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राजनीति में ‘गंदी बात’

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राजनीति में ‘गंदी बात’। रोकने को दिखता हर कोई है, रोकना कोई नहीं चाहता। आए दिन कोई न कोई नेता, कोई न कोई महानुभाव अपनी ज़ुबान को बेलगाम छोड़ देते हैं। जब हंगामा बरपता है, तो जवाब भी तयशुदा होता है। ‘बातों को तोड़ मरोड़ कर पेशा किया गया’ बताते हैं या फिर ‘अगर-मगर’ कहते हुए खेद जताते हैं। जो नेता बड़े कहलाते हैं या फिर जो ऐसे बयानों के आदी हो चुके हैं, वे तो चुप्पी लगाकर ही काम चला लेते हैं।

चुनाव के समय में ये गंदी बातों की बेसुरी आवाज़ अधिक सुनाई देती है। पांच राज्यों में चुनाव प्रगति पर है। कहीं वोटिंग हो चुकी है, कहीं वोटिंग होने वाली है मगर फ़िजां से ये आवाज़ हटने को तैयार नहीं है।

राजस्थान के चुनाव में दो ऐसे बयानों से शुरुआत करते हैं जो भारत की जाति व्यवस्था को बयां करती है। जातीय व्यवस्था को धर्म और संस्कार के साथ जोड़ती है। एक बयान है योगी आदित्यनाथ का, जो उन्होंने राजस्थान के मलखेड़ा में दिया। दूसरा बयान है कांग्रेस नेता पीसी जोशी का।

“बजरंगबली हमारी भारतीय परंपरा में ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं। पूरे भारतीय समुदाय को उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूर्व से पश्चिम तक सबको जोड़ने का कार्य बजरंगबली कहते हैं।”

– योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश

एक बयान बीजेपी की ओर से है, दूसरा कांग्रेस की ओर से। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीपी जोशी के बयान से किनारा कर लिया। इसे कांग्रेस की संस्कृति के ख़िलाफ़ बताया। उसके बाद सीपी जोशी ने भी खेद प्रकट करने की औपचारिकता पूरी कर ली। हालांकि इससे ये नहीं समझ लेना चाहिए कि उनके मन का मैल मिट गया हो।

वहीं, योगी आदित्यनाथ के बजरंगबली को दलित बताने वाले बयान पर कोई सफाई बीजेपी की ओर से नहीं आयी है। योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ नाथ संप्रदाय के मठाधीश भी हैं। लिहाजा धार्मिक आधार पर वे कितने सही हैं इस बारे में उत्तर शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानान्द के मुख से ही सुनना बेहतर होगा-

“ऐसा है कि भगवान को दलित कहना ये स्वयं अपराध है।”– स्वामी स्वरूपानन्द, शंकराचार्य, शारदापीठ

योगी आदित्यनाथ से जुड़ी हुई बात यहीं ख़त्म नहीं होती। वे ‘‘गंदी बात’’ को ‘गंदी’ बताते हुए भी ‘‘गंदी बात’’ बोलते हैं। जब कमलनाथ का वो बहुचर्चित वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे मुस्लिम समुदाय के बीच बात करते हुए कांग्रेस की जीत के लिए मुसलमानों का 90 फीसदी मतदान जरूरी बताते हैं, तो योगी आदित्यनाथ उसे ‘‘गंदी बात’’ ठहराते तो हैं लेकिन ऐसा करते हुए उनकी तुलना वे ‘अली’ से कर बैठते हैं। अली, जो मुसलमानों के लिए खुदा हैं, सर्वोच्च आस्था के प्रतीक हैं। कहने की ज़रूरत नहीं कि योगी आदित्यनाथ खुद को बजरंगबली से जोड़ते हैं। आप दोनों के बयान बारी-बारी से सुनें-

