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मोदी नहीं, माया या नीतीश होंगे PM

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बीजेपी को नहीं मिलेगा बहुमत

एनडीए भी रहेगा बहुमत से दूर

फिर कैसे बनेंगे नरेंद्र मोदी पीएम?

…तो 2019 में मोदी नहीं बनेंगे PM?

2019 में नरेंद्र मोदी PM नहीं बनेंगे..यह सम्भावना भी है, सवाल भी है। सम्भावना और सवाल इसलिए पैदा हो रहे हैं क्योंकि एबीपी-सी वोटर के सर्वे ये बात सामने आयी है कि बीजेपी तो छोड़िए, एनडीए को भी अपने बूते बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। सर्वे में एनडीए को 233 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है जो बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से 39 सीटें कम हैं। ये 39 सीटें एनडीए को कहां से मिलेंगी? वो कौन से दल हैं जो एनडीए को समर्थन दे सकते हैं?

इन सवालों का जवाब हम आपको बताएंगे मगर इससे पहले नज़र डालते हैं कि सी वोटर और एबीपी का सर्वे क्या कह रहा है

ABP News-C voter Survey : Jan’2019

लोकसभा में कुल सीट                          :               543

जादुई आंकड़ा                                      :               272

एनडीए                                                 :               233

यूपीए                                                    :               167

अन्य                                                     :               143

मतलब साफ है कि दो बड़े गठबंधन एनडीए और यूपीए के रहते हुए भी त्रिशंकु सदन बनने जा रहा है। यानी जनादेश ये है कि मजबूत नहीं, मजबूर सरकार की देश को जरूरत है। मजबूत सरकार का हश्र जनता ने देख लिया। अब उसे ऐसी सरकार चाहिए जिसकी मनमानी रोकने वाले दल भी साथ में हों। सवाल ये है कि ऐसे कौन से दल हो सकते हैं जो एनडीए कीसरकार भी बनाए और उनकी मनमानी भी रोके?

ABP News-C voter Survey : Jan’2019

जादुई आंकड़ा                         :               272

NDA                                      :               233

जरूरत                                   :                39

BJD                                         :                  06

YSR CONGRESS                  :                  19

TRS                                         :                  16

एनडीए को समर्थन देने वाले दलों की सूची में जो नाम सबसे आगे है उनमें शामिल हैं बीजेडी यानी बीजू जनता दल, मगर उसे सर्वे के मुताबिक ओडिशा में 6 सीटें मिलती दिख रही हैं। दूसरा सम्भावित दल हो सकता है वाईएसआर कांग्रेस जिसके नेता जगन मोहन रेड्डी हैं। रेड्डी की पार्टी को 19 सीटें मिलने का अनुमान जताया या है। तीसरी पार्टी जो एनडीए को मदद कर सकती है वो है तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस, जिसे 16 सीटें मिलने का अनुमान है।

मगर, सवाल ये है कि क्या ये तीन दल नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए तैयार होंगे? एनडीए में शिवसेना जैसे जो दल हैं क्या वे नरेंद्र मोदी का नेतृत्व बदलने की मांग नहीं करेंगे? सवाल ये भी है कि खुद बीजेपी के भीतर से ये आवाज़ नहीं उठेगी कि जिस नेतृत्व को जनता ने नकार दिया है उसे दोबारा जनता पर नहीं थोपा जाए? क्या आरएसएस वीटो नहीं लगाएगा कि कोई नया चेहरा देश का नेतृत्व करे?

ABP News-C voter Survey : Jan’2019

मायावती के लिए क्या है गणित

SP+BSP                                 = 51

UPA                       =167 (51+167= 257)

TMC                       = 34

(257+34= 291= बहुमत से 19 ज्यादा)

चुनाव बाद की परिस्थिति में निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन नयी सरकार की चाभी अपने पास रखने की कोशिश करेगा। ABP-C VOTER के सर्वे में इस गठबंधन को 51 सीटें मिलती दिख रही हैं। यह सम्भव है कि बीएसपी प्रमुख मायावती का नाम आगे किया जाए और उन तीन दलों यानी बीजेडी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस को तीसरा मोर्चा के नाम पर सहमत किया जाए। अगर ऐसा हो जाता है तो संख्या हो जाती है 51+39= 90. इसमें अगर यूपीए को मिली 167 सीटें जोड़ दें तो संख्या हो जाती है 257. यानी मैजिक फिगर से 15 सीटें दूर। अब इस स्थिति में सिर्फ ममता बनर्जी के मदद की जरूरत होगी जिन्हे एबीपी-सी वोटर के सर्वे में 34 सीटें मिलती दिख रही हैं। यानी 291 सीटों के साथ मायावती के नेतृत्व में सरकार की सम्भावना बनती है।{GFX OUT}

