येदियुरप्पा CM होंगे मगर कब?
निश्चित रूप से यह मानकर चला जा रहा है कि कर्नाटक में अगली सरकार बीजेपी की होगी और बीएस येदियुरप्पा चौथी बार शपथ लेंगे। इसकी वजह यही है कि कर्नाटक में बीजेपी का कमल खिलाने वाले भी येदियुरप्पा हैं और बीजेपी को बारम्बार सत्ता के करीब लाने वाले भी वही हैं।
मगर, कर्नाटक में बीजेपी सत्ता से दूर भी होती रही है। खुद बीएस येदियुरप्पा इससे पहले तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। दो बहुत छोटे कार्यकाल भी येदियुरप्पा बीजेपी को दे चुके हैं। कभी ऑपरेशन लोटस तो कभी बीजेपी को ही छोड़ कर नयी पार्टी बनाते रहे हैं येदियुरप्पा। यही वजह है कि आलकमान को फैसला लेने में देरी हो रही है। येदियुरप्पा बेसब्री से मुख्यमंत्री बनने का इंतज़ार कर रहे हैं। होना तो वही है, मगर कब?
बीएस येदियुरप्पा 76 साल के हैं यानी 75 साल से ज्यादा के हैं। बीजेपी ने यही उम्र सीमा रखी है जिसके बाद राजनीतिज्ञों को टिकट तक नहीं दिए जाते। अब यही फॉर्मूला..या यूं कहें कि नैतिकता बीएस येदियुरप्पा को चौथी बार मुख्यमंत्री बनाने से बीजेपी को रोक रही है। येदियुरप्पा को आलाकमान की हरी झंडी नहीं मिलने के पीछे सिर्फ यही वजह नहीं है। वजह और भी हैं।
ताजपोशी में देरी क्यों?
कर्नाटक की सियासत में बहुमत का खेल अभी बाकी है। एचडी कुमारस्वामी सरकार गिराने की सियासत में बीजेपी सफल हो गयी। वे 15 विधायक बीजेपी शासित महाराष्ट्र के होटलों में लम्बे समय से छिपा कर रखे गये। आखिरकार विश्वासमत के वक्त कुमारस्वामी सरकार लाचार हो गयी और 224 विधायकों की ताकत वाली कर्नाटक विधानसभा में 113 के आंकड़े के बजाए सिर्फ 99 पर आ सिमटी जेडीएस-कांग्रेस सरकार।
अभी उन 15 विधायकों की अयोग्यता का निर्णय होना है। बीजेपी नेतृत्व को इसका भी इंतजार है।
अगर MLA अयोग्य नहीं हुए, इस्तीफे स्वीकार हुए
कर्नाटक विधानसभा 209
बहुमत 105
BJP 105
{GFX 1 IN} अगर ये विधायक अयोग्य नहीं ठहराए जाते हैं और उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया जाता है तो कर्नाटक विधानसभा में 209 सदस्य रह जाते हैं और बहुमत का आंकड़ा होता है 105. बीजेपी के पास 105 विधायक हैं और सरकार बन जाती है। {GFX 1 OUT}
अगर MLA अयोग्य हुए
कर्नाटक विधानसभा 209
बहुमत 105
BJP 105
वहीं, अगर ये विधेयक अयोग्य ठहरा दिए जाते हैं तब भी विधानसभा की ताकत 209 सदस्यों की रह जाएगी। और तब भी बीजेपी के पास बहुमत रहेगा।
बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी इंतज़ार है जहां यह तय होगा कि कांग्रेस को ह्विप जारी करने का अधिकार है या नहीं। हालांकि इस फैसले का भी अधिकतम बुरा नतीजा बीजेपी के लिए वही होगा कि कांग्रेस के सभी 13 विधायक अयोग्य घोषित होंगे। फिर भी, स्पीकर और सुप्रीम कोर्ट दोनों के फैसले का पार्टी इंतज़ार करना चाह रही है तो इसकी वजह खास है।
बीजेपी आलाकमान की सबसे बड़ी चिन्ता
15 सीटों पर उपचुनाव के बाद क्या होगा?
आधी से ज्यादा सीटें BJP नहीं जीते तो क्या होगा?
सभी सीटें हैं कांग्रेस-जेडीएस के पास
BJP के लिए आसान नहीं होगा सीटें छीनना
नगरनिकाय चुनावों में लगे थे बीजेपी को झटके
बीजेपी आलाकमान की चिन्ता ये है कि अयोग्य हो जाने के बाद या फिर इस्तीफा स्वीकार कर लिए जाने के बाद जब दोबारा इन 15 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होंगे, तो क्या पार्टी आधी से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर पाएगी? ये सभी सीटें कांग्रेस और जेडीएस के पास हैं। उनसे ये सीटें झटक पाना बीजेपी के लिए इसलिए मुश्किल होगा क्योंकि स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस और जेडीएस की ताकत के सामने बीजेपी की ताकत 35 फीसदी भी नहीं है।
अगर दोबारा ऐसी स्थिति बनी कि उपचुनाव के बाद बीजेपी की सरकार अल्पमत में आ गयी, तो क्या होगा? तब जो बीजेपी सरकार की किरकिरी होगी, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
बीएस येदियुरप्पा खुद को मुख्यमंत्री घोषित किए घूम रहे हैं। आरएसएस के नेताओं से मिल चुके हैं और सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि उन्हें आलाकमान की हरी झंडी का इंतज़ार है। अगर नेतृत्व स्वाभाविक है तो यह इंतज़ार की स्थिति बताती है कि बीजेपी के भीतर कर्नाटक में अगली सरकार को लेकर एकमत नहीं है। बीएस येदियुरप्पा को 75 साल के बाद भी मुख्यमंत्री बनाया जाए, इसे लेकर पार्टी में एकमत नहीं है।
वहीं, बीजेपी इस बात को लेकर भी चिन्तित रही है कि जिस तरीके से येदियुरप्पा बीजेपी के खिलाफ अतीत में बगावत कर चुके हैं और नयी पार्टी बना चुके हैं, अगर एक बार फिर उन्होंने बागी तेवर दिखलाए, तो पार्टी का रुख क्या होगा? येदियुरप्पा की प्रवृत्ति बतलाती है कि उनका खेल बिगड़ने पर वे किसी का भी खेल बनने देने वाले नहीं हैं।
अब बात समझ में आ गयी कि एक सरकार को गिराना तो बहुत आसान था, लेकिन सरकार को बनाना कितना मुश्किल है। सिर्फ बनाना ही नहीं, नयी सरकार को चलाना भी मुश्किल होगा। इस प्रश्न पर समग्रता से विचार करने और अपने ही बनाए 75 साल के नियम पर अडिग रहने के लिए बीजेपी को मशक्कत करनी पड़ रही है। येदियुरप्पा की ताजपोशी में देरी की वजह यही है।