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प्रियंका ने पकड़ी मोदी की राह

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जिस राह पर 2014 में नरेंद्र मोदी चले थे, यूपी में बीजेपी के लिए अमित शाह ने लायी थी आंधी…उसी राह पर कांग्रेस के लिए चुनाव मैदान में चलती दिख रही हैं प्रियंका गांधी। वह छोटे-छोटे दलों से कर रही हैं गठबंधन और जगा रही हैं बड़ी-बड़ी उम्मीदें। इतना ही नहीं उन्होंने खोल रखा है कांग्रेस का द्वार उन नेताओं के लिए, जिन्हें नहीं मिल रहा है अपने-अपने दलों में टिकट। प्रियंका खुद भी स्टार प्रचारक बन मजबूत कर रही हैं राहुल के हाथ।

यूपी में अब तक 3 दलों से गठबंधन

सबसे पहले केशव देव मौर्य का महान दल, फिर बाबू सिंह कुशवाहा की राष्ट्रीय जन अधिकार पार्टी और फिर अपना दल के कृष्णा पटेल गुट से समझौता कर चुकी है कांग्रेस।बीजेपी की ही तरह कांग्रेस ने भी अपना दल को दो सीटें दी हैं। वहीं आरजेएपी 7 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इनमें भी दो उम्मीदवार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। महान दल 2014 की तरह 2019 में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर 3 सीटों पर लड़ने जा रही है। महान दल ने बदायूं, नगीना और एटा सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे सभी सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था। महान दल का प्रभाव मौर्य, शाक्य, सैनी और कुशवाहा जातियों में माना जाता है।

प्रियंका गांधी की रणनीति वही है जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रही है। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में अपना दल अनुप्रिया गुट के साथ गठबंधन किया था तो विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ। बीजेपी की ही तर्ज पर कांग्रेस गैर यादव ओबीसी वोटों को साधने की कोशिश करती दिख रही है। छोटे दलों को साथ लेकर प्रियंका जिन वोटों को साधने की कोशिश में हैं वह वोट 12 फीसदी है।

इस वोट बैंक में सेंधमारी का सीधा मतलब होगा बीजेपी को करारी चोट, क्योंकि बीजेपी ने यादवों का खौफ दिखाकर इस पिछड़े वर्ग को अपने साथ जोड़ा था। इस मकसद में बीजेपी कामयाब रही थी। कांग्रेस भी उसी राह पर है।

बीजेपी की पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले, पूर्व एसपी सांसद राकेश सचान, बीजेपी विधायक अवतार सिंह भड़ाना के अलावा करीब 20 पूर्व सांसद और विधायक कांग्रेस में बीते एक महीने के भीतर शामिल हुए हैं। इनमें से ज्यादातर को टिकट मिलना तय है। कांग्रेस की ओर से जारी सूची में दूसरे दलों से आए नेताओं को जगह मिलती भी दिख रही है।

प्रियंका ने चुनाव प्रचार का जो तरीका चुना है उसमें भी खास वोटों को साधने का मकसद साफ है। प्रयागराज से काशी तक की बोट यात्रा इसी रणनीति के तहत है। बोट से वोट मांगती प्रियंका दरअसल मल्लाह वोटरों को कांग्रेस से जोड़ने की कोशिश कर रही हैं।

यूपी में 5 फीसदी हैं मल्लाह वोटर

यूपी में 5 फीसदी मल्लाह वोटर हैं। इसमें निषाद, बिंद, केवट, कश्यप, धुरिया, रैकवार, धीमार, मांझी और बाथम जातियां आती हैं।

मल्लाहों के प्रभाववाली सीटें

इन वोटरों का प्रभाव जिन सीटों पर माना जाता है उनमें शामिल हैं फिरोजाबाद,  बदायूं, शाहजहांपुर, कैराना,  मछलीशहर,  जौनपुर,  गाजीपुर,  फूलपुर,  गोरखपुर, सीतापुर,  बलिया,  देवरिया,  उन्नाव, फतेहपुर और जालौन।

प्रियंका गांधी यूपी में कांग्रेस की नाव खेती नज़र आ रही हैं…छोटे दल, दूसरे दलों के बड़े बागी, चुनाव प्रचार के नायाब तरीके और अपनी खास शैली की पतवार से वह कांग्रेस की नाव आगे बढ़ाने कोशिश में जुटी हैं। कांग्रेस के लिए मौसम प्रतिकूल है, मगर जब मांझी प्रियंका गांधी हो तो किसी भी आंधी का मुकाबला कांग्रेस कर सकती है…कम से कम कांग्रेस के समर्थकों में यही विश्वास है।

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