वैसे लगभग ऐसी ही सम्भावना ममता बनर्जी के साथ भी देखी जा सकती है। मगर, उनकी स्वीकार्यता में बाधा एसपी-बीएसपी गठबंधन ही होगा। मायावती अपनी दावेदारी को इतनी आसानी से ममता बनर्जी की ओर शिफ्ट होने नहीं देंगी। दूसरी बात ये है कि अनिश्चितता के माहौल में खुद ममता भी इस पद को स्वीकार करने आगे नहीं आएं।

नीतीश कुमार के लिए डबल मौका’ : मौका नम्बर वन

एक सम्भावना एनडीए में फूट की भी रहेगी। तब नीतीश कुमार को पीएम बनाने का ऑफर यूपीए दे सकता है। आरजेडी भी बिहार में तेजस्वी यादव को सीएम बनाने की शर्त पर नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने पर सहमत हो सकता है। वहीं, नीतीश कुमार की स्वीकार्यता में तीसरे मोर्चे को भी बहुत दिक्कत नहीं होगी। नीतीश कुमार के पक्ष में एक बात और जाती है कि एनडीए छोड़कर आने से नीतीश के लिए व्यापक समर्थन का आधार तैयार होगा। वास्तव में जब यह आधार दिखेगा तभी नीतीश ऐसा रिस्क भी लेंगे।

नीतीश कुमार के लिए डबल मौका’ : मौका नम्बर  टू

एक और बड़ी सम्भावना ये है कि सरकार नहीं बनता देखकर खुद बीजेपी ही नीतीश कुमार के नाम पर देश में समर्थन जुटाने की कोशिश करे। बदले में उसे बिहार की सत्ता भी मिल जा सकती है। सुशील कुमार मोदी का रुतबा डिप्टी सीएम से बढ़कर सीएम हो जा सकता है। दूसरी बात ये है कि नीतीश के नाम पर बहुमत जुटाना भी एनडीए के लिए बहुत आसान रहेगा। बीजेडी, टीआरएस जैसे नये सहयोगी सहज भाव से मिल जाएंगे।

ABP News-C voter Survey : Jan’2019

  • यूपी में एनडीए को भारी नुकसान
  • 2014 में 73 सीटों के मुकाबले मिलेंगी 25 सीटें
  • गुजरात में 26 में से 24 सीटें बीजेपी को
  • मध्यप्रदेश में 29 में से 23 सीटें बीजेपी को
  • राजस्थान में कमोबेश पहले जैसी स्थिति
  • छत्तीसगढ़ में बीजेपी को नुकसान
  • महाराष्ट्र में तगड़ी चोट, एनडीए को महज 16 सीटें
  • बंगाल में ममता हावी, बीजेपी को 7 सीटें

एबीपी-सी वोटर के सर्वे में जो मुख्य रूप से बातें कही गयी हैं उनमें यूपी में एनडीए को भारी नुकसान यानी महज 25 सीटें मिलती दिख रही हैं। यानी 2014 के 73 सीटों की तुलना में इस बार यूपी में महज 25 सीटें मिल रही हैं। वहीं गुजरात में 26 में से 24 सीटें बीजेपी जीत ले सकती है। मध्यप्रदेश में भी 29 में से 23 सीटें बीजीपी को मिलने का अनुमान जताया गया है। राजस्थान में कमोबेश पहले जैसी स्थिति रहने वाली है जबकि छत्तीसगढ़ में नुकसान होगा। इसके अलावा महाराष्ट्र में एनडीए के लिए भारी नुकसान का अनुमान है। वह महज 16 सीटों तक सिमट सकता है। बंगाल में ममता बनर्जी के सामने बीजेपी की दाल नहीं गलने वाली है। फिर भी उसे 7 सीटें मिल सकती हैं।

वक्त इतना नहीं है कि राजनीतिक परिदृश्य में बहुत बदलाव हो, मगर ये भी सच है कि यह महज सर्वे है नतीजे नहीं। फिर भी वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह विश्लेषण बनता है कि एनडीए को अगर 39 सीटें कम पड़ गयीं तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का बनना सम्भव नहीं होगा। मायावती, ममता बनर्जी या फिर एनडीए में ही टूट फूट के बाद नीतीश कुमार जैसे चेहरे को उभरने से रोकने के लिए शायद खुद नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी और गठबंधन में नया चेहरा तलाशने को तैयार हो जाएं।

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