लोकसभा चुनाव 2019 : आत्मघाती गोल कर रहे हैं BJP के नेता
बीजेपी को जितना नुकसान विरोधी पहुंचा रहे हैं उससे ज्यादा उनके अपने। कभी सहयोगी हमला करता है, कभी अपने ही हमला कर बैठते हैं। ताज़ातरीन उदाहरण बने हैं वरुण गांधी। बीजेपी सांसद और फायरब्रांड नेता, जिनका फायर खुद बीजेपी ने निकाल रखा है। न यूपी की सियासत में जगह दी, न ही केन्द्र में पैर पसारने का मौका दिया। मगर, चुनाव का मौका पर वरुण गांधी जैसे नेताओं के लिए चौका मारने के लिहाज से बेहतरीन समय है। और, वरुण ने चौका जड़ दिया है।
वरुण गांधी ने वही मुद्दा पकड़ा है जो बीजेपी के लिए दुखती रग साबित हो रही है- किसान। इसी मुद्दे पर राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश, छत्तीगसढ़ और राजस्थान में बीजेपी को पटखनी दी थी और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नींद हराम करने की बात कह रहे हैं। राहुल को उनकी इस लड़ाई में अपने भाई का साथ मिल गया है। जी हां, गौर करें वरुण गांधी ने किसानों को लेकर कितनी बड़ी बात कही है-
- 67 साल में देश के किसानों को 100 उद्योगपतियों को मिले धन का महज 17 फीसदी ही मिला
- मंडियों में अनाज बेचने के लिए औसतन 1.6 दिन इंतज़ार करते हैं किसान, सस्ता बेचने को मजबूर
- 56 फीसदी फल शुरुआती 96 घंटे में ही सड़ जाते हैं क्योंकि देश में पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज नहीं हैं
- खेती बंटाईदारों पर निर्भर है मगर उन्हें कोई लोन नहीं मिलता
वरुण ने सवाल उठाया है कि जब कभी भी किसानों को मदद की बात आती है हाहाकार मच जाता है। आखिर क्यों? निस्संदेह वरुण गांधी ने न केंद्र सरकार को बख्शा है, न राज्य सरकारों को। उनका हमला कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकारों पर है। मगर, जो टाइमिंग है हमला करने की उससे मुश्किल मोदी सरकार की बढ़ती दिख रही है।
नरेंद्र मोदी के लिए सबसे चौंकाने वाला हमला तब हुआ जब बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और मोदी कैबिनेट के मजबूत स्तम्भ नितिन गडकरी ने अपनी ज़ुबां खोली। कभी नेतृत्व को जिम्मेदारी लेने की बात कहकर तीन राज्यों में बीजेपी की हार का ठीकरा मोदी और अमित शाह पर फोड़ा, तो कभी खुलेआम पंडित नेहरू की तारीफ की। गांधी-नेहरू परिवार पर बरसते रहे नरेंद्र मोदी को ताजा झटका रविवार को नितिन गडकरी ने दिया, जब उन्होंने इंदिरा गांधी की तारीफ कर डाली।
गडकरी ने की इंदिरा की तारीफ
“इंदिरा गांधी ने अपनी पार्टी में अन्य सम्मानित पुरुष नेताओं के बीच अपनी क्षमता साबित की। क्या ऐसा आरक्षण की वजह से हुआ?”
नितिन गडकरी ने यह हमला तब बोला है जब अगले ही दिन मोदी कैबिनेट ने गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण को हरी झंडी दी है। गडकरी ने जातिगत आरक्षण पर अपना विरोध भी एक दिन पहले ही रख दिया। हालांकि उन्होंने साफ किया कि वे महिलाओं को आरक्षण के विरोधी नहीं हैं।
मोदी सरकार पर हमला करने वालों में एनडीए के घटक दल शिवसेना सबसे आगे रही है। उद्धव ठाकरे ने अयोध्या जाकर बीजेपी को हिन्दुत्व पर ललकारा, तो राफेल के मुद्दे पर मोदी सरकार को घोटालेबाज तक कह डाला। उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी जाने की भी बात कही है। यहां तक कि विपक्ष को एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने का आह्वान भी किया है।
मोदी सरकार का विरोध करते हुए तेलुगू देशम पार्टी नेता एन चंद्र बाबू नायडू, हम पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी और आरएलएसपी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा भी एनडीए छोड़ चुके हैं।
अरुण शौरी, यशवन्त सिन्हा जैसे नेता मोदी सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा थामे रहे हैं तो शत्रुघ्न सिन्हा ने भी बीजेपी सांसद रहते हुए नरेंद्र मोदी पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है।
मगर, वरुण गांधी ने जिस तरीके से किसानों का मुद्दा उठाया है वह बगावत कतई नहीं है मगर उसका नुकसान किसी बागी से होने वाले नुकसान से कहीं अधिक होगा, यह तय है। 2019 में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा भी गरम रहेगा और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का मसला भी सर चढ़कर बोलने वाला है। इसी वजह से महत्वपूर्ण है वरुण की बुलन्द आवाज़- किसानों के लिए।