कर्नाटक में ऐसे फेल हुआ Operation Lotus 3, जानिए पूरी बात
फेल हो गया ऑपरेशन लोटस 3. लापता 5 कांग्रेस विधायकों का पता चल चुका है। बेंगलुरू में कांग्रेस-जेडीएस विधायकों को तोड़ने-फोड़ने के लिए जो माहौल बना था, वह माहौल सुस्त पड़ गया है। कांग्रेस-जेडीएस अपने-अपने विधायकों की शक्ति का प्रदर्शन दिखाने जा रहे हैं। और, गुरुग्राम के रिजॉर्ट में भी मानो छुट्टियों के दिन अब ख़त्म हो गये हैं। आखिर क्या है ऑपरेशन लोटस 3? क्यों फेल हुआ यह ऑपरेशन?
सबसे पहले आपको समझाते हैं ऑपरेशन लोटस. इसका संबंध बीजेपी की ओर से सरकार बनाने की कोशिशों से है। कर्नाटक में बीजेपी का चेहरा रहे बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में उन कोशिशों से, जिसमें वे मुख्यमंत्री बनने का प्रयास करते रहे हैं।
Operation Lotus 1
साल 2008
कर्नाटक विधानसभा 224
मैजिक फिगर 113
बीजेपी 110
ज़रूरत 3
वह साल 2008 था। बीजेपी को चुनाव बाद 110 सीटें मिली थीं। यानी सरकार बनाने के लिए 3 और सीटों की जरूरत थी। कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों ने निजी कारणों से अपने-अपने इस्तीफ़े दिए।
Operation Lotus 1
8 विधायकों के इस्तीफे के बाद स्थिति
कर्नाटक विधानसभा 216
मैजिक फिगर 109
बीजेपी 110
Operation Lotus 1 सफल
8 विधायकों ने इस्तीफ़े दिए। 224 सदस्यों वाली विधानसभा 216 की रह गयी। इनमें से आधे यानी 108 से एक ज्यादा विधायकों की जरूरत येदियुरप्पा ने बहुमत दिखाने के लिए पूरे कर दिए। इस प्रकार 2008 में दस साल पुराना ऑपरेशन लोटस 1 कामयाब रहा। बाद में इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों को बीजेपी ने लोटस सिम्बल दिया। मगर, उन 8 में से 5 विधायक ही दोबारा चुनकर आ पाए।
Operation Lotus 2
बात 2018 विधानसभा चुनाव के बाद की है। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 104 सीटें मिलीं, मगर बहुमत से 8 सीटें कम रह गयीं। कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन दे दिया। मगर, राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी के नेता बी एस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। 15 दिन में बहुमत सिद्ध करने को कहा। मगर,सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह समय-सीमा घटाकर एक दिन कर दी गयी। अब बहुमत के लिए फिर ऑपरेशन लोटस शुरू हुआ। समय कम था और कांग्रेस-जेडीएस चौकन्ने थे। विधानसभा में वो टेप सुनाए गये, जिनमें विधायकों को खरीदा जा रहा था। बहुत ज्यादा किरकिरी होने के बाद येदियुरप्पा ने विश्वासमत का सामना किए बगैर इस्तीफ़ा दे दिया। इस तरह पिछले साल अगस्त 2018 में हुआ ऑपरेशन लोटस 2 फेल हो गया।
Operation Lotus 3
