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PM मोदी को B’day Wish : 2019 में मिलेगा Return Gift?

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Modi will find a return gift in 2019, it is believed by his supporter. But will it happen. कहना थोड़ा मुश्किल है मगर ऐसा नहीं कहना बहुत मुश्किल है। बीसवीं सदी में जब आधी शताब्दी बीत रही थी तब गर्भ में आकार ले रहा था 21वीं सदी में देश का भविष्य, जो 9 महीने बाद 17 सितम्बर 1950 को इस दुनिया में आया। गुजरात के वडनगर की धरती पर पैदा हुए इस इंसान की ज़िन्दगी में ठीक 51 साल बाद जब भारतीय गणतंत्र भी 51 साल का था, एक बड़ा वाकया हुआ। मातृभूमि गुजरात को भूकम्प ने बुरी तरह से तहस-नहस कर डाला, मगर इसके साथ ही इसे संवारने की ज़िम्मेदारी भी इसी गुजराती सपूत को मिली। भूकम्प के 9 महीने बीतते-बीतते नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गये मानों संकट में संकटमोचन ने जन्म लिया हो।  

भुज के इस भूकम्प ने गुजरात को हिलाया जरूर था, हज़ारों जानें भी लीं थी लेकिन उसके बाद जो गुजरात बना और खड़ा हुआ, उसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। ये चमत्कार था और इसे कर दिखाया था नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व ने। अभी भूकम्प के चार महीने ही बीते थे कि गुजरात पर गोधरा और गोधरा के बाद के साम्प्रदायिक दंगों का दाग चस्पां हो गया। राजधर्म का पालन करने की नसीहत भी शुरुआती चार महीने में ही नरेन्द्र मोदी को सुननी पड़ गयी। मगर, इन दो नकारात्मक घटनाओं ने नरेन्द्र मोदी को नेतृत्व करना सिखा दिया था। नरेन्द्र मोदी 13 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।

26 मई 2014 को जब नरेन्द्र मोदी ने संसद की चौखट पर मत्था टेकते हुए प्रवेश किया और प्रधानमंत्री का पद सम्भाला तब उनके नेतृत्व की चमक से देश जगमगा रहा था। राजनीति को जानने वाले मानते हैं कि 2014 का आम चुनाव बीजेपी ने नहीं, नरेन्द्र मोदी ने लड़ा था। एक साथ देश के कई हिस्सों में स्क्रीन के जरिए भाषण, जनता से संवाद, चुनाव की जंग को वास्तविक जंग बनाते हुए जीतने के लिए लड़ाई और इस बाबत सबकुछ झोंक देना देश ने पहली बार देखा था। नरेन्द्र मोदी का इन्टरव्यू करने के लिए न्यूज़ चैनलों में होड़ लग गयी। जब वे चाहते, जिसको चाहते इंटरव्यू देते और नहीं चाहते, तो नहीं देते। यह स्थिति पीएम बनने से पहले नरेन्द्र मोदी ने अपने लिए बना ली थी।

कहते हैं 8 साल की उम्र में ही नरेन्द्र मोदी आरएसएस से जुड़ गये। हालांकि 1971 में जब वे 21 साल के हुए तभी उन्हें संघ की पूर्णकालिक सदस्यता मिली। संघ के कार्यकर्ता के रूप में नरेन्द्र मोदी ने इमर्जेंसी के दौरान वेष बदलकर गिरफ्तार संघ व जनसंघ के नेताओं से संवाद रखा। बीजेपी में मोदी आए 1985 में, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी का नेतृत्व अब लाल कृष्ण आडवाणी के हाथों में आ गया और संघ की भी पकड़ बीजेपी पर मजबूत होने लगी। सोमनाथ से अयोध्या तक आडवाणी की रथयात्रा में नरेन्द्र मोदी सारथी के तौर पर साथ रहे। फिर तो मानो बीजेपी का उत्कर्ष काल शुरू हो गया। तीन बार अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने।

