जालसाजी में कीर्तिमान, मोदी सरकार में टूटे रिकॉर्ड
2017-18 में धोखेबाजों ने 41,167.7 करोड़ रुपये बैंकों से लूट लिए। जानते हैं यह रकम कितनी है? छत्तीसगढ़ में इस रकम से 7 बार किसानों का ऋण माफ हो सकता था, तो 70 बार असम में ऋणमाफी हो सकती थी। यह मध्यप्रदेश में किसानों को माफ की गयी रकम 38 हज़ार करोड़ से भी ज्यादा है। छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु और तेलंगाना में माफ की गयी रकम को अगर जोड़ दे तो वह रकम होती है 41,700 करोड़, जो इस फ्रॉड के तकरीबन बराबर है।
मोटी रकम पर साफ किए गये हाथ
आपको आश्चर्य होगा कि 41,167.7 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में 80 फीसदी रकम 50 करोड़ से अधिक वाली है। कहने का मतलब ये है कि मोटी रकम पर हाथ साफ करने वाली घटनाएं अधिक हुई हैं। 1 लाख से अधिक की धोखाधड़ी वाले मामलों में 93 फीसदी मामले सार्वजनिक बैंकों से जुड़े हैं। इसका मतलब ये हुआ कि इस मामले में निजी बैंक अधिक सुरक्षित दिखे हैं।
मोदी सरकार ने खुद तोड़ा अपना रिकॉर्ड
धोखाधड़ी के मामले में मोदी सरकार ने अपना रिकॉर्ड खुद ही तोड़ा है। 2016-17 में 23,933 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी। इस साल 41,167.7 करोड़ की धोखाधड़ी का मतलब है कि रकम में 72 फीसदी की बढ़ोतरी हो गयी। 2016-17 में धोखाधड़ी के 5076 मामले सामने आए थे, 2017-18 में इन मामलों की संख्या बढ़कर 5917 हो गयी।
मोदी सरकार में बढ़ी चार गुणा धोखाधड़ी
मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले 2013-14 में बैंकों में धोखाधड़ी की रकम 10,170 करोड़ रुपये थी। 2017-18 में यह रकम 41,167.7 करोड़ हो गयी है तो इसका मतलब ये है कि चार गुणा धोखाधड़ी अधिक हुई है।
डिजिटल इंडिया के लिए ख़तरे की घंटी
2017-18 में जो धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं उनमें ज्यादातर मामले ऑफ बैलेंस शीट ऑपरेशन, विदेशी मुद्रा लेनदेन, जमा खातों और साइबर गतिविधि से संबंधित हैं। अगर सिर्फ साइबर धोखाधड़ी की बात करें तो 2017-18 में 2059 मामले सामने आए और इनसे 109.6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 2016-17 से तुलना करें तो 1372 मामलों मे तब 42.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। मतलब ये है कि महज एक साल में ढाई गुणा नुकसान बढ़ गया है। डिजिटल इंडिया के लिए यह ख़तरे की घंटी है। माना ये जा रहा था कि डिजिटल इंडिया में धोखाधड़ी रुकेगी और लोगों की रकम अधिक सुरक्षित होगी। मगर, नतीजे उल्टे मिल रहे हैं।
बैड लोन एक साल में 23 फीसदी बढ़े
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते है कि बैडलोन भी बढ़ गये हैं। मार्च 2018 में बैड लोन 10,39,700 करोड़ रुपये थे। पिछले साल के मुकाबले यह बढ़ोतरी 21 फीसदी से ज्यादा है। बैंकों से जिस तरीके से फ्रॉड करके नीरव मोदी-राहुल चौकसी जैसे लोग फरार हुए हैं उससे भी एनपीए बढ़ा है। इनके कारण अकेले 13 हज़ार करोड़ का नुकसान तो सिर्फ पंजाब नेशनल बैंक को हुआ है। इन घटनाओं के बाद बैंकों में अपने धन की सुरक्षा को लेकर आम लोगों में चिन्ता बढ़ गयी है। यहां तक कि अब डिजिटल इंडिया को भी लोग शक की नज़र से देखने को मजबूर हो गये हैं। इन चिन्ताओं को दूर करने के लिए कारगर कदम उठाने की सख्त जरूरत है।
It’s fake and fabricated don’t agree