बात है, मनुष्य के लिए सुखद है क्योंकि दूसरे जीवों के लिए संकट का सबसे बड़ा आरोपी मनुष्य ही रहा है। मगर, राजनीतिक नजरिए से देखें कि किसकी सरकार में अधिक बाघों का संरक्षण हुआ तो इस पर संग्राम छिड़ सकता है।
BJP सरकार में बाघों की संख्या में वृद्धि
- 2014 के मुकाबले 33.28% की वृद्धि दर
- 2010 में 30.48% के मुकाबले 2.80% ज्यादा
बाघों की संख्या बढ़ाने के मामले में बीजेपी सरकार ने 2014 के मुकाबले निश्चित रूप से 33.28 फीसदी का सबसे ज्यादा ग्रोथ हासिल कर दिखाया है जो 2010 में 30.48 के ग्रोथ से महज 2.80% ज्यादा है।
UPA सरकार में बाघों की संख्या में वृद्धि
- 2014 में 30.48% की वृद्धि
- 2010 के मुकाबले 9.58% अधिक
मगर यूपीए सरकार ने 2010 के मुकाबले 9.58% का ग्रोथ हासिल करते हुए 30.48 की वृद्धि दर हासिल की थी।
बाघों की गिनती के तरीके में भी सुधार हुआ है। 2006 से पहले बाघों की गिनती उनके पदचिन्हों के आधार पर होती थी। फिर कैमरे और नयी टेक्नोलॉजी का उपयोग होने लगा।
2018 में बाघों के सर्वे पर एक नज़र
3.81 लाख वर्ग किमी जंगल का सर्वे
141 स्थानों पर 26,838 कैमरे
1.21 लाख वर्गकिमी इलाका कवर
3.48 करोड़ फोटोग्राफ मिले
76,651 फोटो बाघों के
51,777 तस्वीरें लेपर्ड के
2018 के सर्वे में बाघों की खोज में 3.81 लाख वर्ग किमी जंगल का सर्वे किया गया। 141 स्थानों पर 26,838 कैमरे लगाए गये जिससे 1.21 लाख वर्ग किमी इलाका कवर हुआ। 3.48 करोड़ फोटोग्राफ मिले। 76,651 फोटो बाघों के थे और 51,777 लेपर्ड के। दुनिया के इस सबसे बड़े वाइल्ड लाइफ सर्वे पर 11 करोड़ रुपये खर्च हुए।
बाघों की पूरी आबादी का 60.8 फीसदी पांच राज्यों में है। इन पांच राज्यों में बाघों की संख्या पर नज़र डालें तो
5 राज्यों में 60.8 फीसदी बाघ
प्रदेश बाघ
मध्यप्रदेश 526
कर्नाटक 524
उत्तराखण्ड 442
महाराष्ट्र 312
तमिलनाडु 264
बाघों की संख्या और भी बढ़ सकती थी अगर 2012 से 2018 के बीच 657 बाघों की मौत नहीं हुई होती। इनमें 313 बाघ स्वाभाविक तौर पर मरे, जबकि 138 बाघों का शिकार किया गया। 87 बाघों की मौत की वजह पर जांच के नतीजे सामने नहीं आए हैं। 35 बाघों की मौत दुर्घटना और दूसरे वजहों से हुई। 84 बाघों की मौत बीमारियों से हुई।
वर्ल्ड टाइगर डे पर बाघों की संख्या बढ़ाने में मिली कामयाबी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो संदेश दिया है वह महत्वपूर्ण है
मैं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों से यही कहूंगा कि जो कहानी ‘एक था टाइगर’ के साथ शुरू होकर ‘टाइगर जिंदा है’ तक पहुंची है, वो वहीं न रुके। केवल टाइगर जिंदा है, से काम नहीं चलेगा। Tiger Conservation से जुड़े जो प्रयास हैं उनका और विस्तार होना चाहिए, उनकी गति और तेज की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश की अहमियत को समझने के लिए यह बताना जरूरी है कि करीब सौ साल पहले देश में 1 लाख बाघ हुआ करते थे जो तमाम उपलब्धियों के बाद भी यह संख्या बमुश्किल 3 हज़ार ही पहुंच पा रही है।