जय श्री राम जेठमलानी
वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी अब नहीं रहे। प्रखर वकील, जुझारू शख्सियत और हर वक्त नयी व बड़ी लकीर खींचने के लिए ख्यातिप्राप्त जेठमलानी हमेशा याद किए जाएंगे। एक पत्रकार के तौर पर इस प्लेटफॉर्म के प्रमुख कुमार राजेश ने स्व. राम जेठमलानी के साथ अपने करियर के बेहतरीन लम्हे गुजारे। पेशेवर के साथ-साथ व्यक्तिगत संबंध बन गया, जो उनके अंतिम सांस लेने के बाद ही छूट-सा गया महसूस हो रहा है। मगर, ये साथ आजीवन महसूस होता रहेगा। जो कोई भी राम जेठमलानीजी के करीब आए, उनके अनुभव अलग नहीं होंगे। पूरे देश की जनता से जो अपनत्व राम जेठमलानी ने रखा, उसे कोई भुला नहीं सकेगा।
एक नेता के रूप में वे बीजेपी में भी रहे। बीजेपी के ख़िलाफ़ संघर्ष करते भी दिखे। अटल बिहारी वाजपेयी के अभिन्न मित्रों में रहे, उनकी कैबिनेट का हिस्सा रहे। मगर, उन्हीं वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ में चुनाव भी लड़ बैठे। कांग्रेस की राजीव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था रामजेठमलानी ने, हर दिन 10 सवाल ने वीपी सिंह के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को मजबूत किया था। जब चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गयी, तो वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए राम जेठमलानी धरने पर बैठ गये। राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर राज्यसभा भी वे गये। मतलब ये कि राजनीति में भी जेठमलानी ने वही किया, जो उनके मन ने कहा।
इंदिरा और राजीव गांधी के हत्यारों के केस लड़ना हो, सिख विरोधी दंगों का केस हो या फिर चारा घोटाले में लालू प्रसाद का केस क्यों न हो, राम जेठमलानी ने पैरवी की। जेसिका लाल मर्डर केस में मनु शर्मा से लेकर सोहराबुद्दीन फेक एनकाउंटर मामले में अमित शाह तक के केस की पैरवी जेठमलानी ने की। उनका मानना था कि कानून की मदद करना ही वकील का काम होता है। पक्ष या विपक्ष कोई मायने नहीं रखता।
कभी मद्रास हाईकोर्ट के जज रहे सुभाषण रेड्डी के खिलाफ रिपोर्टिंग के प्रसारण पर रोक लग गयी, तब राम जेठमलानी, प्रशान्त भूषण सरीखे वकीलों ने महाभियोग की वकालत की थी। यह 2004 की बात है। वह अप्रसारित रिपोर्ट को बतौर पत्रकार कुमार राजेश ने कवर किया था। राम जेठमलानी जी को अंतिम श्रद्धांजलि स्वरूप वह रिपोर्ट बस सच के Kumars Korner पर कभी भी देखा जा सकेगा। यह रिपोर्ट श्रद्धांजलि भी है, दस्तावेज भी है।