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दूसरा चरण : कम वोटिंग से BJP को नुकसान

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2019 में 17वीं लोकसभा के लिए हो रहे मतदान के दूसरे चरण में वोटों का प्रतिशत गिर गया है। महज बिहार और यूपी में ही वोट प्रतिशत सम्भलता दिखा है। लेकिन वह भी इतना मामूली है कि इससे डबल इंजन वाली सरकार के ख्याल से यह एनडीए के लिए ख़तरे की घंटी है।

लोकसभा के चुनाव के दूसरे चरण में सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार में मतदान 2014 के मुकाबले थोड़ा बेहतर रहा। मगर, यह बढ़ोतरी भी बहुत मामूली है। उत्तर प्रदेश में 62.52 फीसदी मतदान हुआ है जो 2014 के मुकाबले 0.72 फीसदी अधिक है। इसी तरह बिहार में 62.52 फीसदी मतदान हुआ है जो विगत चुनाव के मुकाबले 0.22 फीसदी ज्यादा है। बाकी सभी राज्यों में मतदान में गिरावट देखने को मिली।
यूपी में दूसरे चरण में 8 सीटों के लिए मतदान हुआ। इनमें नगीना, अमरोहा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा व फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट शामिल हैं।
अल्पसंख्यकों के प्रभाव वाले अमरोहा, नगीना, फतेहपुर सीकरी के अलावा मथुरा में भी कम मतदान हुआ। जबकि बाकी सीटों पर मतदान में मामूली बढ़ोतरी हुई। माना जा रहा है कि अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में कम वोट होने से नुकसान बीजेपी को होगा। वहीं बाकी सीटों पर भी मतदान प्रतिशत में मामूली रूप से बढ़ोतरी की वजह से बीजेपी के मतदान प्रतिशत में खास बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं की जा सकती। ऐसे में एसपी-बीएसपी-आरएलडी के महागठबंधन की जीत के आसार बढ़ गये हैं।
बिहार की जिन पांच सीटों के लिए 18 अप्रैल को वोट डाले गये हैं उनमें अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, बांका और भागलपुर शामिल हैं। यहां भी वोटों के प्रतिशत में मामूली रूप से फर्क पड़ा है। कह सकते हैं कि 2014 के मुकाबले वोट जस के तस हैं। दूसरे चरण में एनडीए की ओर से केवल जेडीयू के उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। बदली हुई परिस्थिति में मुनिया समीकरण यानी मुस्लिम-निषाद-यादव समीकरण के कारण इन सीटों पर महागठबंधन और जेडीयू के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिलेगा। इसमें महागठबंधन भारी पड़ता नज़र आ रहा है।
मतदान में सबसे ज्यादा कमी ओडिशा में देखने को मिली है जहां 2014 के मुकाबले 8.5 फीसदी मतदान कम हुआ है। माना जा रहा है कि कम मतदान का नुकसान सत्ताधारी बीजू जनता दल को होगा। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा दोनों के लिए वोट डाले जा रहे हैं।
दूसरे नम्बर पर जम्मू-कश्मीर है जहां बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले 7.2 फीसदी कम मतदान देखने को मिला। अलगाववादियों की धमकी के बीच हो रहे मतदान में वोटिंग में कमी का राजनीतिक रूप से कोई मतलब निकाल पाना मुश्किल है।
5 फीसदी से ज्यादा गिरावट वाले बाकी राज्य हैं पश्चिम बंगाल, असम और कर्नाटक हैं। आप ग्राफिक्स पर नज़र डालें तो पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में 5.53 फीसदी वोटों की गिरावट आ रही है तो असम में यह फीसदी है 5.38 और कर्नाटक में यही आंकड़ा हो जाता है 5.8 फीसदी।
वोट में कमी के नज़रे से देखें तो असम में बीजेपी को उम्मीद से कम सफलता मिल सकती है जबकि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, कर्नाटक में कांटे के मुकाबले में बीजेपी को कुछ फायदा होने की उम्मीद की जा सकती है।
पुदुचेरी में 4 फीसदी कम हुई वोटिंग
राज्य 2014 2019 मतदान में अंतर
पुदुचेरी 82.1 78 -4.1
पुदुचेरी में भी मतदान में 4 फीसदी से ज्यादा कमी देखने को मिली है। 2014 में यहां 82.1 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2019 में 78 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है।
छत्तीसगढ़ में 2 फीसदी और तमिलनाडु में 1.7 फीसदी कम मतदान हुए। छत्तीसगढ़ के कांकेर, महासमुंद और राजनांदगांव में वोट डाले गये। यहां विधानसभा चुनाव वोटिंग ट्रेंड बरकरार है। वोट में कमी से बीजेपी को नुकसान होने के आसार हैं। तमिलनाडु में वोटों में कमी से सत्ताधारी अन्नाद्रमुक और बीजेपी के गठबंधन को नुकसान तय माना जा रहा है।
महाराष्ट्र और मणिपुर में भी मतदान में कमी आयी, लेकिन वह 1 फीसदी से कम रही। महाराष्ट्र में खास तौर पर कम वोटिंग से एनडीए के वोट बैंक में कमी आ सकती है। यह एंटी इनकम्बेन्सी हो सकता है। यूपीए और एनडीए के बीच महाराष्ट्र में जबरदस्त टक्कर है।
अलग-अलग राज्यों से वोटों के ट्रेंड अलग-अलग जरूर हैं लेकिन कुल मिलाकर बीजेपी और एनडीए के लिए अच्छी ख़बर कम से कम दूसरे चरण के मतदान से आती नहीं दिख रही है। पहले चरण ही की तरह दूसरे चरण में भी बीजेपी और एनडीए की सीटें घटने के आसार हैं।

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