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रायबरेली से ही लड़ेंगी प्रियंका : सोनिया संसदीय राजनीति से अलविदा !

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सोनिया हो रही हैं संसदीय राजनीति से अलविदा!

रायबरेली से ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी प्रियंका!

सोनिया गांधी से दिसम्बर 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष का बैटन राहुल गांधी ने लिया था। अब संसदीय राजनीति भी छोड़ रही हैं सोनिया। कोई औपचारिक एलान नहीं हुआ है। न ही कोई इसकी पुष्टि कर रहा है। मगर, सोनिया की सियासत की शैली को समझने वाले इसे मान कर चल रहे हैं।

सोनिया ने राहुल को दी थी अमेठी

प्रियंका को देने जा रही हैं रायबरेली

1997 के बाद से 22 साल में सोनिया गांधी ने कांग्रेस को 2004 और 2009 में सत्ता के शिखर तक पहुंचाया। मगर, 2014 में कांग्रेस एक बार फिर अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गयी।

बीते पांच साल में संघर्ष की राह चलकर राहुल गांधी ने एक उम्मीद कांग्रेस में जगायी है। अब वे कांग्रेस अध्यक्ष हैं। और, खुद सोनिया गांधी यूपीए की कमान सम्भाल रही हैं। मगर, अब प्रियंका के हाथों रायबरेली सौंप कर संसदीय राजनीति से भी दूर होने जा रही हैं सोनिया गांधी।

अमेठी से सांसद रहे थे राजीव-सोनिया

इंदिरा-सोनिया की सीट रही थी रायबरेली

अब अमेठी-रायबरेली ही नहीं

पूरी कांग्रेस है राहुल-प्रियंका के हवाले

रायबरेली सीट से चुनाव लड़कर प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी से राजनीति का बैटन हासिल करने जा रही हैं। रास्ता तो सोनिया ने दिखला दिया है, मगर इन रास्तों से मंजिल तक का संघर्ष इन्हें खुद तय करना है चाहे वह राहुल हों या फिर प्रियंका। इसी संघर्ष पर कांग्रेस का भविष्य भी निर्भर करने वाला है।

सोनिया गांधी का राजनीतिक करियर 22 साल का हो चुका है और राहुल गांधी 15 साल से संसदीय राजनीति में हैं। मगर, प्रियंका गांधी भी अनौपचारिक रूप से इस दौरान राजनीति में सक्रिय रही हैं। जब सोनिया ने 51 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था तब प्रियंका 25 साल की थीं और अब वह प्रियंका 47 साल की हो चुकी हैं।

गांधी परिवार में एक साथ तीन नेता कभी सक्रिय नहीं रहे। मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू दोनों पिता-पुत्र एक साथ कांग्रेस में सक्रिय रहे। दोनों ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद सम्भाला। दोनों जेल भी गये।

पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री रहते इंदिरा गांधी सिर्फ उनकी पर्सनल सेक्रट्री के रूप में सक्रिय रहीं। उनकी मौत के बाद ही उन्होंने राजनीति में एंट्री की।  इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी एक साथ राजनीति में जरूर सक्रिय रहे, लेकिन तब राजीव गांधी को राजनीति में दिलचस्पी नहीं थी। विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को कांग्रेस में सक्रिय किया।

जब 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो उसके बाद राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री का पद सम्भाला। ऐसा उन्होंने सोनिया गांधी की इच्छा के विरुद्ध किया। जब राजीव गांधी की हत्या हुई, तब सोनिया गांधी राजनीति में सक्रिय नहीं थीं। 6 साल तक गांधी परिवार कांग्रेस से दूर रहा। 1997 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता तब ली जब कांग्रेस सत्ता से बाहर होने के बाद अपने बुरे दौर से गुजर रही थी। 62 दिनों के भीतर सोनिया कांग्रेस की अध्यक्ष बन गयीं।

सोनिया ने अमेठी और बेल्लारी से 1999 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस फिर से सत्ता में आयी। 2004 में सोनिया ने अमेठी की सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी और रायबरेली को अपना संसदीय सीट चुना।2019 में सोनिया गांधी रायबरेली की सीट भी प्रियंका के लिए छोड़ने जा रही हैं। अब रायबरेली से प्रियंका और अमेठी से राहुल प्रतिनिधित्व करेंगे। दोनों सीटों से सांसद रह चुकीं सोनिया गांधी अब संरक्षक की भूमिका निभाएंगी।

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