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मुलायम के मोदी : किस पर कितना असर

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मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी की शान में जो कसीदे पढ़े हैं उसका संदेश पढ़ने की कोशिश की जा रही है। मुलायम के बयान से किसे नफा होगा, किन्हें नुकसान इसका आकलन किया जा रहा है। खुद मुलायम को उनका बयान कितना राजनीतिक फायदा पहुंचाने वाला है, उनकी सियासत अब किस ओर मोड़ लेने वाली है, इस पर भी सबकी नज़र है।

कोई भी बात जो नरेंद्र मोदी की तारीफ में हों, उससे बीजेपी को निश्चित रूप से फायदा होगा। नुकसान होने का सवाल नहीं। मगर, मुलायम की तारीफ से ख़ास फायदा क्या होगा?  उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के भीतर भ्रम बढ़ेगा। बीजेपी से लड़ना है या साथ मिलकर चलना है, इसे लेकर कार्यकर्ताओँ में भ्रम पैदा होगा। इसका सीधा फायदा  बीजेपी को होगा। बहुजन समाज पार्टी कंधे बिचकाएगी। एसपी-बीएसपी में परस्पर विश्वास में कमी आ सकती है। इसका भी बीजेपी को ही फायदा होगा। इसके अलावा यह संदेश जाएगा कि मुलायम सिंह सरीखे नेता बीजेपी के दोबारा जीतकर आने की कामना कर रहे हैं तो इसका मतलब ये है कि विपक्ष में दम नहीं है। इसका भी फायदा बीजेपी को मिलेगा।

क्या एसपी को नुकसान होगा?

समाजवादी पार्टी को मुलायम सिंह के बयान की काट ढूंढ़नी होगी। अगर चुप बैठ गये, तो पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मुलायम का मोदी के दोबारा लौटने की कामना करना बीजेपी विरोध की राजनीति पर मिट्टी फेर देने के समान है। ऐसे में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को खुलकर कहना पड़ेगा कि उनके पिता के बोलने का मकसद वो नहीं था जो समझा जा रहा है। या फिर समाजवादी पार्टी बीजेपी विरोध की नीति पर कायम रहेगी और मुलायम ने जो कुछ कहा है वह उनका व्यक्तिगत विचार है।

बीएसपी की बल्ले-बल्ले

बहुजन समाज पार्टी के दोनों हाथों में लड्डू हैं। वह अखिलेश यादव के साथ दिखावे का विरोध तो जताएगी ही। उसे मुलायम के विरोध मे बोलने का मौका भी मिल गया है। इतना ही नहीं आने वाले समय में भी जरूरत पड़ने पर मायावती के लिए महागठबंधन छोड़ने या तोड़ने का बहाना बीएसपी को मिल चुका है। वह एसपी की नीयत में खोट दिखाकर कभी भी सियासी चाल सकती है।

कांग्रेस भी ख़ुश

यूपी में कांग्रेस को एसपी-बीएसपी ने साथ नहीं रखा है। {GFX IN} अब कांग्रेस बहुत आसानी से यह कह सकेगी कि वास्तव में बीजेपी का मुकाबला करने वाली कोई ताकत चुनाव मैदान में है तो वह कांग्रेस ही है। ऐसे में वह एसपी-बीएसपी के मुकाबले यूपी में अधिक जोश-खरोश के साथ चुनाव लड़ने को तैयार दिखेगी।

महागठबंधन पर असर

ऐसा नहीं लगता कि मुलायम के बयान के बाद एसपी-बीएसपी गठबंधन पर कोई असर फिलहाल पड़ेगा। दोनों पार्टियां एकजुट चुनाव लड़ेंगी। कार्यकर्ताओं के मनोबल को बनाए रखने में वर्तमान नेतृत्व सक्षम है। न तो एसपी मुलायम सिंह पर निर्भर है और न ही बीएसपी। न मुलायम के कहने पर एसपी-बीएसपी एक हुए हैं और न ही इनके कहने पर इनका साथ टूटेगा।

विपक्षी एकता पर असर

विपक्ष की एकता के पोस्टर जरूर हैं मुलायम सिंह यादव। मगर, उनके हाथों में राजनीतिक दल नहीं है, ये बात सभी जानते हैं। संरक्षक होकर भी मुलायम की हैसियत समाजवादी पार्टी में वही है जो बीजेपी में लालकृष्ण आडवाणी की। विपक्षी एकता की कोशिश करने वाले दल अपनी-अपनी फिक्र अधिक कर रहे हैं। ऐसे में वे मुलायम की बातों को क्यों महत्व दें। खासकर इसलिए कि मुलायम सिंह के बोलने का बहुत अधिक सियासी मतलब निकाला नहीं जा सकता। मुलायम दंतहीन-विषहीन राजनीतिज्ञ की तरह हैं। इसलिए यह निश्चित है कि विपक्ष की एकता पर इसका कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है।

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