ऑपरेशन लोटस 3 की शुरूआत दो निर्दलीय विधायकों के साथ हुई। एच कुमारस्वामी सरकार को समर्थन दे रहे इन दोनों विधायकों को समर्थन वापसी के लिए तैयार किया गया। उसके बाद सबसे पहले बीजेपी ने अपने विधायकों को सुरक्षित किया। अपने विधायकों को बेंगलुरू से गुरुग्राम के रिसोर्ट में बुला लिया गया। अब जेडीएस-कांग्रेस सरकार दबाव में आ गयी। तभी कांग्रेस के 5 विधायक लापता हो गये। पता चला कि वे मुम्बई में हैं। बेंगलुरू में भी 14 कांग्रेस विधायकों के बागी होने की ख़बर उड़ने लगी। बीजेपी नेता बयानबाजी करने लगे कि और विधायकों के टूटने का इंतज़ार किया जा रहा है। आखिरकार यह कोशिश भी परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। और,ऐसा लगता है कि ऑपरेशन लोटस 3 फेल हो गया है।
जेडीएस-कांग्रेस सरकार बचाने की जिम्मेदारी इस बार भी डी के शिवकुमार ने सम्भाली। उन्हें कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है। मुम्बई में लापता विधायकों को घर लाने में वे कामयाब रहे। इस दौरान मुम्बई में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से हुई उनकी मुलाकात की चर्चा भी जोरों पर है। बहरहाल सभी कांग्रेसी विधायक अब अपने नेतृत्व के सम्पर्क में हैं। बीजेपी के लिए अब 14 विधायकों से इस्तीफे दिलाना और निर्दलीय विधायकों की मदद से अपने 104+2 की टैली को मैजिक फिगर में बदलना मुश्किल हो गया दिखता है। इस तरह ऑपरेशन लोटस 3 फेल हो गया।
क्या था Modus Oprendi ?
चार एक्शन ऑफ प्लान थे
- निर्दलीय विधायकों से इस्तीफ़े लेना
- कुछ विधायकों को ‘लापता’ करना
- अपने विधायकों को सुरक्षित रखना
- अधिक से अधिक अफवाह फैलाना
ऑपरेशन लोटस 3 में चार एक्शन ऑफ प्लान थे। निर्दलीय विधायकों से इस्तीफ़ा लेना, कुछ विधायकों को लापता करना, अपने विधायकों को सुरक्षित रखना और अधिक से अधिक अफवाह फैलाना कि कुमारस्वामी की सरकार गिरने वाली है। इनमें से दूसरा और चौथा एक्शन ही नतीजे देने वाले थे। दूसरा एक्शन फेल होते ही चौथा एक्शन भी आगे बढ़ने से रह गया। उल्टे कुमारस्वामी ने 5 से 6 बीजेपी विधायकों के सम्पर्क में रहने का दावा कर बीजेपी खेमे को निराश कर दिया। हर एक्शन में रुपयों का खेल हुआ। मगर, ये खेल फिजूलखर्ची और तमाशा बनकर रह गया। लोकतंत्र का ऐसा तमाशा जो राजनीति का मतलब सरकार बनाना और गिराना होकर रह गया है।
कहते हैं कि विधायक बिकाऊ हो गये हैं। मगर, यह आंशिक सच्चाई है। पूरा सच है कि राजनीतिक दल व्यापारी होते दिख रहे हैं। जैसे कि एक ख़बर ये भी है कि ऑपरेशन लोटस 3 की शुरुआत तभी हो पायी जब बीजेपी खेमे को कर्नाटक कांग्रेस के दो बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और संकटमोचक डीके शिवकुमार के बीच की ताजा अनबन की भनक लगी और बीजेपी ने गरम लोहे पर हथौड़ा मार दिया। अगर एक दल दूसरे दल के विधायकों को नहीं खरीदेंगे, तो वह बिकाऊ चाहकर भी नहीं हो सकता। मगर, स्वार्थ की राजनीति ने राजनीतिक दलों को अंधा कर दिया है।
इस बीच कर्नाटक में 28 लोकसभा सीटों में से 20 का दावा करने और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ऑपरेशन लोटस 3 के मेंटर माने जाने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गये हैं। बीएस येदियुरप्पा गुरुग्राम में बैठे भले ही अच्छी खबर का इंतज़ार करते रह गये, लेकिन उन्हें अपने अध्यक्ष के बीमार होने की इस बुरी ख़बर ने भी उनके इंतज़ार को अनन्तकालीन बना दिया है। कह सकते हैं कि ऑपरेशन लोटस 3 फेल हो गया है।