Loksabha Election 2019 : 3 चरण पूरे, मुश्किल हुई मोदी की राह
क्या टूट जाएगा BJP का सपना?
क्या नरेंद्र मोदी नहीं बन पाएंगे दोबारा PM?
मैजिक फिगर से दूर होता दिख रहा है NDA
303 सीटों पर हो चुका है मतदान ख़त्म
NDA को मिलती दिख रही है महज 102 सीटें
बचा है महज 240 सीटों पर मतदान
240 सीटों में से NDA जीत पाएगा 170?
बस सच पर टिकाए रखिए नज़र
303 सीटों के लिए लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। तीन चरणों के बाद अब केवल 240 सीटों पर वोटिंग होना बाकी रह गया है। गौर करने वाली बात ये है कि अब तक तीन चरणों में जिन सीटों पर चुनाव हुए हैं उनमें 2014 में भी एनडीए को बढ़त हासिल नहीं थी। अगर यूपीए और अन्य को मिली सीटें जोड़ दें तो एनडीए को मिली सीटों का योग उनसे कम रह जाता है।
2019 में 3 फेज की 303 सीटें : 2014 के नतीजे
NDA UPA OTHERS
134 52 117
आप नज़र डालिए इन आंकड़ों पर…2019 में जिन 303 सीटों के लिए 3 चरणों में मतदान हो चुके हैं उनमें से 2014 में NDA ने जीती थी 134 सीटें। यूपीए 52 सीटें लेकर बहुत पीछे रह गया था, जबकि अन्य के खाते में 117 सीटें गयी थीं। अन्य में वाम दल, टीडीपी, टीआरएस, टीएमसी, एसपी, बीएसपी, बीजेडी समेत कई क्षेत्रीय व छोटे दल शामिल हैं।
अब 2019 के इन आम चुनाव में 3 चरणों में हुए मतदान का आकलन जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसे जानकर क्रिकेट में स्लॉग ओवर की याद ताज़ा हो जाएगी। यानी गेंद कम और जीत के लिए अधिक स्कोर करने का लगातार बढ़ता दबाव आप एनडीए पर देख सकेंगे। जी हां, जहां चुनाव शुरू होने के समय एनडीए के लिए पीछा करने वाला स्कोर था 272….और गेंदें बची थीं पूरी के पूरी यानी 543. मगर, अब गेंदें बची हैं महज 240 और एनडीए को सरकार बनाने के लिए स्कोर करना है 170. क्या ये मुमकिन हो पाएगा? लेकिन, यह रोमांचक मुकाबला इस मोड़ पर पहुंचा कैसे है वह भी समझ लीजिए।
303 सीटों पर NDA, UPA और OTHERS
YEARS NDA UPA OTHERS
2019 102 111 86
2014 134 052 117
अंतर -32 +69 -31
अब ज़रा आप इन आंकड़ों पर ग़ौर फ़रमाइए और इस आकलन पर ध्यान दीजिए। इसके मुताबिक 303 सीटों पर हुए चुनाव में 2019 में NDA को 32 सीटों का नुकसान हो रहा है। 2014 में एनडीए को 134 सीटें मिली थीं जबकि 2019 में वोटों के प्रतिशत में आए बदलाव और रुझानों के अनुसार एनडीए को 102 सीटें मिलती दिख रही हैं।
वहीं इन तीनों चरणों की 303 सीटों में यूपीए को 111 सीटें मिलती दिख रही हैं जो 2014 में यूपीए को मिली 52 सीटों के मुकाबले 69 ज्यादा है। यह बढ़ोतरी खास तौर पर तमिलनाडु में डीएमके और केरल व गुजरात में खुद कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की वजह से सम्भव होती दिख रही है।
अन्य की स्थिति में भी गिरावट है। 2019 में अन्य के खाते में इन 303 सीटों में महज 86 सीटें जाती दिख रही हैं जबकि 2014 में यही संख्या थी 117 यानी 31 सीटों का नुकसान।
एनडीए के लिए महत्वपूर्ण बात ये है कि बाकी बची 270 सीटों में से ज्यादातर सीटें हिन्दी पट्टी की हैं। मगर, सरकार बनाने के लिए इनमें से 170 सीटें जीतना जरूरी होगा, तभी 272 सीटों का मैजिक फिगर पाया जा सकता है। यानी हर तीन सीट में करीब दो सीटें जीतने की जरूरत आ पड़ी है। चुनाव मैदान के रोमांच को देखते हुए कह सकते हैं कि हर तीन गेंद में दो बाउन्ड्री की दरकार है। एनडीए के लिए ये असम्भव नहीं है लेकिन हिन्दी पट्टी में भी जिस तरह की फील्डिंग महागठबंधन और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने कर रखी है यह लक्ष्य बहुत आसान भी नहीं दिखता।