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गुस्ताखियों का होगा अंत : ओसामा जैसी मौत मरेगा अजहर मसूद

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अब नहीं बच पाएगा अजहर मसूद। पूरी हो चुकी हैं उसकी गुस्ताखियों की गिनती। उसके गुनाह का सफर मानें अगर कंधार, तो 20 साल बाद अब होगा उसका संहार।

एक से बढ़कर एक आतंकी हमलों का है वो गुनहगार। उसके गुनाहों की सज़ा का वक्त आ चुका है। मौत सामने देखकर वह पाकिस्तान के बिल में जा छिपा है।

पूरे 100 गलतियों के बाद तो नहीं बचा था बुआ का भाई भी, जब शिशुपाल की गर्दन श्रीकृष्ण ने उड़ाई थी। जीवनदान का हर मौका उसने गुस्ताखियों से गंवाया था, सुदर्शन चक्र ने ही उसको यह समझाया था।

 जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा होनी पूरी थी। कौरवों ने जयद्रथ को कहीं छिपाया था। कुटिल चाल का जवाब खोजना जटिल था। अचानक तभी सूरज छिप गया, अंधकार हो आया था। मगर, वो अंधकार मिटाने का था क्षणिक अंधकार। पलक झपकते ही, जयद्रथ की जान लेने सूरज निकल आया था।

इतिहास फिर दोहराया जा रहा है। इंसानियत के दुश्मन को छिपाया जा रहा है। मगर, छिप नहीं सकता है अजहर इस बार। अजहर ही क्यों उसके साथियों की भी बारी है इस बार। वो हाफिज़ सईद हो या कि सलाहुद्दीन या कोई और गुनहगार। भारत ने अब ठान ली है। जिस किसी ने भारतीयों की जान ली है। उसको मिलेगा मुंहतोड़ जवाब।

अमेरिका ने पाकिस्तान के घुर घुसकर ओसामा बिन लादेन को मारा था। एबटाबाद में उसके घर को ही बना दिया था कब्र। अब भारत का भी टूट चुका है सब्र। अब दुनिया देखेगी बहावलपुर में अजहर मसूद का हश्र। पाकिस्तान के आर्मी बेस कैम्प के पास ही है अजहर का ठिकाना। जैसे ऐबटाबाद में पास-पास थी पाकिस्तानी आर्मी एकेडमी और ओसामा का ठिकाना। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान का मकसद रहा है आतंक के सरगना को बचाना।

ओसामा ने 11 सितम्बर 2011 में गुनाह-ए-अजीम को दिया था अंजाम, जब वर्ल्ड ट्रेड टावर हुए थे धड़ाम। 10 साल बाद आखिर ओसामा का भी वक्त आया, जब वह छिपकर भी नहीं छिप पाया। 2 मई 2011 को अमेरिका ने की कार्रवाई, बच नहीं सका लादेन, आखिर उसने जान गंवाई।

अजहर की वो मस्जिद वहीं है द जामिया शुभानअल्लाह…मस्जिद के नाम पर वह करता है चंदा… फंड जुटाने को है अल-रहम-ट्रस्ट भी..पाकिस्तान से मिलता है अलग से फंड भी…इन सबके बूते चलता है आतंकवाद का धंधा।

मसूद के हेडक्वार्टर से 100 किमी दूर है फरीदकोट, जहां रहता था अजमल कसाब…उसके सम्मान में भी खड़ा दिखता है पाकिस्तान…जिसने सजा रखा है चौराहे पर एफ-16 फाइटर जेट का मॉडल…मानो वह आतंकियों का हौंसला बढ़ाना चाहता हो खुलेआम। अब होगा इस किस्से का भी खेल तमाम।

भारत की नीति और रणनीति क्षमादान से ऊपर है उठ चुकी। क्षमा के बाद तो बस दंड का विधान है। अजहर मसूद हो या हाफिज सईद या फिर कोई सैय्यद सलाहुद्दीन…वक्त इनका आखिरी हो चला है…एयर स्ट्राइक हो या सर्जिकल स्ट्राईक, कमांडो कार्रवाई हो या कोई और तरीका…अंजाम वही होगा, जो ओसामा बिन लादेन का हुआ।

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