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गृह मंत्री अमित शाह : कहानी फ़र्श से अर्श तक!

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चंद्रगुप्त-चाणक्य की आधुनिक जोड़ी गुजरात से चलकर दिल्ली में अपना सिक्का जमा चुकी है। नरेंद्र मोदी-अमित शाह की सफल जोड़ी की चर्चा आज बारेआम है, मगर राजनीति में शाह की शहंशाही या बादशाहत पर नये सिरे से चर्चा उठ खड़ी हुई है। गृहमंत्री बनने के बाद वे मोदी सरकार में नम्बर दो पर हैं। हालांकि औपचारिक रूप से शपथ लेते समय राजनाथ सिंह को ही नम्बर दो पर दिखाया गया था।

54 साल में सांसद भी बने, गृहमंत्री भी

अमित शाह 54 साल के हो चुके हैं। पहली बार लोकसभा के सांसद भी बने हैं और देश के गृहमंत्री भी। ऐसा बिरले ही होता है। वाकई अमित शाह जैसे नेता भी बिरले होते हैं। जो लक्ष्य तय कर लेते हैं, वो हासिल कर दिखाते हैं।

अबकी बार 300 पार

अबकी बार 300 पार। यही नारा दिया था अमित शाह ने। किसी को यकीन नहीं होता था। जिस आरएसएस के साथ 16 साल की उम्र से ही अमित शाह जुड़े रहे, उन्हें भी उनके महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर यकीन नहीं था। देश को याद है जब बीजेपी और आरएसएस के बड़े नेता राम माधव ने कहा था कि अगर बीजेपी को 271 सीटें आ गयीं तो वे संतुष्ट रहेंगे।

23 मई को मिले छप्पर फाड़ नतीजे

जब 23 मई को नतीजे आने शुरू हुए तो सबकी आंखें खुली रह गयीं।

BJP 300 पार

अपने दम पर बीजेपी 300 पार का करिश्मा कर रही थी

NDA 350 पार

और एनडीए का आंकड़ा तो 350 के पार चला गया।

उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां एनडीए के लिए 80 में से 73 का आंकड़ा नामुमकिन लग रहा था, वहां भी एनडीए ने 65 के आंकड़े को छू लिया।

गुजरात-राजस्थान में क्लीन स्वीप

गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों में क्लीन स्वीप कर डाला। मध्यप्रदेश में भी परिणाम ऐसे आए कि लोग देखते रह गये।

12 राज्यों में BJP को 50% से ज्यादा वोट

देश के 12 राज्यों में बीजेपी को 50 फीसदी से अधिक वोट मिले जो निश्चित रूप से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए गर्व करने वाले आंकड़े हैं।

22 अक्टूबर 1964 को जन्मे अमित शाह ने 1991 में गांधीनगर लोकसभा सीट पर लालकृष्ण आडवाणी का चुनाव प्रबंधन सम्भाला था। उसके बाद से कभी उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। 2019 में उसी गांधीनगर से वे 5 लाख से अधिक मतों से जीतकर संसद में पहुंचे और गृहमंत्री बने।

अमित शाह के राजनीतिक जीवन पर एक नज़र डालते हैं-

1980 में अमित शाह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े
1982 में
ABVP की गुजरात ईकाई के संयुक्त सचिव बने

1987 में भारतीय जनता युवा मोर्चा में शामिल हुए

1989 में अहमदाबाद में BJP के ज़िला सचिव बने

1995 में गुजरात स्टेट फाइनेंस कॉरपोरेशन के चेयरमैन बने

1997 में सरखेज विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक चुने गये

2002 में गुजरात सरकार में मंत्री बनाए गये

2013 में बीजेपी के महासचिव बने अमित शाह

2014 में अमित शाह को लोकसभा चुनाव के लिए यूपी का प्रभार मिला

2014 में ही अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने

अमित शाह की ज़िन्दगी में चढ़ाव रहा, तो उतार भी देखा गया। उन्हें 2010 में जेल भी जाना पड़ा। सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर केस में वे जेल गये, लेकिन अदालत से वे बेदाग निकले। सारे आरोप गलत साबित हुए। यही वजह है कि गुजरात से बाहर निकलकर वे बीजेपी में केंद्रीय भूमिका निभाने में कामयाब रहे।

अमित शाह शतरंज के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। शायद यही वजह है कि राजनीति में शतरंज की बिसात बिछाना भी वे बखूबी जानते हैं। संगीत में रुचि उन्हें अपने काम के प्रति समर्पित बनाए रखने में मदद करता है।

2014 के आम चुनाव में अगर अमित शाह ने यूपी से 73 सीटें निकालकर देश को चौंकाया था, तो 2019 के आम चुनाव में अमित शाह ने पश्चिम बंगाल, उत्तर पूर्व, ओडिशा और कर्नाटक में बीजेपी के लिए शानदार प्रदर्शन कर देश को चौंकाया है।

शाह ने 21 राज्यों में दी BJP सरकार

जब बीजेपी अध्यक्ष बने थे अमित शाह तब देश के 7 राज्यों में बीजेपी की सरकारें थीं, जिसे उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर 21 तक पहुंचा दिया। अब तीन राज्य छिन जाने और जम्मू-कश्मीर की सरकार गिर जाने के बाद बीजेपी के पास 16 राज्य रह गये हैं। निश्चित रूप से मोदी-शाह की जोड़ी देश को मिली है और माना जा रहा है कि गुजरात की ही तरह यह जोड़ी देश में भी अपना कमाल दिखाएगी।

2014 के बाद का राजनीतिक युग बीजेपी के नजरिए से अमित शाह-मोदी युग के रूप में जाना जाएगा। 2019 के बाद यह युग बीजेपी के लिए अमि’ट’ शाह युग होने जा रहा है। बीजेपी के लिए यह स्वर्णयुग है और इसी रूप में यह इतिहास में हमेशा अमिट रहेगा।

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