उन्नाव रेप केस में CBI : विधायक सेंगर ने रेप किया
उन्नाव रेप कांड में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगे सभी आरोप सच हैं। यह अदालत का फैसला नहीं है बल्कि अदालत में CBI का यह दावा है। यह दावा जांच रिपोर्ट पर आधारित है। CBI ने कहा है कि अपहरण, बलात्कार, साजिश और धमकी के लगे सभी आरोपों को साबित करने के लिए उसके पास पर्याप्त सबूत हैं। इसलिए विधायक सेंगर पर इन आरोपों में केस चलाया जा सकता है।
वेंटीलेटर पर है उन्नाव रेप पीड़िता
हाई प्रोफाइल उन्नाव बलात्कार केस में पीड़िता और उसके वकील वेंटिलेटर पर हैं। 28 जुलाई को दुर्घटना के बाद से ही वह बेहोश है। पीड़ित लड़की जून 2017 में बलात्कार के वक्त नाबालिग थी, मगर अब 19 साल की हो चुकी है। पीड़ित लड़की को लखनऊ से दिल्ली के एम्स भर्ती कराया गया है।
डॉक्टर ने जानबूझकर पीड़िता को रेफर नहीं किया!
यह खुलासा भी हुआ है कि हालत गम्भीर होने के बावजूद लखनऊ से पीड़िता को हायर सेंटर में रेफर नहीं किया गया। निदेशक प्रशासन ने इस मामले में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर को अपनी जांच में दोषी पाया है और स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है।
अचेत पीड़िता के साथ भी अन्याय!
इसका मतलब ये है कि दुर्घटना के बाद से अचेत अवस्था में मौत से लड़ रही पीड़िता की जान बचाने की कोशिश वे डॉक्टर भी नहीं कर रहे थे जो उसके इलाज में लगे थे। पीड़ित लड़की के साथ हुए अन्याय की कड़ी में यह एक और अन्याय सामने आया है।
आरोपी विधायक से मिले 10 हज़ार लोग!
CBI ने जो रिपोर्ट अदालत में सौंपी है उसमें यह बात भी चौंकाने वाली है कि एक साल में 10 हज़ार से अधिक लोगों ने विधायक से सीतापुर जेल में मुलाकात की। मुलाकात करने वालों में परिजन, रिश्तेदार के साथ-साथ बीजेपी सांसद साक्षी महाराज समेत कई सांसद, विधायक और नेताओं के नाम शामिल हैं। CBI ने अदालत को बताया है कि हर दिन 20 से 25 लोगों को विधायक से मिलने दिया जाता था। कई की एन्ट्री जेल रिकॉर्ड में नहीं होती थी।
हम आपको पीड़ित लड़की के साथ हुए अन्याय की याद दिला रहे हैं-
गैंगरेप पीड़िता के साथ अन्याय दर अन्याय
- पीड़िता के साथ जून 2017 में विधायक ने बलात्कार किया, CBI जांच में पुष्टि हुई।
- 10 जून को पीड़ित लड़की का अपहरण और फिर सामूहिक बलात्कार किया गया।
- थाने में पहले केस दर्ज करने से मना किया गया। बाद में गैंगरेप का आरोप दर्ज हुआ। विधायक पर केस नहीं।
- पीड़िता परिवार पर केस वापस लेने का दबाव, घर पर मिलने लगीं धमकियां
- पीड़ित लड़की ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में आत्महत्या का प्रयास किया, कोई सुनवाई नहीं
- अगले दिन पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में हत्या कर दी गयी।
- हत्या की घटना से पहले पीड़िता के पिता की विधायक के भाई व साथियों ने घर पर पिटाई की और उन्हें पुलिस को सौंप दिया।
- पुलिस ने उल्टे घायल पिता पर ही आर्म्स एक्ट लगा दिया, जिस बारे में भी CBI कह चुकी है कि गलत आरोप लगाए गये।
- धमकियां देने का दौर जारी रहा। धमकियों के प्रमाण पीड़ित परिवार ने अपने पास रखे हैं।
- केस लड़ने वाले पीड़िता के चाचा को एक पुराने में मामले में जेल में डाल दिया गया।
- 28 जुलाई 2019 को एक दुर्घटना में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गयी, जबकि वकील और खुद पीड़िता तब से अचेत हैं और वेंटिलेटर पर हैं।
- बीते एक साल में पीड़िता ने 35 चिट्ठियां लिखीं। धमकियों की शिकायत से लेकर केस ट्रांसफर करने की मांग तक की, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई।
- जब सुप्रीम कोर्ट को पता चला कि उसके नाम लिखी चिट्ठी भी उस तक नहीं पहुंची है तब उसने संज्ञान लिया और CBI को समय सीमा के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया।
- रेप केस के सभी मामले दिल्ली ट्रांसफर हो गये। आरोपी विधायक को भी दिल्ली के तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
अब दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले में तीन CBI जांच हुई है। दो की रिपोर्ट अदालत में रखी जा चुकी है। ऐसा लग रहा है कि अब आरोपी बच नहीं सकेंगे। मगर, पीड़िता जिस तरीके से गुहार लगाती हुई मौत से लड़ रही है, देखना ये है कि उसे न्याय मिल पाता है या नहीं। सबसे बड़ा सवाल उसकी ज़ि न्दगी का है। ज़िन्दगी के साथ न्याय मिले, यह अधिक ज़रूरी है।