उन्नाव केस : दहन नहीं दफन हुई रेप पीड़िता
उन्नाव की रेप पीड़िता बच्ची नहीं रही…शुक्रवार की रात 11 बजकर 10 मिनट पर दम तोड़ गयी। बलात्कार के आरोपियों ने बच्ची को ज़िन्दा जला दिया था। 90 फीसदी से ज्यादा जल चुकी थी। गुरुवार 5 दिसंबर को उसे लखनऊ से दिल्ली लाया गया था।
रेप की इस घटना पर उत्तर प्रदेश ही नहीं देश में गुस्सा है…उन्नाव की पीड़िता की मौत से ठीक एक दिन पहले हैदराबाद गैंगरेप और मर्डर केस के आरोपियों का एनकाउंटर हुआ था..और लोग खुशियां मना रहे थे…बेटी की मौत पर पिता ने मांग की है कि इस मामले में भी आरोपियों को दौड़ा-दौड़ा कर गोली मारी जाए या फिर उसे फांसी दे दी जाए।
भाई का बयान और भी रोंगटे खड़े करने वाला है। भाई का कहना है कि अपनी बिल्कुल जल चुकी महिला का वह दाहसंस्कार नहीं कर करेंगे..इसके बजाए अपनी बहन के शव को वह धरती माता के गर्भ में रखना पसंद करेंगे।
वहीं बहन ने कहा है कि अदालत में इस लड़ाई को वह आगे बढ़ाएगी।
उन्नाव की बच्ची को न्याय दिलाने के लिए अखिलेश यादव विधानसभा के बाहर धरने पर बैठ गये, तो प्रियंका गांधी उन्नाव आ पहुंचीं…
विपक्ष का आरोप है कि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार में बलात्कारी और हत्यारे बेखौफ हैं।
उन्नाव की घटना इस मायने में योगी सरकार के लिए परेशान करने वाला है कि बलात्कार की पीड़िता बच्ची उस दिन अदालत जा रही थी जब रास्ते में बलात्कार के आरोपियों ने उसे ज़िन्दा जलाया…ये आरोपी जमानत पर बाहर थे…ये लगातार पीड़िता परिवार को धमकियां दे रहे थे…केस वापस लेने का दबाव डाल रहे थे…लेकिन पुलिस ने पीड़िता को सुरक्षा नहीं दी…
पीड़िता बच्ची ने इंसाफ के लिए झुकना कबूल नहीं किया…वह डरी नहीं…90 फीसदी जल जाने के बावजदू उसने एक किलोमीटर तक दौड़ते हुए बचने की कोशिश की…गांव वाले से मोबाइल मांग कर पुलिस को फोन किया…अस्पताल में भी जैसे ही होश आया उसने अपना बयान दर्ज कराया…दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में में भी उसके आखिरी शब्द यही थे कि वह जीना चाहती है…बलात्कारियों को मौत की सज़ा दिलानी चाहती है…
पीड़िता की मौत ने कई सवाल छोड़े हैं…
पीड़िता की मौत से उठे सवाल
क्या बलात्कारी और हत्यारे को सज़ा मिलेगी?
क्या आने वाले समय में बच्चियां उसकी ही तरह लाचार रहेगी?
क्या पुलिस का काम घटना की लीपापोती करना रह गया है?
आखिर सरकारें होती किसलिए हैं?