मगर, जब 2004 में इंडिया शाइनिंग फेल हुआ और बीजेपी को 10 साल का सत्ता से बनवास हुआ, तो इस बार बीजेपी का रथ आगे बढ़ाने के लिए वही सारथी नरेन्द्र मोदी खुद आगे आ गये और आडवाणी अतीत के महारथी होकर रह गये। 

प्रधानमंत्री बनते ही सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को शपथग्रहण में बुलाकर नरेन्द्र मोदी ने अपनी अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक समझ को पहले ही दिन दुनिया के सामने रख दिया। गरीबों के लिए वे और उनकी सरकार होगी, ऐसा वे सवा सौ करोड़ लोगों को पहले ही कह चुके थे।

नरेन्द्र मोदी ने लालकिले से अपने पहले ही संबोधन में जन-धन योजना का एलान कर डाला। एक हफ्ते में 1 करोड़ 80 लाख लोगों के बैंक अकाउन्ट खुल गये और एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया। जनधन योजना से जुड़े अकाउन्ट के जरिए गैस सिलिन्डर की सब्सिडी खातों में सीधे पहुंचने लगीं।

हर घर में गैस कनेक्शन और रोटी बेलती माताओं की आंखों से बहते आंसुओं को पोंछने का भावनात्मक लक्ष्य भी उज्जवला योजना बनकर सामने आया। 

नोटबंदी के रूप में एक ऐसी पहल नरेन्द्र मोदी ने कर दिखलायी जिसे सफल कर दिखाने का दावा आज भी कोई नहीं कर सकता। मगर, वह नोटबंदी इतनी सफल रही कि एक तरफ धूप में कतार बनाकर लोग खड़े थे और दूसरी तरफ उस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए चुनाव के दौरान बीजेपी की लगातार जीत हो रही थी। यह नरेन्द्र मोदी का करिश्मा ही था।

नरेन्द्र मोदी ने देश के लिए अपने विचार भी बदले। जिस जीएसटी का वे विरोध किया करते थे, अब उसी जीएसटी के लिए सर्वसम्मति कायम करने में जुट गये। जल्द ही उन्होंने देश को दूसरी आज़ादी का जश्न मनाने का मौका दिया। 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हो गयी।

देश में जो डिजिटल ट्रांसफर का युग दिख रहा है वह नोटबंदी के बाद देश को कैशलेस की ओर ले जाने की मुहिम का नतीजा है। 

हवाई चप्पल पहनने वाला आम आदमी भी हवाई जहाज का सफर करे, ये सपना कोई छोटा सपना नहीं होता। प्रधानमंत्री रहते नरेन्द्र मोदी ने इस सपने को भी साकार करने की ओर कदम बढ़ा दिया है। 2016 में इसकी शुरुआत हुई और 128 रूट पर सस्ती दरों वाली फ्लाइट आज उपलब्ध है।

स्वच्छता के प्रति देश पहली बार संजीदा हुआ है तो इसका श्रेय भी नरेन्द्र मोदी को जाता है। उन्होंने स्वच्छता को गांधीजी के सपने से जोड़ा और नतीजा ये है कि स्वच्छता के लिए ललक भी परवान चढ़ रही है और गांधीजी से जुड़ी चरखे और सूत वाली खादी के प्रति आकर्षण भी बढ़ता जा रहा है। गांवों में स्पर्धा है कि खुले में शौच से आज़ादी की घोषणा में कौन आगे हो।

मेक इन इंडिया, कौशल विकास योजना जैसी अनगिनत योजनाएं उपलब्धि में आती हैं। लक्ष्य हासिल करने को लेकर आलोचनाएं भी रहेंगी। मगर, इन योजनाओं से उठकर अगर सोच पर बात करें तो अगर 19वीं सदी की सामाजिक उपलब्धि सती प्रथा का खात्मा थी, तो 21वीं सदी की उपलब्धि ट्रिपल तलाक का ख़ात्मा है। इसका श्रेय भी नरेन्द्र मोदी को ही जाता है। ज़िन्दगी के 68 साल पूरे कर  रहे नरेन्द्र मोदी इन उपलब्धियों के साथ वास्तव में भारत की जनता की ओर से बर्थ डे विश के हकदार हैं। हैप्पी बर्थ डे टू नरेन्द्र मोदी।

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