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हिन्दी Heartland के KINGMAKER दिग्विजय

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कांग्रेस के लिए ये मौका ऐतिहासिक है। हिन्दी हर्टलैंड के तीनों प्रदेशों पर कांग्रेस के मुख्यमंत्री। ये क्षण बीजेपी के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के सपने पर हथौड़े की तरह हैं, वहीं कांग्रेस के लिए उम्मीदों के पल। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी से दो-दो हाथ करने की तैयारी के लिहाज से बहुत अहम हैं ये पल।

इस पल को पैदा करने के लिए कांग्रेस ने पूरी मेहनत की है। राहुल गांधी को विशेष तौर पर श्रेय जाता है जिन्होंने गुटबाजी में व्यस्त रहे नेताओं को न सिर्फ एकजुट कर दिखाया, बल्कि उनसे नतीजे भी हासिल कर लिए। मगर, राहुल गांधी जिनकी सलाह पर चलते रहे, जिनकी सलाह पर हिन्दी हर्टलैंड की पूरी स्क्रिप्ट लिखी गयी, वो शख्स कौन है? उस शख्स का नाम है दिग्विजय सिंह।

लगातार दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह को इस बार किसी सूबे में सीएम बनने का मौका भले ही नहीं मिला हो, लेकिन कोई भी सीएम दिग्विजय सिंह की मर्जी के बगैर बना हो, ऐसा नहीं है। तीनों राज्यों में असली किंगमेकर दिग्विजय सिंह ही रहे। यह निराधार नहीं है।

भूपेश बघेल कैसे बने किंग

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, चरण दास महंत के रूप में मुख्यमंत्री पद के चार दावेदार थे। चरण दास महंत इन नेताओं में सबसे वरिष्ठ हैं। छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष रह चुके थे। पार्टी के वफादार और कर्मठ नेताओं में उनकी गिनती होती रही है। इसलिए वे प्रबल दावेदारों में थे। इसी तरह टीएस सिंह देव समर्पित और सक्षम नेताओं में गिने जाते हैं। ताम्रध्वज साहू छत्तीसगढ़ में इकलौते कांग्रेस सांसद हैं। उन्हें पार्टी ने विधानसभा का चुनाव लड़ाया, इसी में संदेश छिपा था कि वे आलाकमान की पसंद हैं। वहीं इन सब उम्मीदवारों पर भारी रहे भूपेश बघेल का मजबूत दावा भी एक वजह से हल्का हो रहा था। भूपेश सीडी कांड में फंसे थे। 15 दिन की जेल से होकर निकले थे। यह बात अपने आप में इतनी वजनदार थी कि उनका सीएम बनना लगभग नामुमकिन था। मगर, ऐसे ही मौके पर काम आए दिग्विजय। दिग्विजय सिंह का भूपेश बघेल से बहुत पुराना रिश्ता रहा है। दिग्विजय सरकार में भूपेश मंत्री रह चुके थे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के पक्ष में दिग्विजय चट्टान की तरह खड़े हो गये। सारे आरोपों को संघर्ष का नाम दे दिया। बस, आलाकमान दिग्विजय के तर्कों के सामने नतमस्तक हो गया। और, छत्तीसगढ़ में किंगमेकर हो गये दिग्विजय सिंह।

दिग्विजय बने कमल के ‘नाथ’

मध्यप्रदेश में दिग्विजय ने कमलनाथ के लिए बैटिंग की। इसके लिए पूरी पृष्ठभूमि बहुत पहले से तैयार कर ली गयी। कमलनाथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गये। बीजेपी के ख़िलाफ़ माहौल बनाने में कमलनाथ को ही आगे किया गया। इस बार दिग्विजय चुप हो गये, ये कहते हुए कि उनके बोलने से कांग्रेस को नुकसान होता है। मगर, यही भूमिका कमलनाथ ने आगे बढ़कर ले ली। मुसलमानों के बीच अधिक से अधिक वोटिंग करने की अपील वाला बयान तो आपको याद ही है।

ज्योतिरादित्य भी मजबूत दावेदार थे। दिग्विजय ने न उनकी दावेदारी को चुनौती दी, न ही उस पर बहुत ध्यान दिया। वे पूरी तरह कमलनाथ पर फोकस रहे। आलाकमान के सामने कमलनाथ की प्रदेश कांग्रेस पर पकड़, अनुभव और अब नहीं तो कब, का सवाल उन्होंने मजबूती से रखा। वहीं ज्योतिरादित्य के पास ये तीनों ही फैक्टर अपेक्षाकृत कमजोर रहे। बगावत की आशंका भी परोक्ष रूप से कमलनाथ से ही ज्यादा दिखलायी गयी। जाहिर है कमलनाथ भारी पड़े। दिग्विजय किंग मेकर बनकर उभरे।

राजस्थान में गहलोत-सचिन की गठबंधन सरकार

राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार रहे। यहां अशोक गहलोत से दिग्विजय के पुराने संबंध तो हैं मगर अपने समकक्ष इस कद्दावर नेता को खुली आज़ादी देने की भी वे मंशा नहीं रखते थे। लिहाज़ा दिग्विजय सिंह का मन सचिन पायलट की ओर अधिक था। परिस्थिति ऐसी बनी कि अशोक गहलोत दावेदारी में आगे रहे। दिग्विजय सिंह की ओर से पूरी कोशिश हुई कि आलाकमान इस बात को समझे कि कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों को शह देने वाले अशोक गहलोत ही हैं जिन्होंने सचिन पायलट खेमे के उम्मीदवारों को हराया है। मगर, इन बातों पर ध्यान देने को आलाकमान तैयार नहीं हुआ। ऐसे में सचिन पायलट को सत्ता में भागीदारी दिलाने में दिग्विजय सफल रहे। सचिन सिर्फ उपमुख्यमंत्री नहीं हैं, बल्कि जितने मंत्री गहलोत के होंगे, उतने ही उनके भी होंगे। एक तरह से कांग्रेस के भीतर ही यह गठबंधन सरकार है। इस बात के पूरे आसार हैं कि दिग्विजय सचिन पायलट के लिए तब तक बैटिंग करते रहेंगे जब तक कि उन्हें राजस्थान का किंग बना न लें।

दिग्विजय सिंह किंगमेकर बनकर उभरे हैं। आने वाले समय में भी उनका दबदबा बढ़ने वाला है। किसी भी राज्य में मंत्री कौन होगा, इसे तय करने में भी दिग्विजय की भूमिका रहने वाली है। आलाकमान पर दिग्विजय की मजबूत पकड़ इसी से बयां होती है। आखिर हिन्दी हर्टलैंड में कांग्रेस का पताका फहराने में दिग्विजय ने बड़ी भूमिका जो निभाई है।

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