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चुनाव में निशाने पर बैठेगा एंटी सैटेलाइट मिसाइल?

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27 मार्च, 2019 को बुधवार की सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर एक ट्वीट होता है। चौकीदार नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट। पौने बारह बजे से 12 बजे के बीच पीएम मोदी महत्वपूर्ण संदेश लेकर आने वाले हैं। हालांकि इस घोषणा में आधे घंटे से ज्यादा की देरी हुई। मगर, इस दौरान अटकलें तेज रहीं।

मोदी की घोषणा से पहले उठे सवाल

  • भारत ने कहीं एक और सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम तो नहीं दिया?
  • राहुल के न्याय के जवाब में कोई घोषणा तो नहीं?
  • कहीं चुनाव टालने जैसी कोई बडी घोषणा तो नहीं होने वाली?

यह बात भी उठती रही कि चुनाव आचार संहिता के लागू रहते प्रधानमंत्री कोई बड़ी घोषणा नहीं कर सकते। जब तक प्रधानमंत्री ने बोलना शुरू नहीं किया, सांसें थमी रहीं। जब पीएम मोदी ने कहा कि हमने एंटी सैटेलाइट मिसाइल से लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है, तो कान खड़े हो गये। हालांकि जल्द ही ये समझते देर नहीं लगी कि हमने टेस्ट परीक्षण के दौरान ऐसे किसी सैटेलाइट को मार गिराया है। आम तौर पर ऐसी भाषा का इस्तेमाल युद्ध जैसी स्थितियों में ही होता है।

वैज्ञानिकों को बधाई और दुनिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र में चौथी शक्ति बनने का गर्व सबके सामने था। मगर, कुछ सवाल भी साथ-साथ उभर चुके थे-

वैज्ञानिकों को बधाई के बीच मोदी सरकार से सवाल

  • अगर वैज्ञानिक इस उपलब्धि की घोषणा करते तो क्या उपलब्धि छोटी हो जाती?
  • चुनाव आचार संहिता के लागू रहते प्रधानमंत्री ने नैतिकता क्यों तोड़ी?
  • यह उपलब्धिपूर्ण परीक्षण चुनाव के वक्त ही क्यों हुआ?
  • क्या चुनाव में पीएम मोदी अब वैज्ञानिकों का इस्तेमाल करेंगे?

जाहिर है एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि पर चर्चा ने अलग रूप अख्तियार कर लिया। विरोधी चुन-चुन कर वैज्ञानिकों को बधाई देने लगे, तो सत्ताधारी पक्ष वैज्ञानिकों को बधाई देने के साथ-साथ पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देने लगे।

यह तथ्य सामने आया कि भारत ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल बनाने और इसे दागने की क्षमता 2012 में ही प्राप्त कर ली थी। मगर, वर्तमान सरकार में ही ऐसी इच्छा शक्ति थी कि वह इसका परीक्षण कर सके। लेकिन सवाल ये भी उठे कि यह इच्छा शक्ति बीते पांच साल में क्यों नहीं दिखी? चुनाव के वक्त ही क्यों दिखी जब आचार संहिता लागू है?

किस मुद्दे पर हो 2019 का चुनाव, इसे सेट करने की कोशिशें लगातार हो रही हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष गरीबी और बेरोज़गारी को मुद्दा बनाने की कोशिश में है, तो सत्ता पक्ष चाहता है कि चुनावी मुद्दा कश्मीर, पाकिस्तान, देशभक्ति हो।

चुनाव पूर्व सभी सर्वे में पुलवामा से पहले सत्ताधारी दल की हालत पतली थी, एअर स्ट्राइक के बाद हालत में जबरदस्त सुधार हुआ। यहां तक कि प्रियंका का आने का असर भी फीका पड़ने लगा। ऐसे में राहुल ने ‘न्याय’ योजना के तहत बड़ी योजना सामने रख दी। इसके जवाब में अब बीजेपी ने अंतरिक्ष में भारत को महान् शक्ति बनाने की मुद्दा पेश कर दिया है।

मगर, ये साफ नहीं है कि चुनावी लाभ वास्तव में बीजेपी को मिलेगा या नहीं। जो संदेश देना चाहते थे पीएम मोदी, वह आम लोगों तक गया या नहीं। मुद्दे तय करने की कोशिश आगे भी जारी रहने वाली है क्योंकि जनता का मूड अब भी सेट हुआ नहीं लगता।

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