6 दिसम्बर के बदलते मायने : Negative to Positive
6 दिसम्बर… भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन। कई मायनों में ऐतिहासिक भी, कई मायनों में काला दिवस भी।
6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा ढाह दिया गया था जिसके बाद देशभर में दंगे हुए। बीजेपी शासित चार राज्य सरकारें बर्खास्त कर दी गयीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे काला दिवस बताया था, तो बाल ठाकरे ने कहा था कि अगर उनके बच्चों ने यह काम किया है तो उन्हें उन पर गर्व है। बाबरी ढांचा गिराने के आरोप में बीजेपी, विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं पर अब भी उत्तर प्रदेश की अदालतों में मुकदमे जारी है, जबकि राम जन्म भूमि से जुड़ा मूल विवाद सुप्रीम कोर्ट में हल होने का इंतज़ार कर रहा है। विश्व हिन्दू परिषद इस तारीख को शौर्य दिवस के रूप में मनाता आया है।
6 दिसम्बर 2009, भारतीय क्रिकेट के लिए भी ऐतिहासिक दिन है। 2009 को इसी दिन महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारत पहली बार टेस्ट क्रिकेट में नम्बर वन बना था। भारत की यह बादशाहत लगातार 2011 तक जारी रही थी। उसके बाद से यह सिलसिला टूटता-जुड़ता रहा है।
6 दिसम्बर 1998 को परमवीर चक्र होशियार सिंह का निधन हो गया। वही होशियार सिंह, जो युद्धभूमि पर अजेय वीरता के पर्याय बन चुके थे। 1965 में पराक्रम दिखाने के बाद 1971 में दिसम्बर के ही महीने में शकरगढ़ पठार की रणनीतिक भूमि पर जान की बाजी लगाकर जिन्होंने गोलियां खाईं। इसके बावजूद लगातार संघर्ष किया। होशियार सिंह के नेतृत्व में 3 ग्रैनेडियर्स ने दुश्मन के कमांडिंग ऑफिसर समेत 89 जवानों को मार गिराया। 20 दुश्मन के जवान बंदी बना लिए गये। भारत की ओर से भी इस भीषण लड़ाई में 39 जवान शहीद हुए। इनमें परमवीर चक्र विजेता अरुण खेत्रपाल भी शामिल हैं।
राम जन्मभूमि विवाद में 6 दिसम्बर ने एक ऐसा अध्याय जोड़ा, जिसे भूलने में ही 6 दिसम्बर की सार्थकता है। हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक भगवान राम की जन्मभूमि का विवाद 6 दिसम्बर 1992 के पहले तक महज दीवानी मसला था। इसका मतलब ये हुआ कि यह महज ज़मीन पर स्वामित्व का सवाल था, मगर बाबरी विध्वंस के बाद यह फौजदारी मुकदमे से भी जुड़ गया।
बाबरी विध्वंस से हिन्दुओं का पक्ष कमजोर हुआ
न्यायपूर्ण तरीके से राम जन्मभूमि पाने की जो धैर्य पूर्वक लड़ाई चल रही थी, उसे इस तारीख ने बदल डाला। शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द मानते हैं कि इस घटना के बाद हिन्दुओं का पक्ष कमजोर हुआ। ऐसा लगा मानो हिन्दू ज़बरदस्ती करना चाहते हैं। मगर, वास्तव में हिन्दू तो अपना हक लेना चाह रहे हैं।
मस्जिद से पहले मंदिर के सबूत
रामजन्मभूमि पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी गयी थी, यह बात इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की खुदाई ने भी पुष्ट कर दी है। खुदाई में मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष मिले हैं।
अब राम मंदिर विवाद में दो बातें हैं- एक हिन्दुओं को राम जन्मभूमि मिले और दूसरा उन लोगों को सज़ा, जिन्होंने कानून तोड़ते हुए बाबरी ढांचे को गिराया। अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां
अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां
गलती नम्बर 1
अगर तर्कसम्मत ढंग से सोचें तो अयोध्या विवाद में पहली और सबसे बड़ी गलती तभी हुई जब बीजेपी ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया। यह भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध बात थी। जब भारतीय लोकतंत्र में धर्म, जाति या ऐसे भेदभावकारी आधारों पर वोट तक नहीं मांग सकते, तो एक राजनीतिक दल मंदिर निर्माण को अपना लक्ष्य कैसे बना सकता है।
अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां
गलती नम्बर 2
बीजेपी ने अपने घोषणापत्रों में राम मंदिर का वादा किया। चुनाव आयोग ने अगर इस पर रोक लगा दी होती या बीजेपी को ऐसा करने से रोका होता, तो इस गलत को भी रोका जा सकता था। आश्चर्य है कि राम मंदिर को घोषणापत्र का हिस्सा बनाना धार्मिक भावना भड़काना क्यों नहीं माना गया।
अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां
गलती नम्बर 3
1984 में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से राम मंदिर निर्माण समिति बनाया जाना और 1986 में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन दोनों घटनाएं टकराव की शुरुआत थी।
अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां
गलती नम्बर 4
1989 में राम मंदिर परिसर का ताला खोलना राजीव गांधी सरकार की हिन्दू तुष्टिकरण की ऐसी नीति थी, जिसका खामियाजा देश भुगत रहा है।
अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां
गलती नम्बर 5
1990 में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओ ने बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाया था। तब उनके ख़िलाफ़ तत्कालीन चंद्रशेखर सरकार ने सख्त एक्शन नहीं लिया। इसके बदले वार्ता के जरिए विवाद सुलझाने का असफल प्रयास किया।
अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां
गलती नम्बर 6
2002 में अयोध्या से लौटते विश्व हिन्दू परिषद कार्यकर्ताओं को गोधरा में ट्रेन की बोगी में ज़िन्दा जला देने की घटना। इस घटना के बाद की प्रतिक्रियाएं मरने वालों को ही दोषी ठहराने की थी। 58 कारसेवकों की लाशें देखकर गुजरात धधक उठा।
अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां
गलती नम्बर 7
6 दिसम्बर को हम किस रूप में याद करें। यह सबसे बड़ा सवाल है। वारेन हेस्टिंग्स से जोड़कर इसे भारत में गोरों के काले अध्याय की तारीख मानें या कि बाबरी विध्वंस का काला अध्याय के तौर पर याद रखें जिसके बाद भारत में सीरीज़ ब्लास्ट और आतंकवाद का एक और काला अध्याय शुरू हुआ। अच्छा ये होगा कि इसे सबक के रूप में याद रखा जाए। इस तारीख को टेस्ट क्रिकेट में नम्बर वन होने के तौर पर याद रखा जाए। अम्बेडकर की विरासत को जीवित रखने और देश की अखण्डता को बचाए रखने के तौर पर याद रखा जाए। इसी तरह होशियार सिंह के परम शौर्य से प्रेरणा लेने वाले दिवस के रूप में हम इसे याद रखें।