CAA पर क्या है भ्रम?
नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के विरोध में देशभर में आंदोलन जारी हैं तो इसके समर्थन में भी जुलूस-प्रदर्शन का सिलसिला चल रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी CAA के समर्थन में ट्विटर पर कैम्पेन चला चुके हैं, तो इसके विरोध में भी कैम्पेन चले हैं। CAA को लेकर चल रहा पक्ष और विपक्ष का आंदोलन किसी न किसी वजह से हर रोज चर्चा में है। मगर, विरोध है कि थमता ही नहीं। छात्र सड़क पर उतरे, आगजनी हुई, लाठियां चलीं, गिरफ्तारियां हुईं, गोलियां चलीं, देश भर में 29 लोग मारे गये…मगर सिलसिला है कि थमने का नाम नहीं ले रहा। आखिर
- क्या है CAA?
- क्यों हो रहा है CAA का विरोध?
- क्यों CAA पर अड़ी है सरकार?
- क्यों जारी है CAA पर तकरार?
सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट 2019…संक्षेप में कहें तो CAA 2019. दोनों सदनों से पारित कानून है यह। देश में लागू हो चुका है। सबसे पहले यह जान लेते हैं कि CAA के समर्थक क्या कह रहे हैं? क्या हैं उनके तर्क?
क्या कहते हैं CAA समर्थक?
यह शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है, लेने का नहीं।
यह देता है पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के शरणार्थियों को नागरिकता
वे शरणार्थी जो धार्मिक रूप से पीड़ित रहे हैं
मतलब हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई
मुस्लिम नहीं हैं क्योंकि उनकी धार्मिक प्रताड़ना न हुई, न हो सकती है
CAA के समर्थकों की इस दलील से देश का एक तबका सहमत नहीं। बुद्धिजीवी वर्ग भी इसे लेकर अलग-अलग राय हैं। छात्रों का गुस्सा कई यूनिवर्सिटी में दिखा है। इनके भी अपने तर्क हैं।
क्या कहते हैं CAA के विरोधी?
नागरिकता को धर्म से जोड़ना गलत
केवल मुसलमान CAA से बाहर क्यों?
धर्म विशेष के लोगों के साथ अन्याय
धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बने लोग भी पीड़ित
असम और पूर्वोत्तर में संस्कृति व पहचान मिटने का डर
विरोध करने वालों को देश भर में एनआरसी लागू होने का डर भी सता रहा है। गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि यह देशभर में लागू होकर रहेगा। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ किया है कि अभी इसकी कोई योजना नहीं है।
क्यों है NRC से डर?
असम में 19 लाख लोग NRC से बाहर
19 लाख लोग घुसपैठिए की श्रेणी में
CAA के बाद बांग्लादेशी हिन्दुओं को नागरिकता
बच जाएंगे केवल मुस्लिम घुसपैठिए
एनआरसी से डरने की वजह यह है कि असम में एनआरसी लागू होने के बाद करीब 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर हो गये यानी घुसपैठिए की श्रेणी में आ गये। CAA लागू होने के बाद इनमें से बांग्लादेशी हिन्दुओं को तो नागरिकता मिल जाएगी, लेकिन मुसलमान घुसपैठिए रह जाएंगे।
देश के मुसलमान अब इसी बात से डरे हुए हैं कि अगर देशभर में एनआरसी लागू हुई, तो उन्हें भी खुद की नागरिकता साबित करनी होगी। गैर मुस्लिम तो सीएए के कारण कभी घुसपैठिए नहीं माने जाएंगे, मगर वैसे गरीब लोग जो कागज नहीं दिखा पाएंगे उन्हें गलत तरीके से घुसपैठिया करार दिया जाएगा। सीएए के पीछे की राजनीतिक मंशा पर वे सवाल उठा रहे हैं।
अब आप समझ सकते हैं कि न आशंका निर्मूल है और न ही यह भरोसा कि किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी। सवाल भरोसे का है। सीएए में मुसलमानों को बाहर किए बगैर क्या जरूरतमंद शरणार्थियों को नागरिकता नहीं दी जा सकती थी?- इस सवाल का जवाब सरकार देना नहीं चाहती।