कांग्रेस ने जीता सत्ता का सेमीफ़ाइनल
सत्ता का सेमीफ़ाइनल कांग्रेस ने जीत लिया है। बीजेपी से कांग्रेस ने तीन राज्य छीन लिए हैं। कांग्रेस यह मुकाबला 3-1 से जीत गयी। मिजोरम में कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा है। बीजेपी के नज़रिए से देखें तो 0-3 से उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है। तेलंगाना में टीडीपी और कांग्रेस की भी करारी हार हुई है। यहां टीआरएस ने अपना परचम लहराया है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बहुत आसान जीत मिली, जबकि राजस्थान में भी जीत मुश्किल नहीं रही। मध्यप्रदेश में कांटे के मुकाबले में बाजी कांग्रेस के हाथ लगी है।
सबसे पहले राजस्थान की बात करें जहां 199 सीटों पर चुनाव हुए। यहां बीजेपी के लिए करारी हार की आशंका थी, जो सच साबित हुई। कांग्रेस को अपने बूते बहुमत का आंकड़ा आखिरकार मिल गया। कांग्रेस ने सेंचुरी लगा लगी। बीजेपी 70 सीट भी नहीं छू पायी। छोटे-छोटे दलों ने अपने लिए 16 सीटों पर कब्जा किया ,जिनमें बीएसपी की 6 सीटें हैं। निर्दलीयों ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया।
मध्यप्रदेश में 230 सीटों के लिए मतदान हुए थे। इनमें कांग्रेस ने आधी सीटें अपने नाम कर ली। बीजेपी आधी से 10 सीटें कम रह गयीं। अन्य के खाते में 10 सीटें आयीं। इनमें बीएसपी की 4 और एसपी की 2 सीटें शामिल हैं। दोनों ही पार्टियों ने बीजेपी को समर्थन नहीं देने का एलान कर यह तय कर दिया है कि वहां हर हाल में बीजेपी सत्ता से बाहर ही रहेगी।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया है। यहां कांग्रेस ने 90 सीटों में से 65 अपने नाम कर लिया है जबकि बीजेपी के हाथ महज 15 सीटें लगी हैं। अन्य के खाते में 10 सीटें गयी हैं जिनमें अजित जोगी की JCCJ को 5 और बीएसपी को 3 सीटें शामिल हैं।
तेलंगाना में 119 सीटों के लिए हुए चुनाव में टीआरएस ने 87 सीटें जीती हैं। कांग्रेस महज 20 सीटों पर सिमट गयी, जबकि उसकी सहयोगी टीडीपी को महज 2 सीटें मिली हैं। वहीं बीजेपी के हाथ 1 सीट लगी हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के खाते में 7सीटें गयी हैं। एक सीट फॉरवर्ड ब्लॉक को गयी है जबकि एक पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता है।
मिजोरम में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गयी। यहां 40 सीटों के लिए चुनाव हुए, जिनमें मिजो नेशनल फ्रंट को 26 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस को 5 और बीजेपी को 1 सीट मिल सकी हैं। अन्य के खाते में 8 सीटें गयी हैं।सत्ता का सेमीफाइनल ख़त्म हो जाने के बाद अब सबकी नज़र 2019 के लोकसभा चुनाव पर है। कांग्रेस जहां जीत के मनोबल के साथ मैदान में उतरेगी, वहीं बीजेपी अपने मनोबल को दुरुस्त करने के लिए नये समीकरण, नये नारे, नये मकसद के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का प्रयास करेगी।