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झारखण्ड में हेमंत युग

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झारखण्ड के 11वें मुख्यमंत्री हैं हेमंत सोरेन…28 दिसंबर की दोपहर 2 बजकर 21 मिनट पर शपथ लेने के तुरंत बाद रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते ही उन्होंने दूसरी बार झारखण्ड की कमान सम्भाल ली। वे राज्य के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इसे जेएमएम के कार्यकर्ता झारखण्ड में नये हेमंत युग के तौर पर भी देख रहे हैं।

दिखी भावी राजनीतिक समीकरण की तस्वीर

हेमंत के शपथग्रहण समारोह में राहुल गांधी, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, एमके स्टालिन, शरद यादव, जीतन राम मांझी जैसे नेता शरीक हुए। गौर से देखें तो ये तमाम नेता 2021 में होने वाले चुनाव का चेहरा हैं- चाहे वह बिहार हो या फिर बंगाल या तमिलनाडु।

दूर रहे केजरीवाल

दिल्ली में अगले महीने चुनाव का शंखनाद हो रहा है। लिहाजा अरविन्द केजरीवाल की उपस्थिति की उम्मीद सबको थी, लेकिन चूकि केजरीवाल दिल्ली में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस का भी मुकाबला करने जा रहे हैं इसलिए उन्होंने खुद को समारोह से दूर रखा।

SP-BSP ने भी बनायी दूरी

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को भी विपक्षी एकता की जरूरत फिलहाल नहीं दिख रही है और कांग्रेस से एक औपचारिक दूरी वे बनाए रखना चाहते हैं। हेमंत के नेतृत्व वाली जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी सरकार के शपथग्रहण में शामिल नहीं होने की और कोई वजह नहीं दिखती।

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और दिशोम गुरु शिबू सोरेन की मंच पर स्वाभाविक मौजूदगी रही। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में अशोक गहलौत, भूपेश बघेल भी मंच पर नज़र आए।

  • हेमंत कैबिनेट का पहला फैसला
  • पत्थलगड़ी की घटना में दर्ज मुकदमे वापस
  • CNT, SPT एक्ट के विरोध में आंदोलन
  • 10 हज़ार से ज्यादा पर राजद्रोह का था मुकदमा

मुख्यमंत्री बनते ही हेमंत सोरेन ने पत्थलग़ड़ी की घटना में दर्ज मुकदमों को वापस लेने की घोषणा की है। छोटनागपुर काश्तकारी अधिनियम- CNT और संथाल परगना एक्ट काश्तकारी अधिनियम (SPT एक्ट) में बदलाव का विरोध करने पर रघुवर सरकार में करीब 10 हज़ार लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था।

पत्थलगड़ी ऐसी घटना है जिसने वास्तव में रघुवर सरकार के अंत की और हेमंत सरकार के बुनियाद की आधारशिला रखी है। आदिवासी रघुवर सरकार से नाराज़ दिखे, तो हेमंत के नेतृत्व में जेएमएम ने आदिवासियों की भावनाओं को सहलाते हुए अपने पक्ष में कर दिखाया। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राज्य में आदिवासियों के लिए सुरक्षित 28 सीटों में जेएमएम ने 25 सीटें जीत ली।

हेमंत का नया नारा

साथ दें, साथ चलें, नये झारखण्ड की राह चलें

हेमंत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद झारखण्ड को नया नारा दिया है- साथ दें, साथ चलें, नये झारखण्ड की राह चलें

हेमंत की भावना सही है तो उन्हें न सिर्फ आदिवासियों को साथ लेकर चलना है बल्कि गैर आदिवासियों को भी उन्हें साथ में लेकर चलना होगा। झारखण्ड में मिश्रित आबादी है। आदिवासियों की आबादी 26.11 फीसदी है।

रघुवर सरकार की चाहे जो आलोचना हो, मगर 5 साल मुख्यमंत्री रहकर रघुवर दास ने राज्य को एक स्थिर सरकार दी..अब इस परम्परा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हेमंत सोरेन की है। बहुमत की कोई दिक्कत नहीं है। चुनाव पूर्व गठबंधन को स्पष्ट जनादेश जनता ने दिया है।

झारखण्ड विधानसभा

सदस्य संख्या 81

JMM                30

CONG              16

RJD                  01

BJP                   25

AJSU                02

JVM                 03

OTHERS           04

 

जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन को 81 सदस्यों वाली विधानसभा में 47सीटें मिली हैं। इनमें जेएमएम को 30, कांग्रेस को 16 और आरजेडी को एक सीट शामिल हैं। बीजेपी को 25 सीटें मिली हैं तो आजसू को 2 और 3 सीटें जेवीएम को मिली हैं। निर्दलीय व अन्य के खाते में 4 सीटें गयी हैं।

ऐसे में अगर जरूरत है तो बस सबको साथ लेकर चलने की। शायद इसी जरूरत को हेमंत ने पहचाना है और सबको साथ चलने का नया नारा दिया है। झारखण्ड में हेमंत सोरेन की ताजपोशी के राजनीतिक संदेश भी बड़े हैं। यह देश में आम चुनाव के बाद दूसरी गैर बीजेपी सरकार है। मगर, पहली ऐसी गैर बीजेपी सरकार है जिसका आधार चुनाव पूर्व गठबंधन है। ऐसे में बीजेपी को देश के अलग-अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सावधान हो जाने की जरूरत है।

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