BJP में जाएंगे धोनी?
धोनी क्रिकेट से संन्यास लेंगे? धोनी बीजेपी में जाएंगे? क्रिकेट का मैदान छोड़ेंगे तभी तो राजनीति के मैदान में उतर पाएंगे धोनी। एक प्रश्न का संबंध दूसरे प्रश्न से स्पष्ट है। एक क्रिकेटर के तौर पर महेंद्र सिंह धोनी को पसंद करने वाले नहीं चाहते कि धोनी क्रिकेट से अभी संन्यास लें।
जैसे ही धोनी के संन्यास की ख़बर हवा में तैरनी शुरू हुई, लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन समेत एक से बढ़कर एक दिग्गज सामने आ गये। वे धोनी से क्रिकेट न छोड़ने की अपील करने लगे। सबको लगता है कि क्रिकेट को धोनी अभी बहुत कुछ दे सकते हैं। उनका क्रिकेट अभी बाकी है।
वहीं, सूत्रों के हवाले से मीडिया लगातार यह ख़बर दे रहा है कि बीसीसीआई महेंद्र सिंह धोनी से बात करने वाली है, क्रिकेट को लेकर उनका फ्यूचर प्लान जानने वाली है ताकि उनका सम्मानजनक रिटायरमेंट सुनिश्चित हो सके। इसकी वजह लोगों को समझ में नहीं आ रही।
कहा जा रहा है कि विश्वकप में हार के बाद टीम के भीतर घमासान छिड़ गया है। कई लोग धोनी पर सुस्त क्रिकेट खेलने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं कई खिलाड़ियों का मानना है कि धोनी ने टीम की जरूरत के हिसाब से खेला। अगर ऐसा नहीं किया गया होता तो भारतीय टीम संघर्ष करती हुई नहीं दिखती। तब भारतीय टीम विपक्षी टीम के सामने सरेंडर कर जाती।
महेंद्र सिंह धोनी को लेकर क्रिकेट से अलग राजनीति में भी चर्चा गरम है। ऐसा क्यों है, हम आपको बताते हैं। तीन घटनाएं ऐसी रही हैं जिसे लेकर धोनी के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा तेज हो रही है।
एक घटना है बीजेपी नेता संजय पासवान का बयान कि धोनी बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। दूसरी घटना लोकसभा चुनाव के दौरान की है जब अमित शाह ने महेंद्र सिंह धोनी से मुलाकात की थी। तीसरी घटना है कि बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा का रांची में एक समारोह के दौरान धोनी के बीजेपी में आने का संकेत देना। जेपी नड्डा ने सार्वजनिक रूप से प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेता लक्ष्मण गिलुवा से पूछा कि आप लोग धोनी के सम्पर्क में हैं ना?
धोनी की ज़रूरत भारतीय क्रिकेट को भी है और भारतीय जनता पार्टी को भी। झारखण्ड में चुनाव नजदीक है। बीजेपी को एंटी इनकम्बेन्सी का ख़तरा दिखने लगा है। धोनी में पार्टी संकटमोचक की छवि देख रही है। बीजेपी चाहती है कि हर हाल में महेंद्र सिंह धोनी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में शामिल हो जाएं और पार्टी के लिए कैम्पेन करें। इसमें संदेह नहीं कि धोनी के लिए झारखण्ड के लोगों में चाहत पार्टी लाइन से उठकर है। वे बीजेपी के पक्ष में जीत की लहर पैदा कर सकते हैं।
धोनी निश्चित रूप से उधेड़बुन में होंगे। एक तरफ राजनीति उनके दरवाजे दस्तक दे रही है दूसरी तरफ क्रिकेट की दुनिया से उनका स्वाभाविक प्यार उन्हें फैसले लेने नहीं दे रहा है। अगर राजनीति से मिल रही दस्तक को उन्होंने ठुकराया, तो बीजेपी रूठ सकती है। वहीं, अगर क्रिकेट छोड़ी तो उनसे उनका पहला प्यार रूठ जाएगा। वह वजह पीछे छूट जाएगी जिसने धोनी को धोनी बनाया।
धोनी मिस्टर कूल कहे जाते हैं। माना जाता है कि वे ठंडे दिमाग से सही फैसला लेते हैं। क्रिकेट में भी खिलाड़ियों को अक्सर प्रतिकूल परिस्थितियों में रिटायर होना पड़ता है। यह परिस्थिति कई बार खुद पैदा होती हैं तो कई बार पैदा कर दी जाती हैं। ऐसी स्थिति में क्रिकेट के सर्वोच्च शिखर पर रहते हुए सुनील गावस्कर की तरह धोनी को क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए या कि कुछ इस तरह संन्यास लिया जाए कि बीते समय में खेला गया मैच ही उनका अंतिम क्रिकेट मैच था। फैसला धोनी को करना है।