90 फीसदी मुसलमान वोट करें- कमलनाथ

“उनके अली मुबारक, हमें बजरंगबली” – योगी आदित्यनाथ का बयान

अगर बजरंग बली पर योगी आदित्यनाथ के दोनों बयानों को देखें तो वे बजरंग बली को अली के मुकाबले भी खड़ा करते हैं, उन्हें दलित, वंचित भी बताते हैं। यानी जाति की राजनीति भी है, धर्म की भी। वहीं, कांग्रेसी नेता भी अपने तुच्छ मकसद के लिए ‘गंदी बात’ लगातार बोल रहे हैं। अब हम आपको कांग्रेस के दो नेताओं के अलग-अलग बयान सुनाते हैं जिसमें एक, रुपये की तुलना डॉलर से करते हुए उसे नरेंद्र मोदी की मां से जोड़ रहा है, तो दूसरा राहुल गांधी की महिमा में नरेंद्र मोदी के पिता को खोज रहा है…यानी बिल्कुल ‘गंदी बात’ कर रहा है…

रुपया पीएम की मां की उम्र के करीब – राजबब्बर

मोदी के बाप को कोई नहीं जानता – विलास राव मुत्तेवार

इन बयानों पर नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस से जवाब मांगा। पूछा कि उनकी मां और उनके पिता को चुनाव में क्यों घसीट रही है कांग्रेस। एक को राजनीति कार नहीं आता, दूसरे को गुजरे हुए 30 साल हो गये। मगर, अपनी मां को गाली दिए जाने की बात जब मोदी कहने लगे, तो शिकायत में अतिशयोक्ति दोष यानी बढ़ा-चढ़ा कर दोष बताने की गलती भी साफ-साफ दिखने लगी। अपनी मां का ज़िक्र करते हुए जब उन्होंने पानी भरते और कूड़ा बीनते हुए लोगों में मुद्दे की बात छोड़कर तेरी मां, मेरी मां का ज़िक्र किया, तो भाषा का स्तर इतना गिर गया कि उसे भी ‘गंदी बात’ ही कहनी होगी। आप भी सुनिए नरेंद्र मोदी ने क्या कहा,

“तेरी मां..मेरी मां पर उतर जाते हैं” –  नरेंद्र मोदी

शशि थरूर और गिरिराज सिंह के बयानों को अगर शुमार नहीं करें तो ‘गंदी बात’ की स्टोरी पूरी ही नहीं होती। शशि थरूर अक्सर नरेंद्र मोदी पर हमला करते हैं पर इस बार तो उन्होंने हमला करने के लिए आरएसएस के अनाम सूत्र का सहारा ले लिया। वहीं, गिरिराज सिंह देवबंद से जुड़े लोगों को आतंकवादी बताकर एक बार फिर मुसलमानों के लिए अपनी नफ़रत को सार्वजनिक कर दिया।

“मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू जैसे”– शशि थरूर

“देवबंद के तार आतंकियों से जुड़े” – गिरिराज

कांग्रेस नेता का नरेंद्र मोदी को बिच्छू बताना या उन्हें चप्पल से मारने योग्य भी नहीं बताना निस्संदेह ‘गंदी बात’ है तो गिरिराज तो पूरी कौम के ख़िलाफ़ ही ‘गंदी बात’ बोल रहे हैं। इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।

रोकेगा कौन? नरेंद्र मोदी हों या राहुल गांधी- ये लोग भी मौका मिलते ही थोड़ी बहुत ‘गंदी बात’ कर ही लेते हैं। अब राहुल गांधी को ही लीजिए, वे न सिर्फ प्रधानमंत्री को चौकीदार बता रहे हैं, बल्कि उनको चोर भी कह रहे हैं।

“चौकीदार चोर है” – राहुल गांधी

‘गंदी बात’ का स्तर केन्द्र से राज्य और ज़िला व ब्लॉक स्तर पर जाते-जाते और गंदा होता चला जाता है। उन उदाहरणों के ज़िक्र की ज़रूरत नहीं लगती। यह धरती उन्हीं कबीर की है जिन्होंने लिख छोड़ा था

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय

औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय

आखिर नेता आपा क्यों खो रहे हैं, वे दूसरों के मन को शीतल करने में यकीन क्यों नहीं रखते। खुद का मन शीतल करने के बारे में क्यों नहीं सोचते। ऐसे ही बोल क्यों बोलते हैं जिसमें वे आपा खो चुके नज़र आते हैं। राजनीति में ऐसी गंदी बातों का अंत करने की शुरुआत आखिर कब होगी?

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